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मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन पर लगा गंभीर आरोप, स्वास्थ्य विभाग ने इस मामले में किया सस्पेंड

बिहार सरकार के संयुक्त सचिव सुधीर कुमार ने एक पत्र जारी कर मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन और कुढनी के पीएचसी प्रभारी को निलंबित कर दिया है. यह कार्रवाई सफाई व सुरक्षा का फर्जी ठेका देने के मामले में की गई है.

अस्पताल की सफाई व सुरक्षा का ठेका फर्जी एजेंसी को देने के मामले में मुजफ्फरपुर के सिविल सर्जन डॉ उमेश चंद्र शर्मा और कुढनी पीएचसी के प्रभारी डॉ धर्मेंद्र कुमार पर गाज गिरी है. स्वास्थ्य विभाग ने दोनों पर कार्रवाई करते हुए उन्हें बुधवार की देर शाम निलंबित कर दिया है. निलंबन अवधि के लिए दोनों अधिकारियों का मुख्यालय स्वास्थ्य विभाग पटना निर्धारित किया गया है. इस अवधि में उन्हें जीवन निर्वहन भत्ता दिया जाएगा. सरकार ने दोनों अधिकारियों को डीएम प्रणव कुमार के अनुशंसा पर निलंबित किया है.

इस आरोप में किए गए निलंबित

स्वास्थ्य विभाग की ओर से सरकार के संयुक्त सचिव सुधीर कुमार की ओर से जारी निलंबन के पत्र में कहा गया है कि सिविल सर्जन द्वारा जिस एजेंसी को सफाई का ठेका दिया गया, उसे कई माह पहले से ही कार्य आवंटित कर दिया गया था, लेकिन जब मामला खुला तो संबंधित तथ्यों को छिपाकर नए सिरे से कार्य आदेश आवंटित करने के प्रस्ताव पर अनुमति-स्वीकृति के लिए डीएम से अनुरोध किया गया. यह कार्य में लापरवाही व कर्तव्यहीनता है. इस आरोप में दोनों को निलंबित कर दिया गया है.

2 सितंबर को कार्रवाई करने के लिए सरकार को अनुशंसा

डीएम ने सिविल सर्जन और कुढनी प्रभारी पर कार्रवाई करने के लिए सरकार से 2 सितंबर काे अनुशंसा की थी. इससे पहले डीएम ने डीडीसी से इस पूरे मामले की जांच कराई थी. डीडीसी ने जांच के दौरान सिविल सर्जन से स्पष्टीकरण मांगा था, जाे संताेषप्रद नहीं बताया गया. इसके बाद डीएम ने कार्रवाई के लिए सरकार को अनुशंसा की.

बिना टेंडर के एजेंसी को दे दिया गया सफाई का काम

जानकारी के मुताबिक, एक आउटसाेर्सिंग एजेंसी काे जिला स्वास्थ्य समिति द्वारा निविदा के तहत सफाई का कार्य दिया गया था. लेकिन 2019 में इसका निविदा रद्द कर दिया गया. इसके बाद एक अन्य एजेंसी काे सफाई का कार्य बिना निविदा निकाले ही दे दी गई. इस एजेंसी काे ठेका देने के लिए जिला स्वास्थ्य समिति के निर्णय संबंधी फाइल पर अप्रूवल के लिए डीएम सह जिला स्वास्थ्य समिति के अध्यक्ष से स्वीकृति नहीं ली गई.

चार वर्षों तक सफाई एजेंसी को किया जाता रहा भुगतान

बताया जाता है कि इस दौरान चार वर्षों तक इस सफाई एजेंसी को भुगतान भी किया जाता रहा. इसके अलावा इसी एजेंसी को सुरक्षा का भी काम दे दिया गया. लेकिन कहीं भी इनका सुरक्षा गार्ड तैनात नहीं होने का भी आराेप लगा है.

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डीएम ने डीडीसी से कराई जांच हुआ खुलासा

सदर अस्पताल में सफाई व सुरक्षा गार्ड का ठेका आउटासाेर्सिंग एजेंसी को गलत तरीके से देने का आराेप डीएम से किसी ने की. शिकायत के बाद डीएम ने जिला स्वास्थ्य स्वास्थ्य समिति से इस ठेके की फाइल मंगाई और उसकी जांच की तो उसमें अप्रूवल नहीं था. इसपर डीएम काे घाेटाले की आशंका हुई, ताे डीडीसी आशुताेष द्विवेदी से पूरे मामले की जांच करवाई. डीडीसी ने जांच में आराेप काे सही पाया. इसके बाद सिविल सर्जन से शाे काॅज पूछा, लेकिन शाे काॅज में सीएस ने जाे जबाव दिए वह संताेषजनक नहीं पाया.

पहले से हैं विवादित

सिविल सर्जन को लेकर लोगों का कहना है कि वो काफी लंबे समय से विवादों के घेरे में है. कोविड-19 के दौरान भी वो फर्जी और अवैध तरीके से मानव बल और नर्सिंग स्टाफ की बहाली कर सुर्खियों में थे. इसके बाद 27 कर्मचारियों की अवैध बहाली का मामला सामने आया.

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कुढनी पीएचसी प्रभारी पर यहीं आराेप

कुढनी पीएचसी प्रभारी डाॅ धर्मेंद्र कुमार पर भी यहीं आराेप लगाया गया था, जांच में यह पाया गया था कि प्रभारी डाॅ धर्मेंद्र कुमार ने भी बिना किसी आदेश व वरीय पदाधिकारी के अनुमाेदन के ही सफाई व सुरक्षा का ठेका दे दिया. जांच में सामने आने पर डीएम ने कुढनी प्रभारी पर भी कार्रवाई की अनुशंसा की थी.

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