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इस बार की शरद पूर्णिमा काफी खास है, क्योंकि करीब 30 वर्ष बाद शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है
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हिंदू पंचांग के अनुसार, सालों बाद शरद पूर्णिमा और गजकेसरी योग में चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है.
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शरद पूर्णिमा पर लगने वाला चंद्र ग्रहण भारतीय समय अनुसार 28 अक्टूबर की रात 1 बजकर 44 मिनट से चंद्र ग्रहण शुरू हो जाएगा
Chandra Grahan on Sharad Purnima 2023: 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा का पर्व मनाया जाएगा. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस बार की शरद पूर्णिमा काफी खास है, क्योंकि करीब 30 वर्ष बाद शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण लग रहा है. इस पूर्णिमा को आश्विन पूर्णिमा के नाम से जाना जाता है.
सभी साल का आखिरी व दूसरा चंद्र ग्रहण 28 अक्टूबर 2023 की रात को लगेगा। खास बात यह है कि यह चंद्र ग्रहण भारत में नजर आएगा. हिंदू पंचांग के अनुसार, सालों बाद शरद पूर्णिमा और गजकेसरी योग में चंद्र ग्रहण लगने जा रहा है.
शरद पूर्णिमा पर लगने वाला चंद्र ग्रहण भारतीय समय अनुसार 28 अक्टूबर की रात 1 बजकर 44 मिनट से चंद्र ग्रहण शुरू हो जाएगा. चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले यानी दोपहर 4 बजकर 44 मिनट से शुरू हो जाएगा. सूतक चंद्र ग्रहण खत्म होने तक यानी 2 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.
जानें खीर रखने का क्या पड़ेगा प्रभाव
शरद पूर्णिमा पर लगने वाला चंद्र ग्रहण भारतीय समय अनुसार 28 अक्टूबर की रात 1 बजकर 44 मिनट से चंद्र ग्रहण शुरू हो जाएगा. चंद्र ग्रहण का सूतक 9 घंटे पहले यानी दोपहर 4 बजकर 44 मिनट से शुरू हो जाएगा. सूतक चंद्र ग्रहण खत्म होने तक यानी 2 बजकर 24 मिनट तक रहेगा.
शरद पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण
शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा की किरणों से अमृत बरसता है, इसीलिए इस दिन खुले आसमान के नीचे खीर रखकर अगले दिन खाया जाता है. ताकि अमृत के गुण मिल सके. लेकिन चंद्र ग्रहण में चंद्रमा की किरणें दूषित हो जाती है, इसे शरीर के लिए हानिकारक माना गया है. ऐसे में इस दिन खुले आसमान के नीचे खीर नहीं रखी जाएगी.
शरद पूर्णिमा पर करें पूजा
शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण का सूतक काल दोपहर 02:52 बजे से लग रहा है, ऐसे में रात के समय न तो लक्ष्मी पूजा होगी और न चंद्रमा को अर्घ्य दे पाएंगे. इस स्थिति में ज्योतिषाचार्य भट्ट का कहना है कि आप शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा और चंद्रमा पूजन या तो सूतक काल से पूर्व करें या फिर चंद्र ग्रहण के समापन के बाद करें.
ग्रहण के बाद चंद्रमा और लक्ष्मी पूजा करना सही रहेगा. रात्रि में आपको शरद पूर्णिमा का चंद्रमा प्राप्त हो जाएगा. उसके अलावा शरद पूर्णिमा पर रात्रि के समय में ही माता लक्ष्मी पृथ्वी पर भ्रमण करती हैं और पूछती हैं कि कौन जा रहा है, इसलिए इसे कोजागरी पूर्णिमा कहते हैं. इस बार आप शरद पूर्णिमा पर लक्ष्मी पूजा चंद्र ग्रहण के बाद करें. उस समय ही शरद पूर्णिमा के ज्योतिष उपाय भी कर लें.इस साल शरद पूर्णिमा 5 शुभ योग में है. शरद पूर्णिमा के दिन सौभाग्य योग, सिद्धि योग, बुधादित्य योग, गजकेसरी योग और शश योग का निर्माण हो रहा है।
इस समय रखें खीर चंद्र रौशनी में
आप शरद पूर्णिमा की खीर चतुर्दशी की रात यानि 27 अक्टूबर शुक्रवार की रात या फिर 28 अक्टूबर को जब शरद पूर्णिमा की तिथि प्रात: 04:17 बजे से शुरू हो तो उस समय उस खीर को चंद्रमा की रोशनी में रख दें। उस दिन चंद्रास्त प्रात: 04:42 पर होगा। 28 अक्टूबर के प्रात: पूर्णिमा तिथि में चंद्रमा की औषधियुक्त रोशनी प्राप्त हो जाएगी।क्योंकिधार्मिक मान्यताओं के अनुसार, शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा 16 कलाओं से पूर्ण होकर आलोकित होता है. इस वजह से उसकी किरणों में अमृत के समान औषधीय गुण होते हैं. जब हम शरद पूर्णिमा की रात खीर को खुले आसमान के नीचे रखते हैं तो उसमें चंद्रमा की किरणें पड़ती हैं, जिससे वह खीर औषधीय गुणों वाला हो जाता है. खीर की सामग्री दूध, चावल और चीनी तीनों ही चंद्रमा से जुड़ी वस्तुएं हैं, इसके सेवन से स्वास्थ्य लाभ तो होता ही है, कुंडली का चंद्र दोष निवारण भी होता है.