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प्रियंका गांधी फूलपुर से होंगी I-N-D-I-A गठबंधन की उम्मीदवार! यूपी में 60 से अधिक सीटों पर सपा का दावा

प्रियंका गांधी वाड्रा की तस्वीर के साथ लिखा गया है 'उम्मीद की आंधी, प्रियंका गांधी' जिसमें फूलपुर जीरो किलोमीटर का साइन बोर्ड भी लगाया गया है. पोस्टर में लगाए गए फूलपुर जीरो किलोमीटर वाले साइन बोर्ड से प्रियंका गांधी वाड्रा के यहां से चुनाव लड़ने के लिए माहौल बनाने की कोशिश की गई है.

UP Politics: उत्तर प्रदेश की सियासत में कई दशकों से हाशिये पर चल रही कांग्रेस पार्टी को इस बार उम्मीद है कि विपक्ष के गठबंधन इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक इंक्लूसिव एलायंस (I-N-D-I-A) के बलबूते न सिर्फ वह लोकसभा चुनाव 2024 में भाजपा को सत्ता से बेदखल करने में कामयाब होगी, बल्कि यूपी में एक बार फिर वह बड़ा दल बनकर उभरेगी. इसके लिए वह बीते दिनों अपने प्रदेश अध्यक्ष में भी बदलाव कर चुकी है. अजय राय कांग्रेस का प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से जहां लगातार भाजपा पर हमलावर बने हुए हैं. वहीं उन्होंने यूपी में कांग्रेस की दमदार वापसी का दावा किया है. इस बीच उत्तर प्रदेश की फूलपुर लोकसभा सीट सुर्खियों में है. यह सीट एक समय जवाहरलाल नेहरू के संसदीय क्षेत्र होने के कारण सुर्खियों में रहती थी. इस बार यहां से कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा के चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो गई हैं. फूलपुर लोकसभा क्षेत्र में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने प्रियंका गांधी का पोस्टर लगाया है, जिसमें उन्हें उम्मीद की आंधी बताया गया है.

उम्मीद की आंधी, प्रियंका गांधी के नाम से लगाए पोस्टर

प्रयागराज में चस्पा पोस्टर में प्रियंका गांधी वाड्रा की तस्वीर के साथ लिखा गया है ‘उम्मीद की आंधी, प्रियंका गांधी’ जिसमें फूलपुर जीरो किलोमीटर का साइन बोर्ड भी लगाया गया है. पोस्टर में लगाए गए फुलपुर जीरो किलोमीटर वाले साइन बोर्ड से प्रियंका गांधी वाड्रा के यहां से चुनाव लड़ने के लिए माहौल बनाने की कोशिश की गई है. इस पोस्टर में पूर्व प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू और इंदिरा गांधी की भी तस्वीर हैं.

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कांग्रेस नेताओं ने कही ये बात

इस पोस्टर को प्रयागराज कांग्रेस पार्टी के पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यक वर्ग के अध्यक्ष की तरफ से लगाया गया है. पोस्टर लगाने वाले पिछड़ा वर्ग के शहर अध्यक्ष हसीन अहमद ने कहा कि यह हम पदाधिकारियों की ही नहीं, बल्कि प्रयागराज की स्थानीय जनता की भी इच्छा है कि प्रियंका गांधी वाड्रा फूलपुर से लोकसभा का चुनाव लड़कर अपनी विरासत को संभालें. प्रयागराज के अल्पसंख्यक वर्ग के अध्यक्ष अरशद अली भी प्रियंका गांधी वाड्रा को फूलपुर लोकसभा सीट से 2024 का चुनाव लड़ाने के पक्ष में हैं. अरशद अली के मुताबिक जब हम जनता के बीच जाते हैं, तो यह मांग उठती है, जनता की उसी मांग को कांग्रेस आला कमान तक पहुंचाने के लिए पोस्टर लगाए हैं. पोस्टर लगाने वाले कांग्रेसियों का कहना है कि प्रियंका गांधी वाड्रा के फूलपुर लोकसभा से चुनाव लड़ने से पार्टी को पूरे पूर्वांचल में मजबूती मिलेगी. प्रियंका गांधी वाड्रा का पोस्टर लगाने वाले कांग्रेसियों का कहना है कि एक बार फिर से कांग्रेस पार्टी को सत्ता में वापस आने के लिए फूलपुर संसदीय सीट से नेहरू गांधी परिवार के सदस्य को सामने आना पड़ेगा, जिसमें प्रियंका गांधी सबसे बेहतर चेहरा होंगी.

कांग्रेस पार्टी ने किया आंतरिक सर्वे

कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी ने प्रयागराज के फूलपुर और इलाहाबाद लोकसभा सीट के अलावा वाराणसी संसदीय सीट पर प्रियंका गांधी को लेकर एक आंतरिक सर्वे कराया है, जिसमें कांग्रेस पार्टी के आंतरिक सर्वे में यह बात निकलकर सामने आई है कि प्रियंका गांधी वाड्रा अगर फूलपुर लोकसभा सीट से 2024 के चुनाव में उतरती हैं तो यह उनके लिए बेहद मुफीद साबित होगा. हालांकि कांग्रेस की ओर से न तो प्रियंका गांधी के फूलपुर से चुनाव लड़ने और न ही आंतरिक सर्वे को लेकर आधिकारिक तौर पर कुछ गया है. लेकिन, इस बात की प्रबल संभावना है कि 2024 के महासमर में वह लोकसभा चुनाव में उतर सकती हैं.

1952 में जवाहरलाल नेहरू ने जीत की थी दर्ज

प्रयागराज की फूलपुर लोकसभा सीट पर आजादी के बाद प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने 1952 में जीत दर्ज कर की थी. इसके बाद इस सीट पर कांग्रेस का कब्जा रहा. वहीं पिछले करीब तीन दशकों से फूलपुर संसदीय सीट कांग्रेस लड़ाई से बाहर हो चुकी है. ऐसे में प्रयागराज के स्थानीय कांग्रेसी नेताओं का मानना है कि प्रियंका गांधी के फूलपुर से चुनाव लड़ने से न सिर्फ कांग्रेस यूपी में मजबूत होगी, बल्कि इससे पूरे देश में पार्टी के पक्ष में सकारात्मक संदेश जाएगा.

इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर कवायद शुरू

इस बीच कहा जा रहा है कि इंडिया गठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर अब कवायद शुरू हो गई है. हाल ही में अजय राय के बयान के बाद कांग्रेस और सपा के बीच मामला फंसने की संभावना लग रही थी. हालांकि अब चर्चा है कि मामला सुलझ सकता है. कहा जा रहा है कि समाजवादी पार्टी गठबंधन के लिए उन सीटों को छोड़ने के लिए तैयार हो गई है, जिस पर उसकी अभी तक जीत नहीं हुई है. कांग्रेस या राष्ट्रीय लोकदल के लिए सपा ऐसी लगभग 18 सीटें छोड़ने को तैयार है. वहीं 60 से ज्यादा सीटों पर वह स्वयं चुनाव लड़ने का दावा करेगी. सपा को उम्मीद है कि प्रदेश के मौजूदा सियासी हालात में दोनों दल इतनी सीटों पर मान जाएंगे. हालांकि कांग्रेस का इतनी सीटों पर मानना मुश्किल है. चर्चा है कि कांग्रेस उन 21 सीटों पर अपना दावा कर सकती है जिन पर 2009 में उसने जीत हासिल की थी. इसी तरह रालोद प्रमुख जयंत चौधरी भी गठबंधन में अपनी पार्टी के लिए पश्चिमी यूपी की कई सीटों पर दावा कर सकते हैं.

इन सीटों को कांग्रेस के लिए छोड़ने पर सपा तैयार

इंडिया गठबंधन में जल्द ही प्रदेशवार बैठकें होनी है, जिनमें दलों के बीच सीट बंटवारे पर मंथन किया जाएगा. इसके बाद पूरी तस्वीर साफ होने के आसार हैं. 2019 के चुनाव परिणाम की बात करें तो स्मृति ईरानी ने राहुल गांधी को अमेठी में करारी शिकस्त दी थी. वहीं रायबरेली सीट पर सोनिया गांधी की जीत के साथ कांग्रेस का कब्जा बरकरार रहा. इन दो सीटों के अलावा सपा कांग्रेस के लिए धौरहरा, वाराणसी, बस्ती, सुलतानपुर, लखनऊ, कानपुर सीट, गाजियाबाद, नोएडा, बागपत, अलीगढ़, मथुरा, हाथरस, आगरा और पीलीभीत पर अपना दावा छोड़ सकती है.

विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद स्थिति होगी साफ

राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक फिलहाल कांग्रेस के कुल सीटों पर चुनाव लड़ने को लेकर स्थिति को साफ नहीं कहा जा सकता. राहुल गांधी के अमेठी से चुनाव लड़ने पर अभी भी संशय बना हुआ है. कार्यकर्ताओं के दबाव बनने पर बनने पर वह अगर अमेठी से सियासी मैदान में उतरते हैं तब भी उनका कांग्रेस के वर्चस्व वाली दूसरी सीट से चुनाव लड़ना तय है. मुमकिन है कि राहुल गांधी एक बार फिर वायनाड से पार्टी प्रत्याशी बनें. इसके अलावा वह अमेठी से भी चुनाव लड़ सकते हैं. दरअसल राहुल गांधी की अमेठी में शिकस्त को कांग्रेस अभी तक भूल नहीं पाई है. इसका कार्यकर्ताओं पर नकारात्मक असर पड़ा था. ऐसे में कांग्रेस फिलहाल जल्दबाजी करने के मूड में नहीं है. प्रियंका गांधी को लेकर भी इसी तरह की स्थिति है. कार्यकर्ता भले ही उन पर चुनाव लड़ने का दबाव बना रहे हों, खुद प्रदेश अध्यक्ष अजय राय भी प्रियंका गांधी के वाराणसी से चुनाव लड़ने जैसी बातें कर चुके हैं. लेकिन, कांग्रेस नेतृत्व ने अभी इस पर अंतिम फैसला नहीं किया है. माना जा रहा है कि कई राज्यों में विधानसभा चुनाव के नतीजे और लोकसभा चुनाव से पहले तस्वीर साफ होने के बाद ही इस पर फैसला किया जाएगा. फिलहाल कांग्रेस की यही रणनीति है कि गठबंधन में उसे ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलें, जिस पर वह अपने उम्मीदवार उतार सके. उसकी कोशिश मजबूत उम्मीदवार उतारने की होगी.

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