Gorakhpur News: उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जनपद में एम्स (Gorakhpur Aims) दलालों के चंगुल में फंस गया है. दलालों की पैठ के आगे मरीज और तीमारदार चाहकर भी कुछ नहीं कर पा रहे हैं. ताजा प्रकरण में हड्डी रोग विभाग में इंप्लांट की दलाली का मामला सामने आया है. आरोप लगे हैं कि डॉक्टर ही मरीज के तीमादार को दलाल का नंबर देते हैं, जहां से तीमारदार इंप्लांट प्राप्त करता है, लेकिन उसे रसीद नहीं दी जाती है. इसके बदले दलाल मरीज के तीमारदारों से मोटी रकम वसूलते हैं. इसका वीडियो भी वायरल हुआ है, इसके बाद एम्स प्रशासन हरकत में आया और एक दलाल के प्रवेश पर रोक लगा दी गई है. इसके साथ ही दलाली पर रोक लगाने के लिए एम्स प्रशासन ने पांच बिंदुओं का आदेश जारी किया है. एम्स प्रशासन के इस एक्शन के बाद थोड़ी हलचल जरूरी हुई है, लेकिन जिस पैमाने पर दलालों ने सिस्टम में अपनी जड़ें जमा ली हैं, उससे ये एक्शन लंबे समय तक असरदार होगा, इसकी संभावना बेहद कम ही है.
इस बीच गोरखपुर एम्स प्रशासन ने पांच बिंदुओं का जो आदेश जारी है, उसमें एक अहम बिंदु यह है कि अमृत फार्मेसी को इंप्लांट उपलब्ध कराने की अनुमति दी गई है. इसके साथ ही प्रत्येक प्रकार के इंप्लांट के लिए टेंडर प्रक्रिया से दर व आपूर्ति तय की जाएगी. वहीं इंप्लांट की दलाली का मामला सामने आने के बाद एम्स की हड्डी रोग विभाग के ज्यादातर बेड खाली हैं. 30 बेड के वार्ड में लगभग 9 रोगी भर्ती है. इनमें भी ज्यादातर सामान्य रोगी हैं, जिन्हें ऑपरेशन की जरूरत नहीं है. जबकि एक सप्ताह पहले ज्यादातर बेड़ों पर रोगी भर्ती रहते थे. कई बार बेड नहीं मिलने की स्थिति होती थी, जबकि अब बेड ज्यादा और मरीज आधे रह गए हैं.
वहीं इस मामले में एम्स के मीडिया प्रभारी पंकज श्रीवास्तव ने इससे इनकार किया कि डॉक्टर और दलालों की मिलीभगत से या काम हो रहा है. लेकिन उन्होंने यह स्वीकार किया है कि खामी मिली है. कुछ कमियां पाई गई हैं. कहा गया है कि वार्ड नर्सिंग अधिकारी को प्रत्येक कृतिम अंग के बिल और उसकी प्रति की जांच करनी चाहिए. इसे फाइल में संलग्न किया जाना चाहिए. कृत्रिम अंग की बिल की जांच व सत्यापन की जिम्मेदारी ऑपरेटिव नर्सिंग ऑफिसर-ओटी प्रभारी को दी गई है.
Also Read: UP Police Bharti 2023: यूपी पुलिस में 62 हजार पदों पर भर्ती के लिए OTR भरना जरूरी, जानें कैसे करना होगा आवेदन
एम्स की ओर से कहा गया है कि विभाग प्रमुख संकाय के बीच चर्चा के बाद कृतिम अंग के प्रकारों की सूची प्रदान करेंगे. कम से कम पांच आपूर्ति कर्ताओं के नाम का सुझाव दिया जाएगा, जिनमें एक मेक इन इंडिया होना चाहिए. प्रतिदिन ऑपरेशन की सूची चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय और कार्यकारी निदेशक के पास जमा करनी होगी. मीडिया प्रभारी एम्स पंकज श्रीवास्तव ने सी आर्म्स मशीन को लेकर बताया कि यह ठीक से काम नहीं कर रही इसलिए इसकी मरम्मत कराई जा रही है. मशीन ठीक होते ही सर्जरी शुरू कर दी जाएगी. उन्होंने बताया कि ओपीडी में रोगी देखे जा रहे हैं और उनकी लोगों के निदान के लिए उचित कदम उठाए जा रहे हैं.
बताते चलें कि गोरखपुर एम्स में दलालों के खेल का वीडियो वायरल होने से पहले ऑपरेशन के लिए 30 से 50 हजार रुपए तक वसूले जा रहे थे. इसके बाद भी इसकी कोई रसीद नहीं दी जा रही हथी. लिगामेंट का ऑपरेशन करने वाले रजही के अभय चौहान से 47000 रुपए लिए गए. वहीं बिहार राज्य के सिवान के रहने वाले करिश्मा कुमारी के परिजनों से 50000 रुपए जमा करवाया गया. दोनों लोगों को इसकी रसीद नहीं दी गई. इस खुलासे के बाद कई सवाल उठे हैं, डॉक्टरों की कार्यप्रणाली भी सवालों के घेरे में आ गई है. ये खेल कुछ देर के लिए थमा जरूर है, लेकिन इस पर पूरी तरह से रोक लगना मुश्किल नजर आ रहा है.