कोलकाता, शिव कुमार राउत : एओर्टिक स्टेनोसिस एक ऐसी स्थिति है जब हृदय (Heart) के वाल्वों में से एक, जिसे एओर्टिक वाल्व कहा जाता है, इसके कड़ा हो जाने पर ठीक से नहीं खुलता है. यह आमतौर पर बुजुर्ग में देखा जाता है और जैसे-जैसे हमारी उम्र बढ़ती है, वाल्व खराब हो जाता है और वाल्व पर कैल्शियम जमा हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप वाल्व के खुलने में दिक्कत होती है और यह ठीक से नहीं खुल पाता है. इस स्थिति के लिए कोई चिकित्सा उपचार नहीं है. इस स्थिति में मरीज को बचाने के लिए वाल्व को बदलना ही एकमात्र उपचार है. जिसके लिए आम तौर पर ओपन हार्ट सर्जरी की जाती है.
इस सर्जरी के माध्यम से रोगग्रस्त वाल्व को बदल दिया जाता है और एक नया कृत्रिम वाल्व डाल दिया जाता है. पर अधिक उम्र वाले मरीजों की इस तरह की सर्जरी नहीं हो सकती है. ऐसे मरीजों की ऑपरेशन थिएटर में ही मौत हो सकती है. इसलिए मेडिकल साइंस के इस युग में अब महाधमनी वाल्व को बदलने के लिए ओपन हार्ट सर्जरी नहीं की जाती है. अब ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व इम्प्लांटेशन (तावी) तकनीक से मरीज के हार्ट के वाल्व को बदल दिया जाता है.
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यह बातें विश्व हृदय दिवस की पूर्व संध्या पर बीएम बिड़ला हार्ट रिसर्च सेंटर के कार्डियोलॉजी विभाग के निदेशक डॉ अंजन सियोतिया के कहीं. उन्होंने बताया कि इस प्रक्रिया का अब विस्तार हो चुका है. हर साल दुनिया भर में हजारों-लाखों मरीजों की इस तकनीक से सर्जरी की जा रही है. यह ओपन हार्ट सर्जरी की तुलना में अधिक सुरक्षित है. बीएम बिड़ला में भी इस तकनीक से मरीजों का इलाज किया जा रहा है.
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