अलीगढ़: अलीगढ़ में सारसौल चौराहे पर दिन भर लगने वाले भयंकर जाम और धूल के कारण आज वायु गुणवत्ता सूचकांक 160 पर पहुंच गया. जो स्वास्थ्य के लिए अनहेल्दी है. इस प्रदूषण से बचने के लिए मास्क पहनने, घर के अंदर रहने, खिड़कियां बंद करने की सलाह दी जाती है. हालांकि वायु प्रदूषण की समस्या बढ़ती जा रही है. इधर , अलीगढ़ जिलाधिकारी ने भी पराली जलाने के किसानों को रोकने के लिए उड़न दस्ता गठित किया है, लेकिन शनिवार को अलीगढ़ में वायु प्रदूषण की रफ्तार बढ़ती दिखाई दी. सारसौल चौराहे के पास दोपहर के बाद तीन बजे एयर क्वालिटी इंडेक्स 160 पर पहुंच गया. सोशल वर्कर ज्ञानेन्द्र मिश्रा ने बताया कि वेदर एप के जरिए AQI का मानक पता चला. उन्होने बताया कि AQI 160 के स्तर पर पहुंचने का मतलब है कि धीमी मौत मरना.
हालांकि दिल्ली और एनसीआर के आसपास वायु प्रदूषण की समस्या अक्टूबर के महीने में आती है. यहां एयर क्वालिटी इंडेक्स उच्चतर स्तर पर पहुंच जाता है. इसका असर अलीगढ़ में भी पड़ता है. अलीगढ़ में भी सौदर्यीकरण का काम चल रही है. लेकिन लगातार जाम, गाड़ियों के खड़े रहने,धूल – धूआ उड़ने से प्रदूषण का स्तर बढ़ रहा है.सारसौल चौराहे के बास और क्वार्सी चौराहे के पास प्रदूषण को रोकने के कोई उपाय नहीं है. सोशल वर्कर ज्ञानेन्द्र मिश्रा ने बताया कि AQI 160 पहुंचना बेहद खतरनाक स्तर है. इससे सांस की बीमारी और हेल्थ के लिए बेहद नुकसानदायक है.
एयर क्वालिटी इंडेक्स मुख्य रूप से हवा की गुणवत्ता को मापने के लिए बनाया गया है. यह एक नंबर होता है. जिसके जरिए हवा में प्रदूषण के इंडेक्स का पता लगाया जाता है. जो हम सांस ले रहे हैं वह कितनी शुद्ध है. एयर क्वालिटी इंडेक्स को केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड, पर्यावरण वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय ने लांच किया है. प्रदूषित हवा की गुणवत्ता को एक संख्या, नाम और रंग के आधार पर देखा और समझा जाता है. इसके मनको में PM10, PM 2.5, NO2, SO2, CO2, O3, NH3, CO को मिलाकर एयर क्वालिटी इंडेक्स तय किया जाता है. अलीगढ़ में पीएम 2.5 शनिवार को 160 रहा , वहीं PM10 132 रहा. जो खराब रैंकिंग में माना जाता है और लोगों के स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव डालता है. नगर निगम के पीआरओ अहसान रब ने बताया कि सारसौल चौराहे के पास निर्माण काम हो रहा है. जिससे वहां जाम की समस्या आती है . उन्होंने बताया कि रविवार को प्रदूषण रोकने के लिए कवायद की जाएगी.
Also Read: अलीगढ़: नसीरुद्दीन शाह की बेटी को मिला जन्म प्रमाण पत्र, तीन माह के जद्दोजहद के बाद नगर निगम ने किया जारीपीएम का अर्थ होता है पार्टिकुलेट मैटर, जो हवा के अंदर के महीन कणों को मापता है, हवा में मौजूद कणों के आकार पीएम 2.5 और PM10 होते हैं, पीएम का नंबर जितना कम होगा, उतने ही वायु में मौजूद छोटे कण होंगे. पीएम 2.5 और PM10 की तुलना में स्वास्थ्य के लिए ज्यादा हानिकारक है. दरअसल हवा को सांस लेने के लिए तभी सुरक्षित माना जाता है. जब हवा में पीएम 2.5 की मात्रा 60 और PM10 की मात्रा 100 हो. PM 2.5 में मौजूद कण काफी छोटे आकार के होते हैं. जो सांस के साथ फेफड़ों में आसानी से खींच जाते हैं. जिसके कारण अस्थमा, स्वास्थ्य संक्रमण जैसी गंभीर बीमारियां होने का खतरा रहता है.