Aaj Ka Panchang 09 अक्तूबर सोमवार 2023: पंचांग (Panchang) का खास महत्व है. पंचांग के जरिए शुभ दिन, शुभ मुहूर्त, शुभ योग, दिन के अशुभ समय, ग्रहों की स्थिति आदि का पता चलता है. पंचांग से दिशाशूल, सूर्योदय, चंद्रोदय, सूर्यास्त, चंद्रास्त आदि के बारे में भी जानकारी मिलती है. इसके जरिए शुभ कार्य का समय जाना जा सकता है, साथ ही किस समय व्यक्ति को सावधान रहना चाहिए, इसका भी पता चलता है. सनातन परंपरा में किसी भी शुभ या मांगलिक कार्य को शुरू करने से पहले शुभ मुहूर्त पर विशेष ध्यान दिया जाता है. मान्यता है कि शुभ मुहूर्त के दौरान किए गए कार्य से व्यक्ति को विशेष लाभ मिलता है. यह परंपरा पौराणिक काल से चली आ रही है. वैदिक शास्त्र के अनुसार, शुभ मुहूर्त वह विशेष समय होता है, जब सौरमंडल में ग्रह और नक्षत्र की स्थिति वशिष्ठ कार्य के लिए शुभ होती है. यही कारण है कि बाधा और समस्याओं को दूर रखने के लिए शुभ मुहूर्त का पालन किया जाता है. पंचांग के मुताबिक आज पितृपक्ष की नवमी का श्राद्ध है. इस दौरान लोग अपने पितरों का श्राद्ध करने के लिए काशी, प्रयागराज जैसे तीर्थस्थल पहुंच रहे हैं. इस दौरान गंगा स्नान का विशेष महत्व है. आज 8 अक्टूबर 2023 दिन सोमवार का पंचांग (Monday Panchang) क्या कहता है.
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आश्विन कृष्ण पक्ष दशमी दिन -01:32 उपरांत एकादशी
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श्री शुभ संवत-2080, शाके-1945, हिजरी सन-1444-45
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सूर्योदय-05:45
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सूर्यास्त-05:29
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सूर्योदय कालीन नक्षत्र- श्लेषा समस्त उपरांत श्लेषा , योग – सिद्ध ,करण-भ.
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सूर्योदय कालीन ग्रह विचार-सूर्य- कन्या, चंद्रमा-कर्क, मंगल-तुला, बुध- कन्या, गुरु-मेष, शुक्र-सिंह, शनि-कुंभ, राहु-मेष, केतु-तुला
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प्रातः 06:00 से 07:30 अमृत
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प्रात:07:30 से 09:00 तक काल
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प्रातः 09:00 से 10:30 तक शुभ
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प्रातः 10:30 से 12:00 रोग
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दोपहर:12:00 से 01:30 उद्वेग
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दोपहरः 01:30 से 03:00 तक चर
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दोपहरः 03:00 से 04:30 तक लाभ
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शामः 04:30 से 06:00 तक अमृत
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उपायः प्रतिदिन सुबह और शाम घर में संध्यावंदन के समय कर्पूर जरूर जलाएं.
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आराधनाः ऊं जयन्ती मङ्गलाकाली भद्रकाली कपालिनी। दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते
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खरीदारी के लिए शुभ समयः
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शामः 04:30 से 06:00 तक
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राहु काल: प्रातः काल 7:30 से 9:00 बजे तक
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दिशाशूल-पूर्व एवं आग्नेय
धार्मिक मान्यता के मुताबिक आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि के दिन अगर जातक अपने पितरों का तर्पण करते हैं तो उन्हें मोक्ष की प्राप्ति होती है. इस दिन पितरों को पिंडदान करने से सात पीढ़ियों के पितर को बैकुंठ की प्राप्ति होती है. यह दिन पूर्वजों को समर्पित होता है. इस दिन पितर पृथ्वी पर आते हैं. साथ ही इस दिन भगवान विष्णु की भी पूजा का विधान है. यही वजह है कि लोग पालनहार से अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए प्रार्थना करते हैं. पितृपक्ष के दौरान किए गए श्राद्ध अनुष्ठान अत्यधिक लाभकारी होते हैं और पितृ अपने परिवार पर अपना आशीर्वाद बरसाते हैं. पितृ पक्ष में पितृ सूक्ष्म रूप में पृथ्वी पर आते हैं. अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध और तर्पण के माध्यम से वे प्रसाद प्राप्त करते हैं बदले में वे अपने परिवारों को सुख और समृद्धि का आशीर्वाद देते हैं.