India Unemployment Data: भारत में बेरोजगारी दर में बड़ी गिरावट देखने को मिली है. सरकार के द्वारा जारी आकड़ों के मुताबिक, देश में बेरोजगारी दर पिछले छह साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया है. बताया जा रहा है कि देश में जुलाई 2022 से जून 2023 के बीच 15 वर्ष और उससे अधिक आयु की बेरोजगारी दर छह साल के निचले स्तर 3.2 प्रतिशत पर रही. सरकारी सर्वेक्षण में यह बात सामने आई. बेरोजगारी या बेरोजगारी दर को श्रमबल में बेरोजगार लोगों के प्रतिशत के रूप में परिभाषित किया गया है. राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण कार्यालय (एनएसएसओ) की ओर से जारी आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण वार्षिक रिपोर्ट 2022-2023 के अनुसार जुलाई 2022 से जून 2023 के बीच राष्ट्रीय स्तर पर 15 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों के लिए सामान्य स्थिति में बेरोजगारी दर (यूआर) 2021-22 में 4.1 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 3.2 प्रतिशत हो गई. सामान्य स्थिति का मतलब है कि रोजगार, (किसी व्यक्ति की स्थिति) सर्वेक्षण की तारीख से पहले के 365 दिन के आधार पर निर्धारित किया गया है. आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) के सोमवार को जारी आंकड़ों के अनुसार बेरोजगारी दर 2020-21 में 4.2 प्रतिशत, 2019-20 में 4.8 प्रतिशत, 2018-19 में 5.8 प्रतिशत और 2017-18 में छह प्रतिशत थी.
ग्रामीण बेरोजगारी दर भी हुई कम
समय अंतराल पर श्रम बल आंकड़े उपलब्ध होने के महत्व को ध्यान में रखते हुए एनएसएसओ ने अप्रैल 2017 में आवधिक श्रम बल सर्वेक्षण (पीएलएफएस) शुरुआत की थी. रिपोर्ट के अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में 2017-18 में बेरोजगारी दर 5.3 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 2.4 प्रतिशत हो गई. शहरी क्षेत्रों के लिए यह 7.7 प्रतिशत से घटकर 5.4 प्रतिशत हो गई. सर्वेक्षण में सामने आया कि भारत में पुरुषों में बेरोजगारी दर 2017-18 में 6.1 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 3.3 प्रतिशत हो गई. महिलाओं में बेरोजगारी दर 5.6 प्रतिशत से घटकर 2.9 प्रतिशत रही.
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बेरोजगारी दर क्या होता है
बेरोजगारी दर एक आर्थिक सूचक है जो उस समय की संख्या को दर्शाता है जब वे लोग जो काम खोज रहे हैं वे वास्तविक रूप से बेरोजगार हैं. यह एक मापक होता है और अक्सर प्रति सौ या प्रति हजार या किसी अन्य समयक्रम में उकेरा जाता है. बेरोजगारी दर एक महत्वपूर्ण आर्थिक सूचक है, क्योंकि यह विभिन्न क्षेत्रों में रोजगार की स्थिति को दर्शाता है और अर्थव्यवस्था की सुस्ती या उत्थान की संकेत सूची के रूप में काम कर सकता है. यह उद्यमिताओं, नौकरीधरकों, शिक्षित या अशिक्षित लोगों की सबसे आम समस्याओं में से एक है. बेरोजगारी दर का अध्ययन और विश्लेषण राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सरकारों, विश्व बैंक, आर्थिक अनुसंधान संस्थानों और अन्य संगठनों द्वारा किया जाता है ताकि उद्यमिताओं और सरकारों को योजनाओं और नीतियों को अनुकूलित करने के लिए आवश्यक जानकारी मिल सके.
शहरी बेरोजगारी क्या होती है
शहरी बेरोजगारी उस स्थिति को दर्शाती है जब उन लोगों को रोजगार की आवश्यकता होती है जो शहरों में रहते हैं, लेकिन उन्हें कोई नौकरी नहीं मिल रही है. यह अक्सर विशेष रूप से उन लोगों के लिए उत्तरदाता है जो शहरों में वसिता करते हैं और वहां रोजगार खोजते हैं. शहरी बेरोजगारी विशिष्ट शहरी क्षेत्रों में होती है और यह आमतौर पर बड़े और अधिक आवश्यकता होने वाले शहरों में अधिक देखी जाती है. यह विभिन्न कारगर व्यापार या उद्यमिताओं के विकास की प्रक्रिया, तकनीकी बदलावों या अन्य कारणों से उत्पन्न हो सकती है. इसके परिणामस्वरूप, व्यक्तिगत और राजनैतिक स्तर पर, शहरी बेरोजगारी एक महत्वपूर्ण और चुनौतीपूर्ण समस्या हो सकती है. इसका समाधान उद्यमिताओं, सरकारों और समुदायों के संयमित प्रयासों से हो सकता है.
ग्रामीण बेरोजगारी क्या होती है
ग्रामीण बेरोजगारी वह स्थिति है जब ग्रामीण क्षेत्रों में वे व्यक्तियां या उपभोक्ताओं को रोजगार की आवश्यकता होती है, लेकिन उन्हें उचित कार्य या रोजगार नहीं मिल रहा है. यह विशेष रूप से उन लोगों के लिए उत्तरदाता है जो गांवों या ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करते हैं और वहां रोजगार खोजते हैं. ग्रामीण बेरोजगारी का मुख्य कारण गांवीय क्षेत्रों में विभिन्न कार्यों और उद्योगों की कमी या असंतुलन हो सकती है. यह विभिन्न कारणों से हो सकता है जैसे कि अज्ञानता, अधिक पुरानी तकनीकों का उपयोग, खुदरा बाजार, और सामाजिक-आर्थिक परंपराएं. ग्रामीण बेरोजगारी को कम करने के लिए सरकारें और गैर सरकारी संगठन विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों को शुरू करती हैं जिनका उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार सृजन करना है. इसमें कृषि, गांवीय उद्योग, निर्माण, शिक्षा, और कौशल विकास जैसे क्षेत्रों में काम हो सकता है.
(भाषा इनपुट के साथ)
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