छपरा जंक्शन के अनारक्षित टिकट काउंटर के समीप रेलवे के टिकटों पर स्याही, मोहर एवं केमिकल लगाकर उसे बदलने और बेचने वाले एक गिरोह का खुलासा हुआ है. इसके साथ ही इस गिरोह के एक सदस्य को भी गिरफ्तार किया गया है. फर्जी टिकट बेचने वाले इस गिरोह के खिलाफ आरपीएफ छपरा के जवानों व पदाधिकारियों की टीम ने यह कार्रवाई आरपीएफ के वरिष्ठ मंडल सुरक्षा आयुक्त डॉ अभिषेक के निर्देश पर की. गिरफ्तार आरोपी वैशाली जिले के बेलसर थाना क्षेत्र के वार्ड नंबर दो बेलवर का स्वर्गीय रामदेव राम का पुत्र प्रकाश राम बताया जाता है.
कम दूरी की टिकटों को बना देते हैं लंबी दूरी की
इस कार्रवाई के संदर्भ में आरपीएफ प्रभारी मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि पिछले कई दिनों से यह गिरोह स्टेशन पर सक्रिय हो गया था. छपरा-सूरत ताप्ती गंगा एक्सप्रेस ट्रेन में जब इस तरह का मामला सामने आया तो पुलिस सक्रिय हो गयी. उन्होंने बताया कि इस गिरोह के लोग फर्जी तरीके से छपरा और आसपास के स्टेशनों पर जाते हैं और लंबी दूरी की ट्रेनों के समय से पहले कम दूरी और कम किराए वाले यूटीएस टिकटों पर स्याही, मोहर और केमिकल लगाकर असली टिकटों से बदल देते हैं और यात्रियों को अवैध रूप से बेचते हैं.
जालसाज के पास से बरामद हुई ये चीजें
मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि गिरफ्तार जालसाज के पास से छपरा जंक्शन के रेलवे बुकिंग हॉल से लिए गए 10 बदले गए टिकट , एक रेलवे आरक्षित काउंटर का सामान्य एसएसल श्रेणी का 380 रुपए कीमत का टिकट, दो आरक्षण फॉर्म एक मोबाइल व नगद 2140 रुपए भी बरामद किया गया है.
टिकट में दूरी व यात्रा तिथि भी बदल देते थे
प्रभारी ने बताया कि यह गिरोह सबसे पहले टिकट लेने के बाद भोले भाले यात्रियों को अपने झांसे में ले लेते थे और उनसे काउंटर टिकट लेकर बातों बातों में मौका पाकर अपने इस टिकट से बदल देते थे. ऐसे में यात्री ट्रेन पकड़ने की जल्दबाजी में टिकट नहीं देख पाते हैं. हालांकि ऐसे भी सामान्य तौर पर यात्री टिकट की तारीख पैसा व समय को ही ज्यादा तबज्जो देते हैं. हालांकि बदले गये टिकट पर साफ तौर पर देखा जा रहा है की ट्रेन के समय व टिकट लेने का समय दोनों में काफी अंतर है.
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मोबाइल व कॉल डिटेल्स की हो रही है जांच
गिरफ्तार प्रकाश के पास से बरामद मोबाइल से पुलिस को काफी कुछ जानकारी प्राप्त हुई है. टिकट की अदला बदली करने वाले यह गिरोह कहां तक सक्रिय है यह बता पाना तो फिलहाल मुश्किल है. लेकिन पुलिस ने अब उसके कॉल डिटेल्स के आधार पर मुख्य सरगना तक पहुंचाने की भी तैयारी कर ली है. टीम में आरपीएफ के उप निरीक्षक प्रमोद कुमार, विजय रंजन मिश्रा आदित्य प्रकाश सिंह एवं सीआईबी के उपनिरीक्षक संजय कुमार राय शामिल थे.
असली व नकली टिकट के बीच का फर्क जानिए
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रेलवे टिकट काउंटर से जारी होने वाले टिकटों पर स्टॉक नंबर होता है
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असली टिकट पर एक छोटा रेलवे इंजन बना होता है
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टिकट संख्या चालू क्रम में होते हैं
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टिकट के आखिरी 4 नंबर बड़े अक्षरों में लिखे हुए होते हैं