सरायकेला खरसावां, शचिंद्र कुमार दाश : खादी के कपड़े कभी बुजुर्गों के पसंदीदा कपड़े हुआ करते थे. परंतु अब खादी केवल बुजुर्गों की पसंद नहीं रह गयी है. अब युवाओं में भी इसके प्रति क्रेज देखा जा रहा है. कलरफुल व फैशनेबल होने के बाद खादी के कपड़े युवाओं को पसंद आ रहे हैं. राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने खादी को राष्ट्रीयता की भावना से जोड़ते हुए इसे हर गांव, हर घर तक पहुंचाने का सपना देखा था. हाल के दिनों में युवाओं में भी खादी की मांग बढ़ी है. खादी बोर्ड के खादी इंपोरियम में बड़ी संख्या में युवा खादी के वस्त्रों की खरीदारी करने पहुंच रहे हैं. गांधी जयंती से लेकर दुर्गा पूजा, दीपावली को लेकर खादी के भंडारों में कपड़ों का विशेष कलेक्शन रहता है. बताया जाता है कि खादी के कपड़े न सिर्फ सादगी लुक देता है, बल्कि इसकी खासियत यह है कि आप इसे किसी भी मौसम में पहन सकते हैं. गर्मी के खादी के कपड़े आरामदायक होते हैं, तो सर्दी में यह गर्माहट देते हैं.
हमेशा फैशन ट्रेंड में रहता है खादी, बाजार में मांग के अनुसार बनते हैं कपड़े
खादी में तरह-तरह के डिजाइनर कपड़ों की भरमार है, जिसे हर वर्ग के लोग पसंद कर रहे हैं. इसका क्रेज अब युवाओं में भी देखा जा रहा है. खादी के कपड़ों के लेटेस्ट डिजाइन में शर्ट, कुर्ता, लॉन्ग कुर्ती, प्लाजो, एंकर लेंथ पैंट, लेडिज बंडी की काफी मांग है. साड़ी की बात करें, तो खादी सिल्क में कई वेराइटी उपलब्ध हैं. कहा जाता है कि खादी हमेशा फैशन ट्रेंड में रहता है. बाजार में मांग के आधार पर कपड़ों की डिजाइनिंग की जाती है.
खरसावां, कुचाई व चांडिल में तैयार होता है खादी के कपड़े
खरसावां के आमदा स्थित खादी पार्क तथा चांडिल व कुचाई स्थित उत्पादन केंद्रों में कटिया सिल्क के कपड़े तैयार होते हैं. यहां खादी के सुती कपड़ों से लेकर सिल्क के कपड़ों की बुनाई होती है. साथ ही डिजाइनिंग व फैब्रिक का काम बाहर में होता है. देवघर के भगैया से लेकर देश के दूसरे प्रातों में भी खादी के कपड़े तैयार होते है. ये कपड़े भी झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के आउटलेट में उपलब्ध है. बंडी, तसर सिल्क साड़ी, कुर्ता-पायजेमा, महिला कर्ती, स्टॉल, सूट सेट, डोकरा उत्पाद, टेराकोटा उत्पाद आदि खादी के विशिष्ट उत्पाद है.
अपनी खुशियों में खादी को स्थान दें, ताकि गांधी जी के विचारों को सम्मान मिले : बेसरा
झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के सीइओ राखाल चंद्र बेसरा ने कहा कि हाल के वर्षों में देश के साथ साथ विश्व बाजार में भी खादी के कपड़ों की मांग है. बाजार में मांग के अनुसार फैसेनवल खादी के कपड़ों का कलेक्शन तैयार होता है. युवाओं में विशेष फोकस है. खादी के कलरफुल व अलग अलग वैटाइटी के कपड़े हर वर्ग के लोगों के लिए उपलब्ध है.
देश भर में झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के 17 केंद्रों में खादी के कपड़ों की बिक्री हो रही है. साथ ही ऑन लाइन भी खादी के कपड़ों की खरीदारी की जा सकती है. गांधी जयंती से खादी के कपड़ों पर विशेष छूट दी जा रही है. आगामी उत्सवों में खादी के रंगों को अपने जीवन में शामिल करें. देश को आत्मनिर्भर बनाएं. अपनी खुशियों में खादी को स्थान दें, ताकि गांधी जी के विचारों को सम्मान मिले.
खादी को बढ़ावा देने के लिए कपड़ों पर विशेष छूट
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती के मौके झारखंड राज्य खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड अपने कपड़ों पर भारी छूट दे रहा है. इसका सभी को इंतजार रहता है. गांधी जयंती पर खादी इंपोरियम में खादी के कपड़ों पर 20 से 25 फीसदी तक की विशेष छूट मिलेगी. कपड़ों पर खादी बोर्ड की ओर से विशेष छूट की घोषण की गयी है. रेडीमेड गार्मेंट, सिल्क, बंडी, शर्ट आदि पर 25 फीसदी एवं रेशमी साड़ी, सूती थान, पॉली वस्त्र, कंबल, ऊंची चादर, लुंगी, गमछा, चादर आदि पर 20 फीसदी की छूट मिलेगी. खादी बोर्ड के आउटलेट में 2,300 से लेकर 14,000 तक की सिल्क की साड़ी उपलब्ध है. पहली बार महिलाओं के लिए रेशमी बंडी आई है. यह काफी पसंद की जा रही है. इस पर भी 25 प्रतिशत छूट दी जा रही है. इसके अलावा तसर सिल्क, मोदी बंडी, मोदी कुर्ता, शर्ट आदि की नई रेंज भी है.