Deoghar News: खाद्य आपूर्ति मंत्रालय द्वारा संताल परगना के सभी जिलों से मॉरीशस भेजने के लिए 14 हजार क्विंटल चावल एफसीआइ के माध्यम से मांगा गया था, लेकिन संताल परगना के किसी भी जिले से चावल उपलब्ध नहीं हो पाया. केंद्र की योजना पैक्सों के माध्यम से सरकारी स्तर पर चावल खरीदकर मॉरीशस निर्यात करने की थी. देवघर जिला सहकारिता कार्यालय से सभी पैक्सों से चावल मांगी गयी थी, लेकिन सरकारी स्तर पर चावल उपलब्ध नहीं हो पाया. अधिकांश जगहों से रिपोर्ट आयी कि पिछले वर्ष सुखाड़ की वजह से चावल की कमी हो गयी है. इस कारण इतने बड़े पैमाने पर चावल की आपूर्ति संभव नहीं है. सहकारिता कार्यालय ने एफसीआइ के माध्यम से मंत्रालय को रिपोर्ट भेज दी है कि पिछले वर्ष सुखाड़ की वजह से जिले में चावल का उत्पादन लक्ष्य से काफी कम हुआ. इस कारण चावल की आपूर्ति नहीं हो पायेगी. यही रिपोर्ट स्थिति संताल परगना के अन्य जिलों से भी भेजी गयी है.
पिछले वर्ष से केंद्र ने चावल के निर्यात पर लगायी है रोक
बढ़ती महंगाई को देखते हुए सितंबर 2022 से भारत सरकार ने व्यापारिक तौर पर विदेशों में चावल के निर्यात पर रोक लगा दी है. कोई भी राइस मिल या अन्य व्यापारी समुद्री मार्ग से चावल विदेशों में नहीं भेज सकते हैं. इसके बाद से एशिया के कई देशों में चावल की कमी हो गयी है. मॉरिशस से चावल के डिमांड होने पर भारत सरकार ने पश्चिम बंगाल के हल्दिया बंदरगाह के नजदीक संताल परगना के जिलों से सरकारी स्तर से चावल की निर्यात की योजना बनायी थी, लेकिन संताल परगना में चावल की कमी से आपूर्ति नहीं हो पायी. वहीं सूत्रों के अनुसार, केंद्र सरकार से रोक होने के बावजूद संताल परगना व पश्चिम बंगाल के कुछ जिलों से व्यापारिक व निजी तौर पर ट्रकों के जरिये चावल हल्दिया भेजा जा रहा है. इसके बाद हल्दिया बंदरगाह से अवैध रूप से जहाज के माध्यम से चावल विदेशों में भेजे जा रहे हैं.
केंद्र सरकार से मॉरीशस चावल निर्यात के लिए 14 हजार क्विंटल चावल की डिमांड की गयी थी, लेकिन पिछले वर्ष सुखाड़ की वजह से पैक्सों में चावल की उपलब्धता कम पड़ गयी. चावल की कमी रहने की वजह से खाद्य आपूर्ति मंत्रालय को चावल उपलब्ध नहीं कराया जा सका है. इसकी रिपोर्ट झारखंड के उच्चाधिकारियों व एफसीआइ को भेज दी गयी है.
महादेव मुर्मू, डीसीओ, देवघर