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World Rabies Day 2023: यूपी में आवारा कुत्तों का आतंक, जानलेवा बन सकती है रेबीज, जानें कितनी खतरनाक है बीमारी

World Rabies Day 2023: पशु चिकित्सकों के मुताबिक साइबेरियन और अमेरिकन हस्की ठंडे तापमान में रहने वाली प्रजातियां हैं. लेकिन, कई लोग इन्हें मनोरंजन और शौक के लिए गर्म वातावरण में पाल लेते हैं. इनकी सही तरह से देखभाल भी नहीं की जाती है. इससे यह आक्रामक होने पर काट लेते हैं.

World Rabies Day 2023: उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जनपद में इस महीने की शुरुआत में उस घटना को लोग अभी तक नहीं भूल पाए हैं, जिसमें एक 14 साल के बच्चे को कुत्ते ने काट लिया. इसके बाद किशोर के शरीर में इन्फेक्शन इतना फैलता चला गया कि उसकी हालत खराब हो गई. लाचार पिता उसे एंबुलेंस में लेकर दर-दर भटकते रहे, लेकिन अस्पतालों ने भी हाथ खड़े कर दिए. इसके बाद बच्चे की दर्द से तड़प-तड़प कर जान चली गई. आठवीं का छात्र शावेज एक सितंबर से अचानक अजीबो-गरीब हरकतें करने लगा था. वह पानी देखने से ही डर लगने लगा, उसने खाना पीना बंद कर दिया था और कभी कभी वो कुत्ते के भौंकने जैसी आवाज भी निकलने लगा. इसके बाद उसकी दर्दनाक मौत हो गई. इस घटना से रेबीज एक बार फिर पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया था. हालांकि इसके बाद भी कुत्तों के काटने के मामले कम नहीं हो रहे हैं.

राजधानी लखनऊ की बात करें तो आवारा कुत्तों ने एक सितंबर से अभी तक 26 तारीख तक 2630 लोगों को घायल किया है. सिर्फ सिविल और बलरामपुर अस्पताल में प्रतिदिन सौ से अधिक पीड़ित रेबीज की वैक्सीन लगवाने पहुंचे. निजी चिकित्सकों के वहां इलाज के लिए जाने वाले मरीजों को भी शामिल कर लें, तो वास्तविक आंकड़ा इससे कहीं ज्यादा होगा. लखनऊ के हजरतगंज, गोमतीनगर, इन्दिरानगर, चौक, आलमबाग सहित किसी भी इलाके में चले जाएं, वहां सड़क पर आवारा कुत्तों का झुंड घूमता नजर आता है. ऐसे में लोगों का चलना दूभर हो गया है.

सभी सरकारी अस्पतालों में रोजाना 200 के आसपास एंटी रेबीज वैक्सीन लगती है. इनमें 95 प्रतिशत पीड़ित कुत्ता काटने की वजह से आते हैं. निजी अस्पतालों, मेडिकल स्टोरों से वैक्सीन लगवाने वालों की संख्या अलग है. इनमें सबसे ज्यादा चौक, चौपटिया, नक्खास, मौलवीगंज, सआदतगंज, ऐशबाग, कैसरबाग, रकाबगंज, ठाकुरगंज, सदर और डालीगंज इलाके शामिल हैं. इस माह के 26 सितंबर तक 1100 नए पीड़ितों को रेबीज की वैक्सीन लगाई गई है.

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सिविल अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. राजेश श्रीवास्तव के मुताबिक इमरजेंसी में दिनभर रेबीज की वैक्सीन लगवाने के लिए लोग आते रहते हैं. पिछले दो माह की तुलना में सितंबर में कोई कमी नहीं आई है. रेबीज की वैक्सीन लगवाने वालों में युवा और बुजुर्ग से ज्यादा बच्चे होते हैं. सिविल अस्पताल में रेबीज की वैक्सीन लगवाने वालों में 60 प्रतिशित लोग पुराने लखनऊ के हैं.

बलरामपुर अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. अतुल मेहरोत्रा के मुताबिक 27 सितंबर को इमरजेंसी में कुल 70 लोग रेबीज वैक्सीन लगवाने पहुंचे. इनमें लगभग 30 बच्चे शामिल हैं. यह सिर्फ एक दिन का आंकड़ा है. पिछले 26 दिनों में अस्पताल में 1530 पीड़ितों को रेबीज की वैक्सीन लगाई जा चुकी है. ये सभी नए मरीज हैं.

चिकित्सकों के मुताबिक कुत्ता काटे तो लापरवाही नहीं करें. बच्चों को विशेष तौर पर बताएं कि कभी भी कुत्ता, बिल्ली, बंदर या अन्य काट ले तो तुरंत बताएं. कई बार इसे हल्का मानकर छोड़ देते हैं और रेबीज फैल जाता है, जिसका आगे चलकर कोई उपचार नहीं है. ऐसे मामलों में मरीज की मौत हो जाती है. बीते दिनों एनसीआर की घटना, इसका ताजा उदाहरण है.

स्ट्रीट डॉग के अलावा कई बार लोगों के पाले कुत्तों के भी काटने के कई मामले सामने आ चुके हैं. ऐसे में पशु चिकित्सकों का मानना है कि बदलाव की मुख्य वजह कुत्ताें के साथ किया गया व्यवहार है. लोग इन दिनों उग्र ब्रीड को मामूली घरों में पाल रहे हैं. इससे उन्हें घूमने की पूरी जगह नहीं मिल पाती है और जब वह बाहर निकलते हैं तो भीड़ को आसपास देखते हैं तो उन्हें डर लगने लगता है. इससे वे लोगों काे काट लेते हैं.

पशु चिकित्सकों के मुताबिक सबसे खतरनाक डॉग की ब्रीड में पिटबुल, रॉटवीलर, जर्मन शेफर्ड आदि शामिल हैं. इन प्रजातियों के कुत्तों को बड़ी जगह में रहना पसंद है, इन्हें छोटी जगह में रखने व बांधकर रखने पर यह दबाव में आ जाते और चिड़चिड़े हो जाते हैं. इससे ये आक्रामक स्थिति में पहुंच जाते हैं. इनके साथ किए गए व्यवहार अहम होते हैं जैसे कि इन्हें फ्रेंडली बनाना जरूरी है, इनके साथ समय बिताना चाहिए.

पशु चिकित्सकों के मुताबिक साइबेरियन और अमेरिकन हस्की ठंडे तापमान में रहने वाली प्रजातियां हैं. लेकिन, कई लोग इन्हें मनोरंजन और शौक के लिए गर्म वातावरण में पाल लेते हैं. इनकी सही तरह से देखभाल भी नहीं की जाती है. इससे यह आक्रामक होने पर काट लेते हैं. ऐसे में इन्हें वातावरण के अनुसार ही रखना जरूरी है. चिकित्सकों के मुताबिक अमूमन देखा जाता है कि लावारिस कुत्तों को पूरी तरह से खाना नहीं मिलता है. इससे वे कई बार भूखे भी रहते हैं, जिससे इनके व्यवहार में चिड़चिड़ापन आ जाता है. कुत्ते खाने की तलाश के वक्त लोगों पर हमला कर देते हैं. लोगों को इनके व्यवहार की जानकारी भी नहीं होती.

अगर कुत्ता आप पर हमला करता है, तो सबसे पहले अपने आप की सुरक्षा करें. आप खुद को बचाने के लिए अपने बैग, पर्स या फिर जैकेट का उपयोग कर सकते हैं. अगर आप गिर जाते हैं, तो उल्टे हो जाइए और अपनी गर्दन, कानों और सिर पर हाथ रख लें. इसके बाद डॉक्टर के पास जरूर जाएं, ताकि आपको पता चल सके कि घाव कितने गंभीर हैं और कैसा इलाज चाहिए. अगर आपके घर में कुत्ता है, तो उसे वैक्सीन जरूर लगवाएं. अगर कुत्ते के काटने से आपको मामूली चोट आई है तो घाव को साफ पानी और साबुन से धोएं, ताकि उससे खून और लार साफ हो जाए. घाव पर एंटीबैक्टीरियल क्रीम लगाएं, ताकि बैक्टीरियल इन्फेक्शन का जोखिम कम हो.

घाव पर किसी तरह की पट्टी न बांधें. बेहतर है कि घाव खुला रहे ताकि जल्दी सूख जाए. कुत्ते के काटने के 24 घंटे के अंदर डॉक्टर से संपर्क करना जरूरी है. डॉक्टर आपको एंटी-रेबीज इंजेक्शन ताकि जटिलताओं से बचें.अगर घाव गहरा है, जैसे खून बह रहा है या फिर मांस दिख रहा है, तो घाव पर साफ और सूखा कपड़ा रखकर दबाएं ताकि खून बहना बंद हो. अगर खून नहीं निकल रहा, तो घाव को साफ पानी और साबुन से धोएं. अगर आपको कमजोरी या बेहोशी महसूस हो रही है, तो फौरन मेडिकल मदद लें. अगर खून निकलना बंद नहीं हो रहा है या फिर घाव के आसपास की त्वचा में सूजन और रेडनेस है, तो आपको डॉक्टर के पास तुरंत जाना चाहिए.

कुत्ते के काटने पर इलाज की बात करें तो सामान्य तौर पर अधिकांश मामलों में डॉक्टर वैक्सीन या इंजेक्शन की सलाह देते हैं. अगर घाव खरोंच जितना है, तो वैक्सीन बेस्ट इलाज है हालांकि, अगर घाव गहरा है, तो आपको एंटी-रेबीज इम्यूनोग्लोबुलिन का इंजेक्शन लगाया जाएगा. अगर आपको किसी पालतू कुत्ते ने काटा है, तो आपको तीन इंजेक्शन लगाए जाएंगे, क्योंकि पालतू कुत्तों को आमतौर पर वैक्सीन लगी होती है. पहला इंजेक्शन कुत्ते ने जिस दिन काटा है उसी दिन लगेगा, दूसरा तीन दिन के बाद और तीसरा कुत्ते के काटने के 7 दिनों बाद लगेगा. वहीं, अगर आपको सड़क पर किसी कुत्ते ने काटा है, तो आपको 5 से 7 इंजेक्शन लगवाने पड़ सकते हैं. ध्यान रखें कि कुत्ते के काटने के बाद डॉक्टर को 24 घंटे के अंदर जरूर दिखाएं.

कुत्ते के काटने पर अभी भी ग्रामीण परिवेश के ज्यादातर लोग एंटी रेबीज वैक्सीन यानी एआरवी लगवाने के बजाय घरेलू उपचार या झाड़-फूंक कराने पर विश्वास रखते हैं, जबकि यह बेहद घातक होता है. चिकित्सकों के मुताबिक रेबीज लाइलाज बीमारी है. ऐसे में रेबीज नहीं हो, इसके लिए वैक्सीन लगवाना बेहद जरूरी है. कुत्ता, बिल्ली, बंदर, चमगादड़, लोमड़ी और सियार आदि के काटने से रेबीज हो सकती है.

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