नई दिल्ली : चीन से आयात होकर भारत की वाहन बनाने वाली कंपनियों और बाजार में आने वाले एलॉय व्हील्स पर मोदी सरकार डंपिंग-रोधी शुल्क जारी रखने पर विचार कर सकती है. इसके लिए वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा की ओर से समीक्षा की जा रही है. समाचार एजेंसी भाषा की एक रिपोर्ट के अनुसार, वाणिज्य मंत्रालय की जांच शाखा डीजीटीआर ने घरेलू उद्योग की शिकायतों के बाद चीन से आयातित एल्युमीनियम एलॉय व्हील पर डंपिंग-रोधी शुल्क जारी रखने की आवश्यकता की समीक्षा शुरू की है.
इन कंपनियों ने सरकार से की समीक्षा करने की मांग
कोसेई मिंडा एल्युमीनियम कंपनी, मैक्सियन व्हील्स एल्युमीनियम इंडिया, मिंडा कोसेई एल्युमीनियम व्हील और स्टील स्ट्रिप्स व्हील्स ने चीन से निर्यात होने वाले ‘एल्यूमीनियम के एलॉय रोड व्हील’ के आयात पर लगाए गए डंपिंग-रोधी शुल्क को जारी रखने के लिए निर्णायक समीक्षा जांच शुरू करने की मांग की है. इसके लिए उन्होंने घरेलू उद्योग की ओर से एक आवेदन दायर किया है.
कंपनियों ने सरकार को सौंपे सबूत
वाणिज्य मंत्रालय की इकाई व्यापार उपचार महानिदेशालय (डीजीटीआर) के अनुसार, आवेदक कंपनियों ने मौजूदा डंपिंग-रोधी शुल्कों के बावजूद चीन से उत्पाद की डंपिंग के प्रथम दृष्टया साक्ष्य सौंपे हैं. सरकार की ओर से जारी अधिसूचना में कहा गया है कि कंपनियों की शिकायत के आधार पर यह परीक्षण करने के लिए निर्णायक समीक्षा जांच शुरू करता है कि मौजूदा डंपिंग-रोधी शुल्क हटाने से क्या चीन से भारत में डंपिंग जारी रहने या इसे दोहराए जाने की आशंका है, जिससे इससे घरेलू उद्योग को नुकसान हो.
2015 से चीन के एलॉय व्हील्स पर लग रहे हैं डंपिंग-रोधी शुल्क
सरकार नियमों के मुताबिक, आम तौर पर किसी उत्पाद पर पांच साल के लिए डंपिंग रोधी शुल्क लगाया जाता है, जब तक कि सरकार उसे रद्द करने का फैसला नहीं करती. चीन से एल्युमिनियम एलॉय व्हील के आयात पर पहली बार मई 2015 में डंपिंग-रोधी शुल्क लगाया गया था. इसे 2019 में और फिर 2022 में दोबार बढ़ाया गया. मौजूदा शुल्क आठ अप्रैल 2024 तक जारी है.
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विस्कोस रेयान फिलामेंट यार्न के आयात पर पांच साल तक डंपिंग-रोधी शुल्क
एक अलग अधिसूचना में डीजीटीआर ने चीन से ‘विस्कोस रेयान फिलामेंट यार्न’ के आयात पर पांच साल के लिए शुल्क लगाने की सिफारिश की है. सस्ते आयात में वृद्धि के कारण घरेलू उद्योगों को नुकसान हुआ है या नहीं यह निर्धारित करने के लिए देशों द्वारा डंपिंग रोधी जांच की जाती है. डीजीटीआर की अनुशंसा पर वित्त मंत्रालय ही शुल्क लगाने का अंतिम निर्णय लेता है.