आगरा का एक ब्राह्मण समुदाय रावण को अपना आराध्य मानता है, रावण की पूजा करता है. हर वर्ष की तरह नवरात्रि की नवमी तिथि पर शहर के आवास विकास क्षेत्र में देवी मां, भगवान राम के साथ दशानन रावण की पूजा की गई. शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करने के बाद स्थानीय लोगों से अपील की गई कि दशानन के आदर्शों को आत्मसात कर अपने मन के अंदर छिपे अंधकार और लोभ, लालच रूपी रावण को मारे और प्रकांड पंडित व परम शिव भक्त का दहन ना करें.
लंकापति दशानन महाराज पूजा समिति के डॉक्टर मदन मोहन शर्मा ने स्वयं दशानन कर भेष रखा और भगवान शिव की शिव तांडव स्त्रोत से प्रार्थना की. इस शिव तांडव स्त्रोत की रचना स्वयं रावण ने की थी. मदन मोहन शर्मा ने बताया कि भगवान विष्णु की हर लीला पूर्व विदित होती है. लोगों को संदेश देने के लिए रामलीला का इस धरा पर मंचन हुआ. भगवान राम ने सारस्वत ब्राह्मण रावण को महा ज्ञानी बताते हुए लक्ष्मण को उनसे गुरु दीक्षा लेने के लिए भेजा. लंका में काफी समय तक माता सीता के रहने के बाद भी रावण ने कभी उनके चरणों से ऊपर नजर नहीं उठाई. उन्होंने सीता का हरण अपनी बहन के अपमान का बदला लेने के लिए और भाई धर्म निभाने के लिए किया था. डॉ मदन मोहन शर्मा सारस्वत ने बताया कि रावण ऐसे महान ज्ञानी थे. जिन्होंने खुद का नाम तो अमर किया. साथ ही अपने एक लाख पुत्रों और सवा लाख नातियों को साक्षात विष्णु भगवान, शेषनाग और रुद्र अवतार बजरंगबली समेत तमाम देवों और राम की सेना बनी संत आत्माओं के हाथों बैकुंठ सागर पार करवा दिया. ऐसे महा प्रतापी की पूजा होनी चाहिए और उनके जीवन से सीख लेनी चाहिए.
Also Read: आगरा: दुर्गा मां के मूर्ति विसर्जन और दशहरा के लिए हाथी घाट रोड पर रहेगा रूट डायवर्जन, भारी भीड़ को लेकर फैसला
वहीं उन्होंने बताया कि पर्यावरण को प्रदूषण से बचाने और एक महान ब्राह्मण का अपमान करने से बचने के लिए रावण दहन का बहिष्कार करना चाहिए. उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू सभ्यता में किसी का एक बार दाह संस्कार होने के बाद दोबारा दाह संस्कार नहीं किया जाता. कार्यक्रम में शिवजी के स्वरूप में मौजूद रहे आनंद जोशी का दशानन का स्वरूप धारण किए हुए डॉक्टर मदन मोहन शर्मा ने शिव तांडव स्त्रोत का पाठ कर पूजा अर्चना की.