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Share Market: विदेशी निवेशकों का भारतीय शेयर बाजार से मोहभंग! सितंबर में निकाले 14,767 करोड़ रुपये

Share Market: डॉलर में मजबूती, अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) का भारतीय बाजार से मोह भंग होता दिखा.

Share Market: विदेशी निवेशक एक बार फिर से भारतीय शेयर बाजार से अपना पैसा निकाल रहे हैं. इससे पहले अगस्त के महीने में भी निवेशकों ने बड़ी निकासी की थी. बताया जा रहा है कि सितंबर के महीने में बिकवाली के बीच विदेशी निवेशकों ने करीब 14,767 करोड़ रुपये की निकासी की है. डॉलर में मजबूती, अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल के बीच विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) का भारतीय बाजार से मोह भंग होता दिखा. अगस्त महीने में विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के बाजार से पैसे निकालने के बाद एफपीआई का प्रवाह चार माह के निचले स्तर 12,262 करोड़ रुपये पर आ गया था. जबकि, एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार छह माह भारतीय शेयरों में शुद्ध लिवाल रहे थे. इस दौरान उन्होंने 1.74 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे.

क्यों विदेशी निवेशक निकाल रहे हैं पैसा

रुपये के मुकाबले डॉलर में मजबूती, अमेरिका में बॉन्ड पर प्रतिफल बढ़ने और कच्चे तेल की कीमतों में उछाल को विदेशी निवेशकों का पैसा निकालने का सबसे बड़ा कारण बताया जा रहा है. वहीं, मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट निदेशक-प्रबंधक शोध हिमांशु श्रीवास्तव ने कहा कि अमेरिका और यूरो क्षेत्र में आर्थिक अनिश्चितता के अलावा वैश्विक आर्थिक वृद्धि को लेकर बढ़ती चिंता की वजह से भी एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं. इन स्थितियों की वजह से एफपीआई जोखिम लेने से बच रहे हैं. उन्होंने कहा कि इसके अलावा कच्चे तेल के ऊंचे दाम, महंगाई के आंकड़े और बढ़ती ब्याज दरें भी एफपीआई की धारणा को प्रभावित कर रही हैं. आंकड़ों के अनुसार, समीक्षाधीन अवधि में एफपीआई ने ऋण या बॉन्ड बाजार में 938 करोड़ रुपये डाले हैं. इस तरह चालू कैलेंडर साल में अबतक शेयरों में एफपीआई का निवेश 1.2 लाख करोड़ रुपये रहा है. वहीं, बॉन्ड बाजार में उन्होंने 29,000 करोड़ रुपये से ज्यादा डाले हैं.

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कैसा रहेगा आगे का बाजार

क्रेविंग अल्फा के प्रबंधक-स्मॉलकेस और प्रमुख भागीदार मयंक मेहरा ने कहा कि आगे चलकर भारतीय बाजारों में एफपीआई का प्रवाह अनिश्चित रहेगा. काफी हद तक यह भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन, रिजर्व बैंक की मौद्रिक समीक्षा और कंपनियों के सितंबर तिमाही के नतीजों पर निर्भर करेगा. डिपॉजिटरी के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों ने सितंबर में शुद्ध रूप से 14,767 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. इससे पहले अगस्त में शेयरों में एफपीआई का प्रवाह चार माह के निचले स्तर 12,262 करोड़ रुपये पर आ गया था. वहीं एफपीआई मार्च से अगस्त तक लगातार छह माह भारतीय शेयरों में शुद्ध लिवाल रहे थे. इस दौरान उन्होंने 1.74 लाख करोड़ रुपये के शेयर खरीदे थे. जियोजीत फाइनेंशियल सर्विसेज के मुख्य निवेश रणनीतिकार वी के विजयकुमार ने कहा कि डॉलर की मजबूती की वजह से एफपीआई बिकवाली कर रहे हैं. डॉलर सूचकांक 107 के करीब है. इसके अलावा अमेरिका में बॉन्ड प्रतिफल (10 साल के लिए 4.7 प्रतिशत) आकर्षक बना हुआ है, ऐसे में एफपीआई बिकवाल बने हुए हैं. ब्रेंट कच्चे तेल का दाम 97 डॉलर प्रति बैरल पर है. यह भी एफपीआई की बिकवाली की एक वजह है.

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश क्या है

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश एक आर्थिक व्यवस्था है जिसमें व्यक्ति या संगठन विदेशी वित्तीय उद्यमों और निवेश के रुख को चुनते हैं. इसमें विभिन्न वित्तीय उद्यमों में पूंजी निवेश करने का आवाज शामिल है, जैसे कि शेयरों, बंधों, संपत्तियाँ, विदेशी मुद्राएं (विदेशी मुद्रा विनिमय या फॉरेक्स) आदि. विदेशी पोर्टफोलियो निवेश में जोखिम और लाभ दोनों होते हैं, और इसे विवेकपूर्ण रूप से विचार करना अत्यंत महत्वपूर्ण है. विदेशी पोर्टफोलियो निवेश के लाभ और संभावित जोखिम ये हो सकते हैं.

लाभ

  • विविधता: यह विभिन्न विभागों और उद्यमों में निवेश करने का एक विकल्प प्रदान करता है, जिससे व्यक्ति का निवेश विविध बनता है.

  • संदर्भित लाभ: कुछ समयों पर, विदेशी बाजारों में निवेश से अधिक लाभ हो सकता है जिसे विदेशी मुद्रा में प्राप्त किया जा सकता है.

  • विवेकपूर्ण रुख: यदि कोई व्यक्ति या संगठन सोचता है कि विदेशी बाजार भारतीय बाजारों की तुलना में अच्छा है, तो उन्हें वहां निवेश कर सकते हैं.

जोखिम

  • विदेशी मुद्रा दरों का जोखिम: विदेशी मुद्रा दरों के परिवर्तन के कारण निवेशकों को नुकसान हो सकता है.

  • राजनीतिक और आर्थिक तनाव: विदेशी बाजारों को राजनीतिक और आर्थिक तनावों से प्रभावित होने का खतरा हो सकता है.

  • विदेशी विनिमय दरों का जोखिम: विदेशी मुद्रा में अचानक बदलाव निवेशकों को प्रभावित कर सकता है.

विदेशी निवेशक कैसे करते हैं निवेश

विदेशी पोर्टफोलियो निवेश एक निवेश का प्रकार है जिसमें व्यक्ति या निवेशक विदेशी बाजारों में निवेश करते हैं. इसमें व्यक्ति विदेशी संयुक्त निवेश तंत्र, जैसे कि विदेशी स्टॉक्स, विदेशी बोंड्स, विदेशी म्यूचुअल फंड्स, विदेशी ETFs (Exchange-Traded Funds) आदि में निवेश कर सकते हैं. विदेशी पोर्टफोलियो निवेश का मुख्य उद्देश्य निवेशकों के लिए वित्तीय विविधता और निवेश के अवसरों को बढ़ाना होता है. यह उनके पोर्टफोलियो को विविध करने में मदद करता है और ग्लोबल बाजारों के मूवमेंट का लाभ उठाने की अनुमति देता है. विदेशी निवेशक कई प्रकार के होते हैं.

  • विदेशी स्टॉक्स: इसमें विदेशी शेयर खरीदना और बेचना शामिल होता है. यह एक देश के विदेशी बाजारों में विभिन्न कंपनियों के स्टॉक्स के माध्यम से किया जा सकता है.

  • विदेशी बोंड्स: विदेशी बोंड्स के माध्यम से निवेशक विदेशी सरकारों या कंपनियों को ऋण देते हैं और उनसे ब्याज वसूलते हैं.

  • विदेशी म्यूचुअल फंड्स: विदेशी म्यूचुअल फंड्स निवेशकों के पैसे को विभिन्न विदेशी निवेशों में वितरित करते हैं और निवेशकों के लिए प्रोफेशनल फंड मैनेजर्स द्वारा प्रबंधित किए जाते हैं.

  • विदेशी ETFs: विदेशी ETFs विदेशी स्टॉक बाजार के इंडेक्स की प्रतिस्पर्धात्मक मूल्य की वृद्धि का परिचय कराते हैं.

Disclaimer: शेयर बाजार से संबंधित किसी भी खरीद-बिक्री के लिए प्रभात खबर कोई सुझाव नहीं देता. हम बाजार से जुड़े विश्लेषण मार्केट एक्सपर्ट्स और ब्रोकिंग कंपनियों के हवाले से प्रकाशित करते हैं. लेकिन प्रमाणित विशेषज्ञों से परामर्श के बाद ही बाजार से जुड़े निर्णय करें.

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