प्रहलाद कुमार, पटना. राज्य के सभी एनएच ओर एसएच पर सड़क दुर्घटना के बाद घायलों को तुरंत अस्पताल पहुंचाने के लिए 60 किलो मीटर पर एंबुलेंस की व्यवस्था की जायेगी. परिवहन विभाग ने जनवरी से सड़क सुरक्षा के तहत एंबुलेंस तैनात करने के लिए प्रस्ताव बनाया गया है. जल्द ही सड़क सुरक्षा में शामिल सभी विभागों के साथ स्वास्थ्य विभाग की बैठक की जायेगी, जिसमें इस प्रस्ताव पर चर्चा होगी. साथ ही, जिलों से एंबुलेंस कहां-कहां रहें. इसको लेकर सुझाव मांगा जायेगा.
नवंबर से हर 10 किलो मीटर पर ऑटोमैटिक कैमरा लगाने का काम होगा शुरू
राज्य के सबसे खतरनाक पांच एनएच पर ऑनलाइन निगरानी के लिए ऑटोमैटिक कमैरा लगेगा. जोकि तेज रफ्तार की गाड़ी के नंबर प्लेट को कैच करेगी, ताकि गाड़ी मालिक की पहचान तुरंत हो सकें. एनएच पर लगने वाले कैमरों की दूरी एक-दूसरे कैमरे से महज किलो मीटर से भी कम की होगी, ताकि गाड़ी की रफ्तार कितनी भी हो. कैमरे की नजर से बच नहीं सकें. परिवहन विभाग ने एनएच पर ऑनलाइन निगरानी करने का पूरा काम बेल्ट्रॉन के सहयोग से करने का निर्णय लिया है. यह कैमरा हर 10 किलो मीटर पर लगाया जायेगा.
यहां होते हैं सबसे अधिक हादसे
सबसे अधिक हादसे एनएच 31 पर हुए, जिसमें 2021 में 520 की मौत हो गयी. एनएच 28 दूसरे स्थान पर है. यह बेगूसराय, मुजफ्फरपुर और गोपालगंज से होकर गुजरती है. इस 515 दुर्घटनाएं हुई, जिसमें 443 की मौत हो गयीै. तीसरे स्थान पर एनएच 30 है वहीं, चौथे पर एनएच 57 और पांचवें पर दो एनएच है. जिसमें कैमूर सासाराम एवं औरगंबाद से होकर गुरजने वाली सड़क है.
लगातार बढ़ रहे हैं हादसों के आंकड़े
राज्य परिवहन विभाग के एक आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, बिहार में 2022 (जनवरी से सितंबर तक) के दौरान सड़क दुर्घटनाओं के कारण 6,626 लोगों की जान चली गई. पिछले साल हुई 8,009 सड़क दुर्घटनाओं में 5,476 लोग घायल हुए. 2021 में 9,553 सड़क हादसों में 7,660 लोग मारे गए, जबकि 2020 में हुए 8,639 हादसों में 8,639 लोगों की मौत हुई. राज्य परिवहन आयुक्त सीमा जैन ने कहा कि सड़क हादसों के शिकार ज्यादातर युवा आयु वर्ग के हैं, खासकर कॉलेज के छात्र, जो वाहन चलाते हैं. अधिकतर दुर्घटनाएं लापरवाही से या अन्य गाड़ियों को ओवरटेक करना या फिर तेज रफ्तार की वजह से हुईं.
बिहार में सड़क हादसे रोकने की बड़ी पहल
राज्य परिवहन आयुक्त सीमा जैन ‘सड़क सुरक्षा सप्ताह के दौरान 11 से 17 जनवरी तक बिहार के सभी जिलों में रेडियो, जिंगल्स, नुक्कड़ नाटक और लघु फिल्मों के माध्यम से जागरुकता अभियान चलाया जाएगा, ताकि यात्रियों को मोटर वाहन अधिनियम का पालन करते हुए सुरक्षित रूप से ड्राइव करने के लिए जागरूक किया जा सके. विभाग न केवल ब्लैक स्पॉट, बल्कि कमजोर बिंदुओं की पहचान करके सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के उपाय भी कर रहा है. ब्लैक स्पॉट ऐसे क्षेत्र हैं, जहां एक वर्ष के भीतर 10 दुर्घटनाएं और 10 मौतें हुईं, और संवेदनशील बिंदु वे हैं जहां एक वर्ष के भीतर तीन से अधिक व्यक्तियों की मृत्यु हुई और 10 से कम दुर्घटनाएं हुईं.’
इन जगहों पर ज्यादा हादसे
विभाग ने NH-2 (वाराणसी-औरंगाबाद), NH-28 (छपरा-बेतिया), NH-30 (पटना-बख्तियारपुर), NH-31 (बरौनी-मुजफ्फरपुर, पिपराकोठी) सहित पांच राष्ट्रीय राजमार्गों (NHs) की पहचान की है. इनमें NH-57 (मुजफ्फरपुर-दरभंगा-पूर्णिया) पर जहां कुल की करीब 50% दुर्घटनाएं हुईं. एनएच पर सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए राज्य नियंत्रण कक्ष स्थापित करने, सिस्टम इंटीग्रेटर, सीसीटीवी-कैमरा (स्वचालित नंबर पहचान प्लेट), स्पीड गन स्थापित करने और सुरक्षा कर्मियों को तैनात करने और चालान जारी करने की भी योजना बनाई जा रही है.