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रांची की ये महिला पहले थी घरेलू कामगार, फिर चलाया पिंक ऑटो और आज माइंस में चला रहीं डंपर

शांति लकड़ा कहती हैं कि यहां तक का सफर इतना आसान न था. मैं छह बहनें हूं. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थीं, जिस कारण पढ़ने का सपना पूरा नहीं हो सका. परिवार चलाने की भी जिम्मेदारी थी

लता रानी, रांची :

शांति लकड़ा. डंपर चालक. हरमू स्थित नया टोली की निवासी हैं. अभी ओडिशा की माइंस में डंपर ऑपरेटर हैं. 2019 से इस काम में जुटी हैं. रात में भी पुरुषों की तरह माइंस में डंपर चलाती हैं. देश के महिला डंपर चालकों के ग्रुप की सदस्य हैं. खास बात है कि शांति पहले रांची में गुलाबी ऑटो चलाती थीं. लगभग पांच वर्षों तक गुलाबी ऑटो चलाया. इसके बाद डंपर चालक बनने का मौका मिला. इसके लिए पहले जमशेदपुर में ट्रेनिंग हासिल की. फिर माइंस में डंपर चलाने का मौका मिला. आज इन्हें देखकर कई बेटियां डंपर चलाने को लालायित हैं. उन्हें अपना आदर्श मानती हैं. शांति भी इन लड़कियों को अपने स्तर से आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित करती हैं.

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शांति लकड़ा कहती हैं :

यहां तक का सफर इतना आसान न था. मैं छह बहनें हूं. परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थीं, जिस कारण पढ़ने का सपना पूरा नहीं हो सका. परिवार चलाने की भी जिम्मेदारी थी. यही कारण है कि दिल्ली में घरेलू कामगार के रूप में काम करना पड़ा. उसी दौरान काम करते हुए ओपन स्कूल से अपनी दसवीं तक की पढ़ाई पूरी की. अब अपने तीन बच्चों का सपना पूरा करने में जुटी हैं. खुद ओडिशा में रहती हूं. साथ में बेटा भी रहता है. वहीं दोनों बेटियां हॉस्टल में रहकर पढ़ाई कर रही हैं. शांति कहती हैं : कभी सोचा न था कि ऑटो चलाऊंगी, लेकिन उसी ऑटो की देन है कि आज मैं डंपर तक चला पा रही हूं. देश के पहले माइंस डंपर महिला ग्रुप का सदस्य बनी. मेरा विश्वास है कि बेटियां भी अपने परिवार का आधार बन सकती हैं. हर बेटी शक्ति का रूप है.

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