नई दिल्ली : तेलंगाना विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक और प्रशासनिक तैयारियां जोरों पर है. राजनीतिक पार्टियों इस साल के चुनाव में जीत दर्ज करने के लिए जोर-आजमाइश कर रही हैं, तो निर्वाचन आयोग चुनावी प्रक्रिया पूरी कराने की तैयारी पूरी जोर-शोर के साथ कर रहा है. तेलंगाना विधानसभा चुनाव के लिए करीब-करीब सभी क्षेत्रीय और राष्ट्रीय राजनीतिक दलों ने अपने-अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है. निर्वाचन आयोग की ओर से चुनावी तिथियों की घोषणा के बाद तेलंगाना में विधानसभा की 119 सीटों पर मतदान कराए जाएंगे.
2018 में दूसरी बार सीएम बने थे केसीआर
बताते चलें कि तेलंगाना विधानसभा का कार्यकाल 16 जनवरी 2024 को समाप्त हो जाएगा. 2018 में तेलंगाना विधानसभा का चुनाव दिसंबर महीने में कराया गया था. इस चुनाव में तेलंगाना राष्ट्र समिति (अब भारत राष्ट्र समिति) 88 सीटों पर जीत दर्ज करने के बाद सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरकर सामने आई थी और के चंद्रशेखर राव यानी केसीआर दूसरी पर तेलंगाना के मुख्यमंत्री बने थे. पिछला चुनाव 7 दिसंबर, 2018 को हुआ था और मतों की गिनती के साथ 11 दिसंबर 2018 को नतीजे घोषित किए गए थे.
2018 में आठ महीने पर ही भंग कर दी गई थी विधानसभा
फाइनेंशल एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2018 में मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने तय कार्यक्रम से करीब आठ महीने पहले ही विधानसभा को भंग करने के बाद तेलंगाना में चुनाव कराने की मांग की थी. उन्होंने छह सितंबर 2018 को ही अपने सभी 105 उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी थी. केसीआर के इस कदम से राज्य में किसी दूसरे राजनीतिक दलों के पास बहुमत नहीं होने की स्थिति में राज्यपाल ने भी सदन को भंग करने की अनुशंसा कर दी थी. इसके बाद अप्रैल-मई में होने वाले वाले चुनाव को दिसंबर में ही कराना पड़ा था.
तेलंगाना विधानसभा में राजनीतिक दलों की क्या है स्थिति
2018 के विधानसभा चुनाव में 119 सीटों में से करीब 88 पर जीत हासिल करके तेलंगाना राष्ट्र समिति सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. इस चुनाव में पूर्व की तेलंगाना राष्ट्र समिति को कुल मतों में से करीब 49 फीसदी वोट मिले थे. इससे पहले 2014 के चुनाव में केसीआर की पार्टी को करीब 63 सीटों पर जीत मिली थी. अब अगर हम तेलंगाना में दलगत स्थिति की बात करें, तो इस समय तेलंगाना राष्ट्र समिति के पास 101 सीटें हैं. वहीं, कांग्रेस के पास पांच, भाजपा के पास तीन, एआईएमआईएम के पास सात, फॉरवर्ड ब्लॉक के पास एक और एक सीट निर्दलीय के पास है.
2018 से फिलहाल स्थिति में हुआ है बदलाव
हालांकि, 2018 के विधानसभा चुनाव के वक्त केसीआर की पार्टी के पास 88 सीटें थीं. वहीं, कांग्रेस के पास 19, भाजपा के पास एक, टीडीएस के पास दो, फॉरवर्ड ब्लॉक के पास एक, निर्दलीय के पास एक और एआईएमआईएम के पास सात सीटें थीं. इन पांच सालों के दौरान कांग्रेस और टीडीपी से टूटकर कई विधायक केसीआर की पार्टी और भाजपा में शामिल हो गए, जिससे 2018 के विधानसभा चुनाव की स्थिति से फिलहाल स्थिति कुछ बदल गई है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि इस बार के विधानसभा चुनाव में स्थिति 2018 के चुनाव से कुछ अलग हो सकती है.