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बिहार: बारिश की पानी में गल गये भागलपुर के इस थाने के रिकॉर्ड, धूप उगी तो सुखाने में लग गये पुलिसकर्मी

भागलपुर के नाथनगर अंचल थाने का भवन बदहाल है. आलम ऐसा है कि पिछले दिनों जब बारिश लगातार पड़ी तो थाने में रखे कागजात पूरी तरह गीले हो गये. वहीं जब धूप उगी तो इसे पुलिसकर्मियों ने सुखाना शुरू किया.

नमन चौधरी, नाथनगर (भागलपुर)

तस्वीरों में ये जो थाना परिसर में कागज बिखरे पड़े हैं ये कोई आम सरकारी कागज नहीं बल्कि लोगों के गुनाह-बेगुनाही से जुड़े अहम दस्तावेज है.ये वो कागजात है जिससे दोषियों को सजा और निर्दोष को रिहाई मिल सकती है. इस कागज के भरोसे पीड़ितों को उचित न्याय मिल सकती है.पर ये अहम दस्तावेज नष्ट हो रहे है.इसका मुख्य कारण नाथनगर अंचल थाने के भवन का जर्जर होना है. भवन इतना जर्जर हो गया है कि हल्की बारिश मे भी कमरा सराबोर हो जाता है.भवन का छत फट कर गिर रहे है.क ई जगह छत की सरिया निकल आयी है.हाल मे हुई लगातार बारिश के कारण भागलपुर के नाथनगर अंचल थाने में रखा कई थानों का रिकॉर्ड पूरी तरह भींग गया.

धूप उगी तो पुलिसकर्मियों ने कागजात सुखाए..

मंगलवार को जब धूप उगी तो पुलिसकर्मियों ने सारे कागजात को थाना परिसर मे निकाल कर सुखाने के लिए जगह जगह बिखेरा. हालांकि पुलिसकर्मी बिखरे कागज की निगरानी कर रहे थे.पर ऐसे में सवाल उठता है कि अगर इसमें से कुछ कागज नष्ट हो जाएगा तो पीडित को न्याय किसके भरोसे मिलेगा. जो लोग वर्षों से केस मुकदमे के चक्कर मे पड़े है या जेल मे बंद है वो अपनी गुनाह व बेगुनाही का सबूत कैसे दे सकेंगे. अभी हाल मे 22 साल पुराने नरसंहार मे नाथनगर थानाक्षेत्र के शाहपुर से आरोपी को पुलिस ने गिरफ्तार किया पर उस केस से संबंधित रिकॉर्ड खोजने मे पुलिस के पसीने छूट गये.आखिर समय पर नही ही खोजा जा सका.

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बरामदा भी जर्जर, डीआईजी से लेकर एसपी तक आये पर नहीं बना भवन

नाथनगर अंचल थाना ही नहीं बल्कि मुख्य थाना, सिरिस्ता, लोगों के बैठने का बरामदा से लेकर पुलिस बैरक का हाल भी काफी खराब है. जिस बरामदे पर रोजाना सैकडों लोग आते हैं, बैठते हैं और वहां पुलिस पदाधिकारी उनकी समस्या सुनते हैं, उस बरामदे का छत गिर रहा है. छज्जे का छड़ निकल आया है. कई जगह दीवार में बड़ी दरार है. भवन कब गिर जिए इसका कोई ठिकाना नहीं. सिरिस्ता का भी कुछ ऐसा ही हाल है. जिस बैरक मे पुलिसकर्मी रहते हैं उसकी छत से भी मलबा गिर रहा है. छड़ मे जंग लग चुका है.पुलिसकर्मियों ने बताया कि बारिश होते ही उनका चौकी, बिछावन आदि भींग जाता है. ऐसे मे वो रातभर कोने में दुबक कर रहते हैं. न खाना बना कर खा पाते हैं और न ही ठीक से सो पाते हैं.छत के उपर प्लास्टिक का तंबू दिए हैं पर उससे भी पानी अंदर आना बंद नहीं होता. सिपाहियों ने कहा कि जब वो सुरक्षित नहीं है तो ड्यूटी कैसे ठीक से कर पाएंगे. बारिश होते ही थाना परिसर व थानेदार कक्ष में एक फीट पानी जमा हो जाता है जिसे निकालने में पुलिसकर्मियों के पसीने छूट जाते हैं.वही थाने का निरीक्षण करने पिछले पांच सालों मे तत्कालीन डीआईजी विकास वैभव, एसएसपी आशीष भारती सहित ई आइपीएस व बीपीएस के पदाधिकारी आए.सबने जल्द थाना भवन बनवाने का आश्वासन दिया पर अबतक काम जरा भी आगे नहीं बढ़ा है.

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