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दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में बरेली 74वें स्थान पर, टॉप 100 में बदायूं, पीलीभीत और शाहजहांपुर भी शामिल

बरेली का एक्यूआई काफी बढ़ने लगा है. सोमवार आधी रात को बरेली का AQI 116 था, जो काफी चिंताजनक है. बरेली में धूल और धुएं से AQI बढ़ा है. शहर के कुतुबखाना में काफी समय से ओवरब्रिज का निर्माण चल रहा है. इसके भी बरेली का AQI बढ़ रहा है. यहां निर्माण कार्य के चलते सुबह से लेकर रात धूल उड़ती है.

Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली की हवा जहरीली हो गई है. बरेली दुनिया के 100 प्रदूषित शहरों में शामिल हो गया है. यह काफी चिंताजनक है. बरेली टॉप 100 में 74वें स्थान पर आ गया है. यहां का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) मंगलवार सुबह 116 था, जो बेहद खराब स्थिति में है. शहर के सिविल लाइंस की हवा सबसे अधिक खराब हैं. यहां का AQI 152, सुभाष नगर का 147 और राजेंद्र नगर का 82 है. इसमें राजेंद्र नगर का AQI कुछ बेहतर है. यहां सांस ली जा सकती है. हालांकि, दुनिया के टॉप 100 प्रदूषित शहरों में बरेली के साथ ही पीलीभीत, बदायूं और शाहजहांपुर भी शामिल हैं. इसमें बदायूं 76, पीलीभीत 77 और शाहजहांपुर 78वें स्थान पर है. टॉप 100 में जौनपुर, मेरठ, और लखनऊ समेत कई शहर शामिल हैं.

धुएं और धूल से बढ़ा प्रदूषण

बरेली का एक्यूआई काफी बढ़ने लगा है. सोमवार आधी रात को बरेली का AQI 116 था, जो काफी चिंताजनक है. बरेली में धूल और धुएं से AQI बढ़ा है. शहर के कुतुबखाना में काफी समय से ओवरब्रिज का निर्माण चल रहा है. इसके भी बरेली का AQI बढ़ रहा है. यहां निर्माण कार्य के चलते सुबह से लेकर रात धूल उड़ती है.

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19.5 फीसद होनी चाहिए ऑक्सीजन

हर इंसान को ऑक्सीजन की जरूरत होती है. इसकी कमी से स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने लगता है. सांस लेने वाली हवा का ऑक्सीजन स्तर 19.5 प्रतिशत ऑक्सीजन होना चाहिए. इसके नीचे ऑक्सीजन जाने से नुकसान होता है. एक्यूआई बढ़ने से बच्चों और बुजुर्गों की सेहत पर काफी असर पड़ रहा है. ऐसे में घरों से निकलने में एहतियात बरतने की जरूरत है. लोगों में स्वास्थ्य संबंधी समस्या हो सकती है. डॉक्टर एन-95 मास्क लगाकर घर से निकलने की सलाह दे रहे हैं. क्योंकि, बरेली में सांस के मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हुआ है.

यह होना चाहिए एक्यूआई

0 से 50 AQI है, तो यह बहुत अच्छी बात है. इससे सेहत पर कम असर होता है. 51-100 AQI भी ठीक है, लेकिन संवेदनशील लोगों को सांस की हल्की दिक्कत हो सकती है. 101 के बाद ठीक नहीं है. 101 से 200 AQI से फेफड़ा, दिल और अस्थमा मरीजों को सांस में दिक्कत होती है. 201-300 AQI काफी खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर किसी को भी सांस में दिक्कत होना तय है. 301-400 AQI बहुत खराब है. लंबे समय तक ऐसे वातावरण में रहने पर सांस की बीमारी का खतरा होता है. 401-500 AQI सबसे अधिक खतरनाक है.इंसान की सेहत पर सबसे अधिक खराब होती है.

वायु प्रदूषण से सांस संबंधी बीमारियां

वायु प्रदूषण का सबसे अधिक असर हमारे फेफड़ों पर होता है. दरअसल, प्रदूषित कणों से इंसान के फेफड़ों में जाने वाली नली को नुकसान पहुंचता है. जिसके चलते नली पतली होती चली जाती है और इसका असर फेफड़े और इसके आस-पास की मांसपेशियों पर पड़ता है.वायु प्रदूषण से स्वस्थ व्यक्तियों में भी अस्थमा जैसी बीमारियां घर कर सकती है. इसके अलावा निमोनिया, दमा और लंग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियां भी वायु प्रदूषण से होती है.

कई बीमारियों की जड़ है प्रदूषण

  • किडनी संबंधी बीमारी

    डॉक्टरों के मुताबिक, वायु प्रदूषण के कारण नेफ्रोपैथी नामक बीमारी भी घर कर सकती है. इसका सीधा संबंध किडनी से होता. इसके अलावा प्रदूषित वायु में पाए जाने वाले कार्बन से किडनी डैमेज का भी खतरा बन जाता है.

  • दिल पर भी वार करते हैं प्रदूषित कण

    स्वस्थ व्यक्तियों के लिए सबसे जरूरी ऑर्गन हार्ट होता है और वायु प्रदूषण फेफड़ों और किडनी के अलावा दिल पर भी वार करता है. वायु प्रदूषण से दिल की गंभीर बीमारियां हो सकती हैं. ऐसे में वायु प्रदूषण में इजाफा के चलते धड़कनों का असंतुलित होना, हार्ट फेल होना और हाइपरटेंशन जैसी जानलेवा बीमारियां हो सकती हैं. इन समस्याओं के लक्षण शरीर पर दिखाई देने लग जाते हैं.

  • दिमाग पर भी पड़ता है असर

    प्रदूषित हवा का असर हमारे दिमाग पर भी पड़ता है. डॉक्टरों के मुताबिक उम्रदराज लोगों और बुजुर्गों के मस्तिष्क पर प्रदूषित के कण हमला करते है. इससे उन्हें बोलने के लिए संघर्ष करना पड़ता है और आसान गणित के सवालों को सुलझाने में भी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

  • प्रदूषित हवा का प्रेग्नेंसी में असर

    दूषित हवा और प्रदूषण गर्भवती महिलाओं को भी अपने निशाने पर लेता है. जहरीली सांस लेने का असर गर्भ पर भी होता है. इससे प्री-मेच्योर डिलीवरी का खतरा बन जाता है. इसके अलावा जन्म के समय बच्चे का वजन कम रह सकता है, जिससे कुपोषण जैसी गंभीर समस्याएं हो सकती है.

  • त्वचा की दुश्मन प्रदूषित हवा

    इंसान की त्वचा में रूखापन, जलन, रेडनेस और एक्जिमा जैसी तकलीफें आपको हो रही हैं, तो समझ जाए कि वायु प्रदूषण आपकी त्वचा पर वार कर रहा है. प्रदूषित हवा में मौजूद कणों की वजह से त्वचा काफी प्रभावित हो सकती है.

  • कैंसर का भी कारण हो सकता है वायु प्रदूषण

    वायु प्रदूषण, सेकेंड हैंड स्मोक, रेडान, अल्ट्रावायलेट रेडिएशन, एस्बेस्टस के अलावा, कुछ केमिकल समेत अन्य प्रदूषक तत्वों के संपर्क में आने से कैंसर का भी खतरा हो सकता है. यह कैंसर जानलेवा साहित हो सकता है.

प्रदूषण से बचाव के तरीके

डॉक्टरों का मानना है कि अगर आपको वायु प्रदूषण से बचाव करना है, तो मास्क का उपयोग करना होगा. इसके अलावा पर्याप्त पानी पीना और बेवजह बाहर घूमने से भी बचना पड़ेगा. इन सब उपायों के बाद ही वायु प्रदूषण से होने वाली बीमारियों पर काबू पाया जा सकता है. इसके अलावा अगर घर के अंदर वायु प्रदूषण को रोकना है, तो आपको किचन के अंदर चिमनी और वाशरूम में एग्जास्ट फैन का इस्तमाल करना होगा, जिससे घर में पर्याप्त मात्रा में वेंटिलेशन होता रहे.

रिपोर्ट- मुहम्मद साजिद, बरेली

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