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Navratri 2023: देवघर में वेदी पर विराजमान हुईं मां दुर्गा, भक्तों को दे रहीं दर्शन, आज मां कालरात्रि की पूजा

आज भय और अकाल मृत्यु से रक्षा करने वाली मां कालरात्रि की पूजा होनी है. देवघर के बाबा मंदिर में शुक्रवार दोपहर से रात आठ बजे तक मां को निमंत्रण देने वाली पूजा चली. ढोल बाजा एवं धर्म ध्वजा के साथ शोभा यात्रा निकाली गई. आज महास्नान के बाद मंडपों का पट खोल दिया गया. माता अब भक्तों को दर्शन दे रही हैं.

Durga Puja 2023: शुक्रवार को शारदीय नवरात्र की षष्ठी तिथि के अवसर पर अहले सुबह पूजा मंडपों एवं पंडालों में माता के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की विधिवत पूजा अर्चना की गयी. इसके बाद शाम में माता बेलभरनी की पूजा कर माता को निमंत्रण दिया गया. शनिवार को नवपत्रिका स्थापित किया गया. इसके बाद माता की वेदी पर विराजमान होने के साथ ही माता के दर्शन के लिए पूजा मंडपों व पंडालों का पट खोल दिया गया. आज भय और अकाल मृत्य से रक्षा करने वाली माता के सातवें स्वरूप कालरात्रि की पूजा की जायेगी. माता को आमंत्रण देने के लिए दोपहर बाद बेलभरनी पूजा को लेकर पूजा मंडप व पंडाल ढोल-नगाड़े के साथ माता के जयकारे से गूंजने लगे. सभी पूजा मंडपों और पंडालों से पूजा सामग्री के साथ पुजारी उपचारक और समिति के सदस्य धर्म ध्वजा लेकर शोभा यात्रा के साथ माता को निमंत्रण देने के लिए बेल वृक्ष के पास पहुंचे. बाबा मंदिर प्रशासनिक भवन से सरदार पंडा श्रीश्री गुलाबनंद ओझा की अगुवाई में नवपत्रिका को डोली में लेकर ढोली लेकर शोभा यात्रा निकाली गयी. शोभा यात्रा बेल वृक्ष के पास पहुंची, जहां आचार्य गोपाल पंडित एवं पुजारी के तौर पर सरदार पंडा ने तांत्रिक विधि से पूजा कर मां को निमंत्रण दिया. यह पूजा रात करीब आठ बजे संपन्न हुई. पूजा में उपचारक के तौर पर भक्ति नाथ फलहारी थे. मातृ मंदिर स्कूल में बड़ा बाजार, संगम समाज की ओर से भी बेलभरनी पूजा की गयी.

भय और अकाल मृत्यु से रक्षा करने वाली मां कालरात्रि की पूजा आज

घड़ीदार मंडप में चली आ रही परंपरा के अनुसार मंडप में ही जोड़ा बेल लाकर मां बेलभरनी की पूजा हुई. षष्ठी तिथि पर सभी पूजा मंडपों एवं पंडालों द्वारा नजदीक के बेल वृक्ष में पूजा का आयोजन कर मां का विधिवत निमंत्रण दिया गया. वहीं, शुक्रवार की सुबह षष्ठी तिथि पर मां दुर्गा के छठे रूप मां कात्यायनी की पूजा की गयी. बाबा मंदिर के हवन कुंड में परंपरागत तरीके से षष्ठी की पूजा की गयी. बाबा मंदिर के प्रशासनिक भवन स्थित हवन कुंड में सरदार पंडा श्रीश्री गुलाब नंद ओझा की देखरेख में पूजा के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की गयी. मंदिर के इस्टेट पुजारी श्रीनाथ पंडित ने बताया कि, मां कात्यायनी महर्षि कात्यायन की कठिन तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी इच्छानुसार उनके यहां पुत्री के रूप में पैदा हुई थी. महर्षि कात्यायन ने सर्वप्रथम इसकी पूजा की थी, इसलिए यह मां कात्यायनी के नाम से प्रसिद्ध है. इस दिन साधक का मन आज्ञा चक्र में स्थित रहता है. योग साधना में इस आज्ञा चक्र को अत्यंत ही महत्वपूर्ण स्थान है. मंदिर के इस्टेट पुरोहित आचार्य श्री पंडित व पुजारी सुमन झा ने विधि-विधान से मां की पूजा की गयी, जिसमें हवन भी किया गया. छठे दिन हवन कुंड में कनैल के 1500 पुष्प अर्पित किये गये. आज शनिवार को कालरात्रि की पूजा के दौरान माता को गुड़ का भोग अर्पित किया जायेगा. बाबा मंदिर की पूजा को सफल बनाने में मंदिर प्रबंधक रमेश परिहस्त, आदित्य कुमार, संजय मिश्र, भोला भंडारी, सुबोध कुमार, कारू, सारंगी आदि लगे हुए हैं.

आज महास्नान के बाद खुला मंडपों का पट

आज अहले सुबह सभी पूजा मंडपों की ओर से बेल वृक्ष से एक जोड़ा बेल उतारकर नवपत्रिका के साथ बांध कर डोली में रखकर नजदीक के तालाब में लाकर मां का शाही स्नान कराया गया. नवपत्रिका का विधिवत शाही स्नान कराया गया. फिर, देवघर बाबा मंदिर में परिक्रमा कराने के बाद सभी लोग मंदिर से निकलकर सीधे पूजा मंडप के मुख्य द्वार पर गए. यहां सुहागिन महिलाओं द्वारा नवपत्रिका को सिंदूर लगाने के बाद मंडप में प्रवेश करा नवपत्रिका की स्थापना की गई. उसके बाद मंडप में विधिवत कलश स्थापन कर मां के प्रतिमा में प्राण प्रतिष्ठा के बाद आम भक्तों के लिए कपाट खोल दिया गया.

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