15.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा का एक सपना जो रह गया अधूरा, पुण्यतिथि पर याद कर रहे हैं पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख

पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा की आज शनिवार (30 सितंबर) को पुण्यतिथि है. 2011 में 72 वर्ष की उम्र में इनका निधन हो गया था. झारखंड के दिउड़ी गांव से इन्होंने ऊंची उड़ान भरी थी. इनका जिक्र करते ही पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख कहते हैं कि अस्पताल में डॉ मुंडा ने एक सपना देखा था, लेकिन वो सपना अधूरा रह गया.

Undefined
पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा का एक सपना जो रह गया अधूरा, पुण्यतिथि पर याद कर रहे हैं पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख 6

पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख कहते हैं कि पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा उनसे करीब नौ साल बड़े थे. बचपन के दिनों में उनसे परिचय नहीं था. 1972 में जब उन्होंने नागपुरी गीत ‘नागपुर कर कोरा’ लिखा और उसे अपनी आवाज दी, तब विदेश में रह रहे डॉ रामदयाल मुंडा ने रांची विश्वविद्यालय के कुलपति रहे डॉ कुमार सुरेश सिंह से आग्रह किया था कि वे मधु मंसूरी हंसमुख से उनकी बात कराएं. इस तरह पहली बार उनसे बातचीत हुई. पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख से इस बाबत गुरुस्वरूप मिश्रा ने बातचीत की.

Undefined
पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा का एक सपना जो रह गया अधूरा, पुण्यतिथि पर याद कर रहे हैं पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख 7

पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख कहते हैं कि करीब 31 साल तक वे डॉ रामदयाल मुंडा के साथ रहे. कला व संस्कृति को लेकर हमेशा विचार-विमर्श करते रहते थे. विदेश से 1980 में रांची आने के बाद बीपी केशरी और डॉ रामदयाल मुंडा के साथ झारखंड की कला व संस्कृति से जुड़ी गतिविधियों में साथ रहा करते थे और झारखंड आंदोलन का बिगूल फूंका करते थे.

Undefined
पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा का एक सपना जो रह गया अधूरा, पुण्यतिथि पर याद कर रहे हैं पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख 8

पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख कहते हैं कि डॉ रामदयाल मुंडा को खूंटी में पढ़ाई के के दौरान जगदीश त्रिगुनायक नामक शिक्षक मिले थे. उन्होंने उन्हें काफी तराशा था. मैट्रिक करने के बाद वे रांची आ गए थे. रांची कॉलेज में उन्हें प्रोफेसर एलपी विद्यार्थी काफी मानते थे. इन्हें काफी सहयोग किया. विदेशी टीम को झारखंड घुमाने की बात आई तो प्रोफेसर एलपी विद्यार्थी ने डॉ रामदयाल मुंडा को ही इसके लिए चुना.

Undefined
पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा का एक सपना जो रह गया अधूरा, पुण्यतिथि पर याद कर रहे हैं पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख 9

पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख बताते हैं कि एक वाकया उनकी जिंदगी में काफी अहम है. एक समय की बात है जब डॉ रामदयाल मुंडा अस्पताल में एडमिट थे. तब अस्पताल में उन्होंने पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख से नाराज होकर कहा था कि आजकल घमंड हो गया है क्या? चुप नहीं रहना है. बोलते रहना है. आपकी बात सुनकर कोई नहीं थकता. आपकी बात में और आवाज में वो जादू है, जिसे हर कोई सुनना चाहता है. आप खामोश नहीं रहें. आवाज बुलंद करते रहिए. ईश्वर मुझे ठीक रखें, तो दिवंगत डॉ बीपी केशरी, दिवंगत डॉ गिरिधारी राम गौंझू गिरिराज के साथ आपकी जीवनी लिखेंगे, लेकिन उनका ये सपना पूरा नहीं हो सका. उनका ये सपना अधूरा रह गया.

Undefined
पद्मश्री डॉ रामदयाल मुंडा का एक सपना जो रह गया अधूरा, पुण्यतिथि पर याद कर रहे हैं पद्मश्री मधु मंसूरी हंसमुख 10

23 अगस्त 1939 को गंधर्व सिंह एवं लोकमा के इकलौते पुत्र डॉ रामदयाल मुंडा का जन्म झारखंड के दिउड़ी गांव में हुआ था. 2010 में इन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया. इनकी प्राथमिक शिक्षा लूथर मिशन स्कूल अमलेसा और माध्यमिक शिक्षा, ठक्कर बाप्पा छात्रावास में रहते हुए 1953 में खूंटी के हायर सेकेंडरी स्कूल से हुई. शिकागो विश्वविद्यालय से 1968 में स्नातकोत्तर की डिग्री ली. 1975 में पीएचडी की डिग्री ली. शिकागो और मिनिसोटा के विश्वविद्यालयों में पढ़ने के बाद करीब 20 साल वहां उन्होंने पढ़ाया. इसके बाद जनजातीय और क्षेत्रीय भाषाओं के नवस्थापित विभाग का कार्यभार संभालने के लिए रांची यूनिवर्सिटी के तत्कालीन कुलपति डॉ कुमार सुरेश सिंह ने इन्हें रांची बुलाया था. लंबे समय तक इन्होंने कई उल्लेखनीय कार्य किए. 30 सितंबर 2011 को इनका निधन हो गया.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें