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बिहार में लोकपर्व कोजागरा की तैयारी पूरी, मिथिला के घर-घर में होगी मां अन्नपूर्णा की आराधना

आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाले पर्व कोजगरा में मुख्य रूप में लक्ष्मी के अन्नपूर्णा रूप की पूजा होती है. साथ ही घर में आयी नयी विवाहिता को सामाजिक स्तर पर आशिर्वाद दी जाती है, जिसे चुमाओन कहा जाता है.

मधुबनी. मिथिला का प्रसिद्ध लोकपर्व कोजागरा 28 अक्टूबर को मनाया जाएगा. मिथिला के घर-घर में मां अन्नपूर्णा की पूजा होगी. इसके लिए तैयारी पूरी कर ली गयी है. आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाने वाले पर्व कोजगरा में मुख्य रूप में लक्ष्मी के अन्नपूर्णा रूप की पूजा होती है. साथ ही घर में आयी नयी विवाहिता को सामाजिक स्तर पर आशिर्वाद दी जाती है, जिसे चुमाओन कहा जाता है. मिथिला में कोजागरा की रात नवविवाहित दंपती का चुमाओन करने की परंपरा सदियों से चली आ रही है. इस परंपरा का निर्वहन आज भी पूरी सिद्दत के साथ की जाती है.

मखाना बांटने की है परंपरा

परंपरा के अनुसार कोजागरा के दिन नवविवाहित दंपती को मखाना, मिठाई, चूरा, दही, नये वस्त्र सहित अन्य भोजन सामग्री उपहार स्वरूप दिया जाता है. चुमाओन के बाद मखाना बांटने की परंपरा है. फिर ससुराल से आये भोजन सामग्री लोगों को खिलाकर पर्व का समापन किया जाता है. कोजागरा को लेकर बाजार में मखाना की मांग बढ़ने के साथ कीमत में भी काफी इजाफा हुआ है. फिर भी लोग पर्व की रस्म पूरा कारने के लिए जमकर मखाना की खरीदारी करते दिखे.

कोजगरा की रात मां लक्ष्मी की होती है आराधना

कोजागरा की रात तकरीबन हर घर में श्रद्धा के साथ मां अन्नपूर्णा की पूजा-अर्चना की जाती है. कहा जाता है कि कोजागरा की रात से देवी अन्नपूर्णा घर में निवास करने लगती है. श्रद्धा व निष्ठापूर्वक उनकी पूजा-अर्चना करने से घर में सुख-समृद्धि और शांति आती है. इसी भावना से मिथिला के हर घर में देवी अन्नपूर्ण की आराधना की जाती है. मान्यता है कि जिस घर में आश्विन माह की पूर्णिमा तिथि को मां अन्नपूर्णा की पूजा होती है, उस घर में कभी अन्न का संकट नहीं होता है. उस घर का कोई कभी भूख से नहीं मरता है.

कोजागरा का शुभ मुहूर्त

पं. कांतिधर झा ने कहा है कि कोजागरा का पर्व आश्विन महीने की पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है. इसबार पूर्णिमा की तिथि 28 अक्टूबर को है. 28 अक्टूबर की सुबह के 4 बजकर 17 मिनट से पूर्णिमा तिथि की शुरुआत होगी. वहीं समापन रात के एक बजकर 53 मिनट पर होगी. कोजागरा पर्व रात में मनाने की परंपरा है. नतीजतन शाम होने के बाद कभी भी नवविवाहित दंपती का चुमाओन की रस्म पूरी की जा सकती है. वहीं मां लक्ष्मी की आराधना रात के एक बजकर 53 मिनट से पहले कभी भी की जा सकती है.

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चन्द्रग्रहण का स्पर्श होगा रात्रि 01:05 बजे से व समाप्ति रात 02:23 बजे

आश्विन शुक्लपक्ष पूर्णिमा अर्थात् शरद् पूर्णिमा शनिवार रात लगने वाला खंडग्रास चन्द्रग्रहण पूरे भारतवर्ष में दिखाई देगा. भारतीय समय के अनुसार चन्द्रग्रहण का स्पर्श रात 01:05 बजे होगा. इसका मध्य रात 01:44 बजे होगा तथा मोक्ष अर्थात् समाप्ति रात 02:23 बजे है. वेद विद्यालय के प्राचार्य सुशील कुमार पाण्डेय ने बताया कि चन्द्र ग्रहण का सूतक स्पर्श (प्रारंभ) से नौ घंटे पूर्व प्रारंभ हो जाता है. चन्द्रग्रहण का स्पर्श रात 01:05 बजे हो रहा है,इसलिए नौ घंटे पूर्व अर्थात शाम 04:05 बजे से ही इसका सूतक लग जायेगा. सूतक लग जाने पर मंदिर में प्रवेश करना, मूर्ति को स्पर्श करना, भोजन, यात्रा आदि वर्जित है. ग्रहण अवधि में मंत्र जप आदि का शास्त्रीय विधान है.

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