पश्चिम बंगाल के राजभवन के सामने धारा 144 जारी रहने के बावजूद कैसे तृणमूल कांग्रेस ने वहां मंच बनाकर धरना शरू किया है. इसे लेकर विरोधी दल के नेता शुभेंदु अधिकारी ने सवाल उठाया था. शनिवार को केंद्रीय मंत्री निरंजन ज्योति ने भी यही सवाल उठाया था. अब राजभवन की ओर से मुख्य सचिव को इसे लेकर पत्र भेजा गया. राजभवन सूत्रों ने बताया कि मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी को पत्र भेजा गया है. सूत्रों के मुताबिक इस पत्र में तीन सवाल मुख्य रूप से उठाये गये हैं. यह पूछा गया है कि जब धारा 144 लागू है, तो क्या धरना मंच बनाने के लिए कोलकाता पुलिस ने कोई अनुमति दी थी.
यदि अनुमति दी गयी थी को किसने व किस कानून के तहत दी है. यदि अनुमति नहीं दी गयी है, तो पिछले चार दिनों से यहां धरना चल रहा है, पुलिस ने क्या कदम उठाया है. राजभवन की ओर से इसे लेकर जल्द जवाब देने को कहा गया है. दूसरी ओर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष सुकांत मजूमदार ने कहा कि राज्य में अभिषेक बनर्जी के सभी अवैध काम वैध हैं. पुलिस की भूमिका ने इसे साफ कर दिया है. यह सभी को समझना चाहिए कि संविधान सबके लिए बराबर है. वहीं, तृणमूल सांसद शांतनु सेन ने कहा कि तृणमूल लोगों को लेकर यहां नहीं आयी है. हक से वंचित लोग तृणमूल को लेकर यहां आये हैं. जो लोग नबान्न अभियान के नाम पर मुंगेर से हथियार लाकर पुलिस पर हमला करते हैं, पुलिस की गाड़ी में आग लगा दते हैं, उनके मुंह से इस तरह की बातें शोभा नहीं देती हैं.
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केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा राज्य की नगरपालिकाओं में हुईं नियुक्तियों में कथित अनियमितताओं से जुड़े जांच के सिलसिले में रविवार को शहरी विकास मंत्री फिरहाद हकीम और तृणमूल कांग्रेस के विधायक मदन मित्रा के आवासों सहित कोलकाता, उत्तर 24 परगना और नदिया के 12 जगहों पर छापेमारी की है. केंद्रीय जांच एजेंसी के इस अभियान को लेकर राज्य की सत्तारूढ़ पार्टी तृणमूल कांग्रेस की ओर से कहा गया है कि इसका उद्देश्य राजभवन के पास जारी आंदोलन से ध्यान भटकाना है. केंद्र सरकार की ओर से कथित तौर पर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) का बकाया पैसा रोके जाने के खिलाफ यहां राजभवन के बाहर तृणमूल कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और सांसद अभिषेक बनर्जी की अगुवाई में कार्यकर्ताओं का धरना आज भी जारी है.
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केंद्रीय जांच एजेंसी की छापेमारी को लेकर तृणमूल के प्रदेश महासचिव व प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा कि तृणमूल के राष्ट्रीय महासचिव अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व वाला आंदोलन सफल रहा है और इसलिए भाजपा काफी दबाव में है. सीबीआई की छापेमारी राजभवन के पास तृणमूल के आंदोलन से ध्यान भटकाने की भाजपा की कोशिश है. बकाया राशि के भुगतान नहीं होने से राज्य के लाखों लोग वंचित हैं. वंचितों की मांग को लेकर श्री बनर्जी के नेतृत्व में तृणमूल प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलना चाहता है. हालांकि, वह लगातार मिलने से बच रहे हैं, इसलिए राजभवन के पास आंदोलन से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा ने एक बार फिर से केंद्रीय जांच एजेंसी का सहारा लिया. भाजपा के लिए केंद्रीय एजेंसियां सिर्फ आत्मरक्षा का साधन बन गयी हैं. लेकिन ऐसी सभी चीजों से तृणमूल कांग्रेस को दबाया नहीं जा सकता.
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भाजपा राजनीतिक रूप से नहीं लड़ सकती, इसलिए वह अपनी दो कठपुतलियों का सहारा लेती हैं. मनरेगा का बकाया पैसा रोके जाने को लेकर तृणमूल नेता अभिषेक बनर्जी के नेतृत्व में चलाये जा रहे आंदोलन से भाजपा भयभीत है, इसलिए दबाव बनाने की कोशिश की जा रही है. हालांकि, इससे कुछ होने वाला नहीं है. तृणमूल कांग्रेस की ओर से एक्स (पूर्व में ट्विटर) पोस्ट करके दावा किया गया कि कोई भी राजनीतिक प्रतिशोध तृणमूल नेतृत्व को प्रभावित नहीं कर पायेगा. भाजपा के जमींदार तृणमूल के संकल्प को जानना चाहेंगे, जो पहले से कहीं अधिक पक्का और मजबूत हो गया है. राजभवन के पास धरने के चौथे दिन भी हमारा धैर्य बरकरार है. आपका राजनीतिक प्रतिशोध हमें नहीं रोकेगा. जब तक बंगाल के लोगों को उनका उचित अधिकार नहीं मिल जाता, हम एक इंच भी पीछे नहीं हटेंगे.