लखनऊ: सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुल्ला आजम को सुप्रीम कोर्ट ने राहत नहीं दी है. अब्दुल्ला आजम ने जन्म प्रमाण पत्र में कथित रूप से फर्जीवाड़ा करने के लंबित आपराधिक मामले पर रोक लगाने की मांग की थी. उनका कहना था कि नाबालिग होने के दावे पर रिपोर्ट आने तक अंतिम आदेश को पारित न किया जाए.
सुप्रीम कोर्ट ने 26 सितंबर को मुरादाबाद डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट को किशोर न्याय अधिनियम के तहत घटना के समय अब्दुल्ला के नाबालिग होने के मामले पर फैसला करने और निष्कर्ष को आगे विचार के भेजने का आदेश दिया था. इसी मामले में आजम अब्दुल्ला के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीम कोर्ट में कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद नीचे की अदालत मामले की सुनवाई कर रही थी. इसलिये नाबालिग मामले की सुनवाई होने तक निचली अदालत में सुनवाई को रोका जाए. अब्दुल्ला आजम के मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ कर रही थी.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में अंतरिम आदेश पारित करने का कोई उचित कारण नजर नहीं आ रहा है. 26 सितंबर के आदेश के अनुसार याचिकाकर्ता के नाबालिग होने के संबंध में रिपोर्ट दाखिल होने के बाद ही मुख्य अपील की सुनवाई की जाएगी. गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने मुरादाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट को अब्दुल्ला आजम के नाबालिग होने के दावे का पता लगाने और मेडिकल रिपोर्ट पेश करने का आदेश दिया था. अब्दुल्ला आजम दो जन्म प्रमाण पत्र मामले में विधान सभा की सदस्यता से अयोग्य दोषी पाए गये हैं.
अपडेट हो रही है…