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एस सिद्धार्थ ने पहली बार बगैर को-पायलट के उड़ाया प्लेन, नीतीश कुमार के प्रधान सचिव ने कहा- सच हो गया सपना

एस सिद्धार्थ ने कहा कि 5 अक्टूबर को एस सिद्धार्थ ने कहा कि हवा में अकेले उड़ना एक सपने के सच होने जैसा था. बचपन में मैं हमेशा विमान उड़ाने का सपना देखता था. आज जिंदगी का सपना सच हो गया. सिद्धार्थ ने कहा कि 40 साल पहले उन्होंने पहली बार अपने स्कूल के एक ग्रुप के साथ एयर इंडिया से यात्रा किया था.

पटना. बिहार के सीनियर आईएएस अधिकारी एस सिद्धार्थ ने बगैर किसी को-पायलट के विमान उड़ाया है. इस संबंध में उन्होंने कहा कि 5 अक्टूबर को मैंने पहली बार अकेले विमान उड़ाना है. एस सिद्धार्थ ने कहा कि हवा में अकेले उड़ना एक सपने के सच होने जैसा था. बचपन में मैं हमेशा विमान उड़ाने का सपना देखता था. आज जिंदगी का सपना सच हो गया. सिद्धार्थ ने कहा कि 40 साल पहले उन्होंने पहली बार अपने स्कूल के एक ग्रुप के साथ एयर इंडिया से यात्रा किया था. 40 साल बाद मैंने खुद विमान उड़ाया. विमान में अकेले बैठना और उसे उड़ाना एक ऐसा अनुभव है जिसे व्यक्त नहीं किया जा सकता.

सबसे पावरफुल आईएएस अधिकारियों में हैं एस सिद्धार्थ

डॉ. एस.सिद्धार्थ 1991 बैच के भारतीय प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं. उन्होंने आईआईटी, दिल्ली से सूचना प्रौद्योगिकी में डॉक्टरेट की डिग्री हासिल की है. 1987 में उन्होंने आईआईटी , दिल्ली से कंप्यूटर विज्ञान और इंजीनियरिंग में बीटेक किया था. सिद्धार्थ आईआईएम, अहमदाबाद से 1989 में एमबीए भी कर चुके हैं. उन्होंने बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से अर्थशास्त्र में अपनी दूसरी पीएचडी भी की है. एस सिद्धार्थ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के प्रधान सचिव के साथ साथ गृह और कैबिनेट विभाग के अपर मुख्य सचिव भी हैं. उन्हें बिहार का सबसे पावरफुल आईएएस अधिकारी माना जाता है.

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मेरे लिए जुनून की तरह था पेपर प्लेन उड़ाना

एस सिद्धार्थ ने अपने बचपन के शौक को पूरा करने के लिए हवाई जहाज उड़ाने की ट्रेनिंग ली और आखिरकार अपने सपने को पूरा कर लिया. उन्होंने बताया कि मैंने पहली बार अकेले विमान चलाया. हवा में अकेले उड़ना एक सपने के सच होने जैसा था. सिद्धार्थ ने कहा कि बचपन में मैं हमेशा विमान उड़ाने का सपना देखता था. अपने मैकेनो-किट का उपयोग करके मैं धातु के हवाई जहाज बनाता था और एक डोरी की मदद से उसे चारों ओर घुमाता था, इस उम्मीद में कि वह उड़ जाएगा, बचपन में मेरे लिए पेपर प्लेन से लेकर पतंग उड़ाना एक जुनून की तरह था.

बगैर को पायलट के भरी उडान

अकेले विमान उड़ाने वाले एस सिद्धार्थ ने कहा कि हवाई जहाज उड़ाते समय जब आपके पास एक सह-पायलट होता है तो चीजें आसान हो जाती हैं. आपका को-पायलट भी कुछ काम को संभालता है और मशीन पर हो रही गतिविधियों की चर्चा करता रहता है, लेकिन जब अकेले प्लेन उड़ाना होता है तो आपको फ्लाइट कंट्रोल के साथ-साथ रेडियो ट्रांसमिशन समेत हर चीज का ध्यान रखना होता है.

पायलट बनने की ली ट्रेनिंग

एस सिद्धार्थ ने कहा कि पायलट बन कर हवाई जहाज उड़ाने से पहले बहुत कुछ पढ़ना, परीक्षा उत्तीर्ण करना जरूरी होता है. मैंने नौकरी के दौरान ट्रेनिंग ली. यह मुझे स्कूल और कॉलेज के दिनों में वापस ले गया, जब किसी चीज को पढ़ना, सीखना, याद रखना और दोहराना होता है. ये काम इस उम्र में मुश्किल हो जाता है, लेकिन मेरा हमेशा से विश्वास रहा कि उम्र चाहे कुछ भी हो, सीखना कभी नहीं रुकता. लोगों की शुभकामनाएँ मुझे आगे बढ़ाती रहती हैं.

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