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खगड़िया जिला परिषद की अध्यक्ष कृष्णा यादव व पूर्व विधायक रणवीर यादव को 3 साल की सजा, रंगदारी मांगने का था आरोप

खगड़िया की एसीजेएम कोर्ट ने दोनों को तीन साल की कैद के साथ साथ 10 हजार रूपये जुर्माने की सजा भी सुनाई है. फैसला आने के बाद पूर्व विधायक रणवीर यादव ने कहा कि कृष्णा यादव लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनने वाली थीं और उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने के लिए साजिश की गयी है.

खगड़िया. जिला परिषद की अध्यक्ष और उनके पति पूर्व विधायक रणवीर यादव को रंगदारी मांगने के एक मामले में तीन साल की सजा सुनायी गयी है. खगड़िया की एसीजेएम कोर्ट ने दोनों को तीन साल की कैद के साथ साथ 10 हजार रूपये जुर्माने की सजा भी सुनाई है. फैसला आने के बाद पूर्व विधायक रणवीर यादव ने कहा कि कृष्णा यादव लोकसभा चुनाव में उम्मीदवार बनने वाली थीं और उन्हें चुनाव लड़ने से रोकने के लिए साजिश की गयी है. कोर्ट के फैसले के बाद कृष्णा यादव की कुर्सी जाने का खतरा मंडरा रहा है. सरकारी नियमों के मुताबिक कोर्ट द्वारा सजायाफ्ता व्यक्ति जिला परिषद के अध्यक्ष के पद पर नहीं रह सकता. लिहाजा अगर उपरी अदालत ने ससमय सजा पर रोक नहीं लगायी तो कृष्णा यादव की कुर्सी जा सकती है.

2005 में दर्ज हुई थी प्राथमिकी

खगड़िया एसीजेएम कोर्ट ने रणवीर यादव और उनकी पत्नी कृष्णा यादव को रंगदारी मांगने के 18 साल पुराने मामले में ये सजा सुनायी है. 2005 में ही आलोक तालुकदार नाम के व्यक्ति ने खगड़िया थाने में रणवीर यादव और कृष्णा यादव के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी थी. इसमें आरोप लगाया गया था कि कृष्णा यादव और रणवीर यादव ने फोन पर उनसे रंगदारी मांगी है. इस मामले में पुलिस ने कोर्ट में कोई साक्ष्य नहीं होने की रिपोर्ट दी थी. लेकिन मामले की सुनवाई कर रही एसीजेएम विभा रानी की कोर्ट ने दोनों को तीन-तीन साल की कैद के साथ साथ 10-10 हजार रूपये का जुर्माना लगाया है. कोर्ट की सजा के बाद कृष्णा यादव से जिला परिषद अध्यक्ष की कुर्सी छिन सकती है.

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राजनीतिक करियर समाप्त करने की साजिश

इस मसले पर स्थानीय मीडिया से बात करते हुए रणवीर यादव ने कहा कि ये मेरे और मेरी पत्नी का राजनीतिक करियर समाप्त करने की साजिश है. रणवीर यादव ने कहा कि इस केस में कोई साक्ष्य नहीं है. आलोक तालुकदार नाम के व्यक्ति ने अज्ञात लोगों के खिलाफ रंगदारी मांगने का केस 22 मई, 2005 को दर्ज कराया था. रणवीर यादव ने कहा कि कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान आलोक तालुकदार ने सिर्फ आवेदन देने की बात स्वीकार किया था और कहा था कि उन्होंने अपने स्टाफ के कहने पर अज्ञात के विरूद्ध थाने में आवेदन दिया था. केस के पांच गवाहों में से तीन ने आरोपों का समर्थन नहीं किया. पुलिस ने भी आरोपों की पुष्टि नहीं की थी और कोई साक्ष्य नहीं मिलने की बात कही थी. इसके बावजूद सजा सुना दी गयी है. रणवीर यादव ने कहा कि वे ऊपरी अदालत में सारी बातों को रखेंगे औऱ पूरा भरोसा है कि मुझे निर्दोष साबित किया जायेगा.

सदस्यता खत्म करने की मांग

कोर्ट से फैसला आने के बाद खगड़िया जिला परिषद क्षेत्र संख्या 8 के प्रतिनिधि दीपक कुमार ने खगड़िया डीएम से विधि सम्मत कार्रवाई की मांग की है. वही सजायाप्ता कृष्णा यादव को अविलंब जिला परिषद अध्यक्ष से निलंबित करने की बात कही है. इस बाबत दीपक कुमार ने प्रेस कान्फ्रेंस कर पूरे मामले की जानकारी विस्तार पूर्वक दी. दीपक कुमार ने कहा कि पूर्व के रंगदारी मामले में वर्तमान जिला परिषद अध्यक्ष कृष्णा यादव सजायाफ्ता हैं और पंचायती राज अधिनियम के तहत ऐसे लोग संवैधानिक पद पर नहीं रह सकते, लेकिन सजायाफ्ता होने के बावजूद अभी कृष्णा यादव अपने पद पर बनीं हुई हैं, जो कोर्ट की अवहेलना है. इस मामले में कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कार्रवाई करने की बात कही है. इसलिए खगड़िया जिलाधिकारी को उक्त मामले में संज्ञान लेकर न्यायोचित कार्रवाई करनी चाहिए. हम इसकी मांग करते हैं.

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