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घाना में राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन, आम सभा में स्पीकर रबींद्रनाथ महतो ने किया झारखंड का प्रतिनिधित्व

राष्ट्रमंडल की स्थापना एक कल्याणकारी संस्था के रूप में 1929 में की गयी थी और शुरुआत में वे स्वशासित देश जो ब्रिटिश सम्राट को अपना संप्रभु मानते थे, राष्ट्रमंडल के सदस्य थे. 1929 में भारत का प्रतिनिधित्व तेज प्रताप सप्रू ने किया था.

रांची: राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन की आम सभा का आयोजन किया गया. आम सभा में खाद्य सुरक्षा विषय पर चर्चा की गयी. झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ने आम सभा में झारखंड का प्रतिनिधित्व किया. राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन अगले वर्ष नवंबर में आस्ट्रेलिया के सिडनी में होगा. आपको बता दें कि स्पीकर रबींद्रनाथ महतो 66वें राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन में भाग लेने को लेकर घाना की राजधानी अक्रा के छह दिवसीय दौरे पर हैं. पिछले दिनों झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने कहा था कि भारत और घाना विश्व में लोकतंत्र के ध्वजवाहक हैं. विश्व में शांति और भाईचारे को बढ़ाने में संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान का अहम योगदान है. उन्होंने कहा था कि राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन विश्व का सबसे पुराना एवं सबसे बड़ा संसदीय राष्ट्रों का गठबंधन है. पूरे विश्व में संसदीय व्यवस्था को और कारगर व लोक हितकारी बनाने में इसका महत्वपूर्ण योगदान है.

स्पीकर ने की आम सभा की अध्यक्षता

राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन की आम सभा की अध्यक्षता घाना की संसद के स्पीकर अल्बान सुमाना किग्सफॉर्ड बागबिन ने की. राष्ट्रमंडल के महासचिव स्टीफन ट्विग ने बताया कि राष्ट्रमंडल को विधायी स्वरूप देने की सहमति कनाडा में हुई पिछली आम सभा में दी गयी थी. राष्ट्रमंडल सचिवालय द्वारा उसके लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है. सचिवालय के माध्यम से ब्रिटिश सरकार को इस बात से अवगत करा दिया गया है कि अगर अगले 6 महीने में राष्ट्रमंडल को विधायी स्वरूप प्रदान नहीं किया गया, तो राष्ट्रमंडल का मुख्यालय ब्रिटेन से हटा कर किसी अन्य देश में ले जाया जाएगा.

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1929 में तेज प्रताप सप्रू ने किया था भारत का प्रतिनिधित्व

उल्लेखनीय है कि राष्ट्रमंडल की स्थापना एक कल्याणकारी संस्था के रूप में 1929 में की गयी थी और शुरुआत में वे स्वशासित देश जो ब्रिटिश सम्राट को अपना संप्रभु मानते थे, राष्ट्रमंडल के सदस्य थे. 1929 में पराधीन भारत का प्रतिनिधित्व तेज प्रताप सप्रू ने किया था. आजादी के बाद भारत ने राष्ट्रमंडल में रहना इस शर्त पर स्वीकार किया कि वह राष्ट्रमंडल में तो रहेगा परंतु ब्रिटिश सम्राट की संप्रभुता स्वीकार नहीं करेगा. इस प्रकार भारत ने एक गणतंत्र के रूप में राष्ट्रमंडल की सदस्यता स्वीकार की. तब से अबतक राष्ट्रमंडल के स्वरूप में काफी परिवर्तन आया है. बहुत से ऐसे देश जो ब्रिटिश उपनिवेश नहीं थे, वे भी राष्ट्रमंडल के सदस्य हैं.

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अगले साल आस्ट्रेलिया के सिडनी में होगा सम्मेलन

ब्रिटिश सम्राट राष्ट्रमंडल के संरक्षक हैं और राष्ट्रमंडल का स्वरूप एक कल्याणकारी संस्था का है और इसका संचालन सदस्यों द्वारा दी गयी सहयोग राशि से होती है. इसे कानूनी स्वरूप प्रदान किये जाने से इसे वित्तीय स्वायत्तता मिलेगी और इसे ज्यादा प्रभावी बनाया जा सकेगा. आम सभा में खाद्य सुरक्षा विषय पर चर्चा की गयी. झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबीन्द्रनाथ महतो ने आम सभा में झारखंड का प्रतिनिधित्व किया. राष्ट्रमंडल संसदीय संघ का अगला सम्मेलन अगले वर्ष नवंबर में आस्ट्रेलिया के सिडनी में होगा.

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घाना में राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन का आयोजन

पिछले दिनों झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष रबींद्रनाथ महतो ने कहा था कि भारत और घाना विश्व में लोकतंत्र के ध्वजवाहक हैं. विश्व में शांति और भाईचारे को बढ़ाने में संयुक्त राष्ट्र संघ के पूर्व महासचिव कोफी अन्नान का अहम योगदान है. उन्होंने कहा था कि राष्ट्रमंडल संसदीय सम्मेलन विश्व का सबसे पुराना एवं सबसे बड़ा संसदीय राष्ट्रों का गठबंधन है. पूरे विश्व में संसदीय व्यवस्था को और कारगर व लोक हितकारी बनाने में इसका महत्वपूर्ण योगदान है. आपको बता दें कि स्पीकर रबींद्रनाथ महतो 66वें राष्ट्रमंडल संसदीय संघ के सम्मेलन में भाग लेने को लेकर घाना की राजधानी अक्रा के छह दिवसीय दौरे पर हैं. उन्होंने भारत घाना कोफी अन्नान सूचना प्रौद्योगिकी केंद्र पर अवस्थित महात्मा गांधी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की थी.

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