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Research : रूमाल या टिश्यू ? हमारे स्वास्थ्य और ग्रह के लिए कौन सा बेहतर है?

Research : सर्दी हो या फिर जुकाम, हम रूमाल या फिर टिश्यू का इस्तेमाल करते हैं लेकिन क्या आप ये जानते हैं कि इंफेक्शन से बचाने में दोनों में बेहतर कौन है ? सिडनी के वैज्ञानिकों में शोध के जरिए इसका पता लगाने की कोशिश की है दोनों की तुलना के नतीजों से आश्चर्यचकित हो सकते हैं.

(मार्क पैट्रिक टेलर, मैक्वेरी यूनिवर्सिटी और हेस्टर जॉयस, ला ट्रोब यूनिवर्सिटी)

Research : सिडनी/मेलबर्न हो सकता है कि आपको हे फीवर, कोविड, सर्दी या फ्लू हो और आप टिश्यू या रूमाल का इस्तेमाल करने वाले हो. लेकिन संक्रमण को फैलने से रोकने में कौन बेहतर है? किसका पर्यावरणीय प्रभाव कम है? क्या यह वह रूमाल है, जो कम से कम रोमन काल से हमारे पास है? या हाल ही में और व्यापक रूप से उपयोग किया जाने वाला पेपर टिश्यू? आप इन दोनो की तुलना के नतीजों से आश्चर्यचकित हो सकते हैं.

रूमाल और टिश्यू का संक्षिप्त इतिहास

आज, हम रूमाल को नाक पोंछने, खांसी और छींक के समय मुंह से निकलने वाले थूक के कणों को पोंछने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली चीज़ समझते हैं लेकिन इस साधारण से वर्गनुमा कपड़े का एक जटिल इतिहास है.

पहली शताब्दी में, रोमन लोग पसीना पोंछने के लिए, या मुंह और चेहरे को ढंकने के लिए सुडेरियम (पसीना पोंछने के लिए इस्तेमाल किए जाने कपड़े के लिए लैटिन नाम) का इस्तेमाल करते थे.

समय के साथ, लोगों ने जिसे अब हम रूमाल कहते हैं, उसका उपयोग सिर ढंकने के लिए, घूंघट के रूप में और भेष बदलने के लिए, हाथ साफ करने के लिए, घावों के लिए और खून रोकने के लिए किया है.

अमीर लोगों ने इनका उपयोग वर्ग और शिष्टाचार को दर्शाने के लिए, और कफ को सावधानीपूर्वक पोंछने के लिए किया है. रॉयल्टी ने पसंदीदा विषयों को बढ़िया लिनन और रेशम रूमाल के उपहार के माध्यम से धन और शक्ति का संकेत देने के लिए इनका उपयोग किया हेनरी अष्टम के पास एक व्यापक संग्रह था, जिसमें से कुछ सोने और चांदी से उकेरे हुए थे.

रूमाल प्रेम, निष्ठा और यौन प्राथमिकताओं के भी प्रतीक रहे है. 19वीं सदी के अंत में ‘‘रूमाल कोड’’ रंग कोडिंग और रूमाल प्लेसमेंट की एक प्रणाली थी जिसका उपयोग यौन प्राथमिकताओं को इंगित करने के लिए किया जाता था, जो आज भी एलजीबीटीक्यू$ समुदायों में सक्रिय है.

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हम कागज़ के टिश्यू की उत्पत्ति ईसा पूर्व दूसरी शताब्दी में चीन में होने का पता लगा सकते हैं लेकिन 1920 के दशक तक ऐसा नहीं था कि जिस टिश्यू को हम आज जानते हैं उसे मेकअप हटाने और नाक को पोंछने के लिए विकसित किया गया था.

तो, हमारे स्वास्थ्य के लिए कौन सा बेहतर है?

100 साल से भी पहले, कपड़े के रूमाल को ‘‘मौत का छोटा झंडा’’ माना जाता था, क्योंकि इसमें कीटाणु होते थे और यह जिस जेब में रखा जाता था, उसे दूषित कर देता था. बाद में, हमसे रूमाल का उपयोग करने का आग्रह किया गया, क्योंकि ‘‘अपनी या दूसरे की खाँसी और छींक के समय अगर नाक को ढका नहीं जाए तो उससे बीमारियाँ फैलती हैं”.

आज, हम जानते हैं कि नाक से निकलने वाले स्राव में ठंडे प्रकार के वायरस पाए जाते हैं जो कई सतहों पर स्थानांतरित हो सकते हैं – हाथ, रूमाल, टिश्यू, दरवाज़े के हैंडल, कीबोर्ड – कभी-कभी शुरुआती जोखिम के बाद भी लंबे समय तक जीवित रहते हैं.

इसलिए दोबारा इस्तेमाल हो सकने वाले सूती रूमाल में अपनी नाक साफ करना, फिर किसी अन्य वस्तु को छूना, इसका मतलब है कि ये वायरस फैल सकते हैं. यहां तक ​​​​कि अगर आप अपने सूती रूमाल को तुरंत धोने के लिए रख देते हैं, तो भी आप दरवाजे की कुंडी जैसी सतहों को दूषित कर देंगे, और वॉशिंग मशीन को चलाने के लिए अपने संक्रमित हाथों का उपयोग करेंगे.

वायरस टिशू पर इतने लंबे समय तक जीवित नहीं रह पाते हैं. बशर्ते आप टिश्यू का उपयोग करने के बाद उन्हें फेंक दें, और उन्हें दूसरों के उठाने के लिए इधर-उधर नहीं छोड़ें, तभी इस्तेमाल किए गए टिश्यू से दूसरों तक रोगाणु पहुंचने की संभावना बहुत कम होती है.

फिर सवाल यह है कि क्या रुमाल या टिश्यू खांसी और सांस के रास्ते निकलने वाले थूक को रोकने के लिए प्रभावी हैं.

रूमाल जैसे बुनियादी कपड़े के आवरण, टिश्यू की तरह, थूक को पकड़ सकते है लेकिन कई अध्ययनों से पता चला है कि वे श्वसन एरोसोल को प्रभावी ढंग से फ़िल्टर नहीं करते हैं, या आपको प्रदूषकों, रोगजनकों या छोटे वायुजनित कणों को सांस के माध्यम से अंदर लेने से नहीं रोकते हैं.

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ग्रह के लिए कौन सा बेहतर है?

यदि आप पर्यावरणीय विचारों को देखना चाहते हैं, तो अमेरिकी कंपनी इकोसिस्टम एनालिटिक्स ने जीवनचक्र विश्लेषण का उपयोग करके दोबारा इस्तेमाल हो सकने वाले सूती रूमालों की तुलना डिस्पोजेबल पेपर टिश्यू से की है.इसमें उत्पादन, परिवहन, उपयोग और निपटान से जुड़े पर्यावरणीय प्रभावों के चार उपायों पर विचार किया गया. जलवायु परिवर्तन (ग्रीनहाउस गैसों का योगरू कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन, जल वाष्प, नाइट्रस ऑक्साइड और सीएफसी) -पारिस्थितिकी तंत्र की गुणवत्ता (भूमि और पानी का रासायनिक प्रदूषण) – मानव स्वास्थ्य (मनुष्यों के लिए कैंसरजन्य और गैर-कार्सिनोजेनिक विषाक्तता) -संसाधन (गैर-नवीकरणीय ऊर्जा और खनिज निष्कर्षण की कुल ऊर्जा आवश्यकताएं).

फैसला क्या है? चारों मापों में, एक सूती रूमाल का प्रभाव समकक्ष टिशू की तुलना में पांच से सात गुना अधिक था. अब तक, सबसे बड़ा प्रभाव इनमें से प्रत्येक उत्पाद के उपयोग या निपटान के बजाय उसके उत्पादन से संबंधित था.

यदि आप अभी भी सूती रूमाल का उपयोग करने के इच्छुक हैं, तो आप जैविक कपास का विकल्प चुन सकते हैं, जिसका उसी स्थान पर उत्पादित मानक कपास की तुलना में कम पारिस्थितिक प्रभाव है लेकिन जैविक कपास उत्पादन में इसके पारंपरिक समकक्ष की तुलना में कम पैदावार होती है, जिसका अर्थ है कि बराबर मात्रा में उत्पादन करने के लिए अधिक भूमि की आवश्यकता होती है, जिससे कुल पर्यावरणीय प्रभाव बढ़ जाता है.

यदि आप टिश्यू का उपयोग करके बेहतर महसूस करना चाहते हैं, तो पुनर्नवीनीकरण सामग्री से बने टिश्यू एक बेहतर विकल्प हो सकते हैं. उनके निर्माण से नियमित टिश्यू बनाने की तुलना में कम ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन होता है.

निर्णय

पुनर्नवीनीकरण सामग्री से बने पेपर टिश्यू से अपनी नाक पोंछना, जिसे हम उपयोग के बाद ठीक से डिस्पोज कर देते हैं (और इसे अपनी जेब में नहीं रखते हैं), स्वास्थ्य और पर्यावरण दोनों दृष्टिकोण से बेहतर है.लेकिन टिश्यू में ऐतिहासिक और बहुउपयोगी कपड़े से बने रूमाल जैसे टशन नहीं होते हैं.

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Disclaimer: हमारी खबरें जनसामान्य के लिए हितकारी हैं. लेकिन दवा या किसी मेडिकल सलाह को डॉक्टर से परामर्श के बाद ही लें.

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