Rajasthan Eelection 2023: राजस्थान में विधानसभा चुनाव के ऐलान के बाद बीजेपी और कांग्रेस पूरी तरह से सक्रिय हो गई है. इस बीच लोगों को कांग्रेस उम्मीदवारों की सूची का इंतजार है. आपको बता दें कि बीजेपी ने 41 उम्मीदवारों को लिस्ट जारी कर दी है जिसके बाद से पार्टी में बगावत के सुर उठने शुरू हो गये हैं. कांग्रेस के उम्मीदवारों की लिस्ट की बात करें तो इसके 18 अक्टूबर तक आने के सीएम अशोक गहलोत ने संकेत दिए थे लेकिन इसकी संभावना कम ही नजर आ रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि कांग्रेस के पैनल की तैयारी फिलहाल नहीं नजर आ रही है. इस बीच कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने केसी वेणुगोपाल से मुलाकात की है. दिल्ली में वेणुगोपाल के आवास पर उनकी मुलाकात हुई और इस बैठक में दोनों नेताओं के बीच टिकट बंटवारे को लेकर मंथन हुआ. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार सचिन पायलट ने अपने समर्थक विधायकों को लिस्ट वेणुगोपाल को सौंप दी है. वे चाहते है कि उनके समर्थक विधायकों के कम से कम टिकट काटने का काम किया जाए. यहां चर्चा कर दें कि कांग्रेस में इस बार बड़े स्तर पर विधायक और मंत्रियों के टिकट कट सकते हैं. इस बात के संकेत सीएम गहलोत और प्रदेश प्रभारी रंधावा ने पहले ही दे दिए हैं.
कहां फंस रहा है पेंच
राजस्थान की राजनीति की जानकारी रखने वाले विश्लेषकों की मानें तो सचिन पायलट ने कांग्रेस आलाकमान को पार्टी के दांवों में ही उलझाकर रख दिया है. दरअसल, कांग्रेस ने उदयपुर घोषणा पत्र में कुछ वादा किया था जिसमें पार्टी उलझ गई है. इस दौरान कहा गया था कि युवाओं और महिलाओं को टिकट देने में प्राथमिकता दी जाएगी. लेकिन कांग्रेस ने अपने स्तर पर जो सर्वे करवाए उसके बाद वह सोचने पर मजबूर हो गई. उम्मीदवारों की लिस्ट में उम्रदराज ज्यादा हैं. वहीं सचिन पायलट चाहते है कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा मौका इस चुनाव में दिया जाए. ऐसे में पार्टी स्तर पर तीन-चार सर्वे होने के बाद भी कांग्रेस की लिस्ट फाइनल तैयार नहीं की जा सकी है. बताया जा रहा है कि कांग्रेस में संगठन, सीएम, प्रभारी स्तर पर 4 सर्वे करवाए गये हैं. इस चारों सर्वे के रिजल्ट में भिन्नता है.
16 अक्टूबर से पार्टी करेगी चुनावी शंखनाद
राजस्थान चुनाव को लेकर कांग्रेस अब पूरी तरह कमर कस चुकी है. आगामी विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस पार्टी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को अपनी प्राथमिकता सूची में रखते हुए 16 अक्टूबर से बारां जिले से काम किया दिल से, कांग्रेस फिर से नारे के साथ अपना चुनाव अभियान शुरू करेगी. कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी सुखजिंदर सिंह रंधावा ने पिछले दिनों इसकी जानकारी दी. पार्टी पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना को अपनी प्राथमिकता सूची में रखते हुए बारां जिले से अपना अभियान शुरू करेगी और पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों को कवर करेगी जहां लोगों के लिए पीने और सिंचाई के पानी की पूर्ति के लिए नहर प्रस्तावित है. पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों में झालावाड़, बारां, कोटा बूंदी, सवाई माधोपुर, अजमेर, टोंक, जयपुर, दौसा, करौली, अलवर, भरतपुर और धौलपुर शामिल हैं.
राजस्थान का ट्रेंड
आपको बता दें कि इस बार कांग्रेस सत्ता में वापसी का दावा कर रही है. लेकिन यदि हम पिछले 20 साल में राजस्थान में हुए चार विधानसभा चुनाव पर नजर डालें तो कोई भी पार्टी लगातार दूसरी बार सरकार बनाने में सफल होती नजर नहीं आयी. सत्ताधारी पार्टी के विधायक दोबारा चुनाव मैदान में उतरते हैं तो उनमें से ज्यादातर को जनता नकार देती है. जनता का सबसे ज्यादा गुस्सा मंत्रियों पर निकलता है, पिछली चार सरकारों में मंत्री रहे ज्यादातर नेता अगले चुनाव में हारते नजर आ चुके हैं. इसको देखकर राजस्थान का ट्रेंड आप सहज समझ सकते हैं कि प्रदेश की जनता हर पांच साल में सरकार बदल देती है. हालांकि कांग्रेस नेता ये दावा करते दिख रहे हैं कि सूबे में इस बार कांग्रेस फिर सत्ता पर काबिज होगी और राजस्थान का ट्रेंड बदलेगा.