देवघर, संजीव मिश्रा : अनाथ बच्चों की सेवा कर तपस्या कर नारायण सेवा आश्रम का संचालन कर रहे देवघर के हरेराम पांडेय कौन बनेगा करोड़पति के मंच पर अमिताभ बच्चन के साथ दिखेंगे. यह शो आज रात के कार्यक्रम में दिखाया जायेगा. हरेराम पांडेय ने बताया कि, अनाथ बच्चों की सेवा की जानकारी महानायक अमिताभ बच्चन को सोशल मीडिया के माध्यम से हुई. इसके बाद केबीसी के क्रू मेंबर देवघर पहुंचे और आश्रम की पड़ताल कर यहां पूरी शूटिंग करायी. इसके बाद केबीसी टीम के बुलावे पर आश्रम के संचालक हरेराम पांडे अपने अनाथालय की नौ बेटियों के साथ सेट पर पहुंचे थे. नवरात्र की दूसरी पूजा के अवसर पर सोमवार की रात को इसका प्रसारण भी किया जायेगा.
अनाथ बच्चों की कहानी सुनकर रो पड़े अमिताभ बच्चन
हरे राम पांडेय ने केबीसी के सेट पर बताया कि पारिवारिक उलझन को लेकर घर वालों से कहासुनी हो गयी थी. उसके बाद पत्नी के साथ देवघर आये गये और तब से ईश्वर के दिये वरदान का सम्मान करने में लगे हैं. उन्होंने बताया कि, दिसंबर 2004 की सुबह की बात है, उन्हें एक नवजात को जंगल में फेंक देने का शोर सुनायी दिया. इसके बाद मन चिंतित होने लगा और वहां से बच्ची को उठाकर घर ले आये. बच्ची के कारण आत्मा को एहसास हुआ कि अब उन्हें जीवन जीने का रास्ता मिल गया. उन्होंने अमिताभ बच्चन के साथ देवघर कॉलेज के सुनसान मैदान में एक बच्ची के बारे में चर्चा की और फिर कई ऐसी दर्दनाक कहानी बतायी की कैसे बच्चे मिले और उन्होंने उसे उठाकर कर लाया. केबीसी के मंच पर पहुंचने वाली बच्चियों ने अमिताभ बच्चन को बताया कि वह बड़ा अधिकारी बनकर देश की सेवा में अपनी भूमिका निभाने चाहती हैं. बच्चों की बातें व उनका दर्द सुनकर अमिताभ बच्चन की भी आंखें भर आयीं. उन्होंने हरेराम पांडेय से कहा कि आप इस सेवा में अपना योगदान देते रहें. बच्चों के सपने को एक दिन जरूर उड़ान मिलेगी, यह मेरा विश्वास है.
अमिताभ ने व्यक्तिगत तौर पर दिया 21 लाख का चेक
हरेराम ने बताया कि, बच्चियों को सुनकर अमिताभ बच्चन इतने भावुक हो गये कि, उन्होंने ट्रस्ट को मदद के तौर पर 21 लाख रुपये का चेक प्रदान किया. हरेराम के अनुसार, लोग नवरात्र के दौरान मां दुर्गा की पूजा व आराधना करते हैं, लेकिन मेरे आश्रम में हर दिन या देवी सर्व भूतेषू मातृत्व रूपेण संस्थिता और शक्ति रुपेण संस्थिता का भाव होता है. उन्होंने बताया कि वह 18 साल से अनाथ बेटियों का माता-पिता बनकर उनको आत्मबल देने में लगते हैं. इस तरह के मिले संतानों को परमात्मा का वरदान मानते हैं. भगवान के नाम पर बच्चियों को सांसारिक मोह में छोड़ने वालों के लिए आश्रम मां का आंचल बनने का काम कर रहा है.