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फर्जीवाड़ा : स्कूल-कॉलेजों में नामांकन कराये बिना ही 10वीं-12वीं की परीक्षा पास कर रहे विद्यार्थी

स्कूल-कॉलेजों की नामांकन पंजी, कक्षावार उपस्थिति, आंतरिक परीक्षा में शामिल पंजीकृत विद्यार्थियों का विषयवार अंक, विद्यार्थियों के पंजीयन के लिए स्कूल-कॉलेजों द्वारा रखे गये रजिस्टर की जांच की गयी. जांच में कई चौकानेवाले तथ्य सामने आये हैं.

रांची, सुनील कुमार झा : राज्य के कई स्कूलों और कॉलेजों में नियमों की अनदेखी कर मैट्रिक-इंटर की परीक्षा में विद्यार्थियों को शामिल किया जा रहा है. स्कूल-कॉलेज की उपस्थिति पंजी में जिन विद्यार्थियों का नाम नहीं है, वे परीक्षा में शामिल और पास हुए हैं. इसका खुलासा झारखंड के शिक्षा सचिव के निर्देश पर गठित टीम की जांच में हुआ है. जांच रिपोर्ट जल्द ही सचिव को सौंपी जायेगी. शिक्षा सचिव के निर्देश पर आठ जांच टीमें गठित की गयी थीं. टीमों ने दो दिनों तक रांची, धनबाद, पलामू, रामगढ़, हजारीबाग, कोडरमा जिले के अलग-अलग स्कूल-कॉलेजों की जांच की. इस दौरान स्कूल-कॉलेजों की नामांकन पंजी, कक्षावार उपस्थिति, आंतरिक परीक्षा में शामिल पंजीकृत विद्यार्थियों का विषयवार अंक, विद्यार्थियों के पंजीयन के लिए स्कूल-कॉलेजों द्वारा रखे गये रजिस्टर की जांच की गयी. जांच में कई चौकानेवाले तथ्य सामने आये हैं. पता चला है कि जिन विद्यार्थियों का रिकार्ड कॉलेज में नहीं है, वे भी परीक्षा में शामिल हुए हैं.

  • शिक्षा विभाग द्वारा गठित टीम की जांच में खुलासा, चौंकानेवाले तथ्य मिले

  • शिकायतें मिलने पर शिक्षा सचिव के निर्देश पर गठित हुई थीं आठ टीम

  • सभी टीमों ने अलग-अलग जिलों के स्कूल-कॉलेजों में जाकर की जांच

नामांकन 400 का, परीक्षा दी 1000 ने

रांची के बुंडू के एक कॉलेज में जांच के दौरान पाया गया कि वर्ष 2023 की इंटर कला की परीक्षा में 1000 से अधिक विद्यार्थी शामिल हुए. जबकि उपस्थिति पंजी में 429 विद्यार्थियों का ही नाम दर्ज है. शेष विद्यार्थी परीक्षा में कैसे शामिल हुए, इसका कोई रिकार्ड कॉलेज की ओर से नहीं दिखाया गया.

स्कूल ने बना रखी थी दो उपस्थिति पंजी

राजधानी के हिंदपीढ़ी स्थिति एक हाइस्कूल में एक कक्षा के लिए दो उपस्थिति पंजी बनाकर रखी गयी थी. दोनों में विद्यार्थियों की संख्या अलग-अलग थी. जांच टीम ने जब इस संबंध में जानकारी मांगी, तो बताया गया कि अधिक विद्यार्थी होने के कारण दो उपस्थिति पंजी बनायी गयी थी.

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नियमित छात्र की तुलना में दोगुना प्राइवेट

जांच में यह भी पता चला कि स्कूल-कॉलेजों में प्राइवेट विद्यार्थी के नाम पर भी खेल होता है. स्कूल-कॉलेजों में नामांकित विद्यार्थी की तुलना में दोगुना प्राइवेट विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हो रहे हैं. स्कूलों में कमरा, शिक्षक समेत अन्य आवश्यक संसाधन नहीं हैं, पर विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हो रहे हैं.

नौवीं व 11वीं की परीक्षा पास करना अनिवार्य

मैट्रिक व इंटर की परीक्षा में शामिल होने के लिए विद्यार्थियों का नौंवी व 11वीं की परीक्षा पास करना अनिवार्य है. प्राइवेट विद्यार्थी के लिए इसे अनिवार्य किया गया है. इसके बाद भी नियमों की अनदेखी कर विद्यार्थियों को परीक्षा में शामिल कराया जा रहा है.

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डीइओ को सत्यापन की दी गयी है जिम्मेदारी

मैट्रिक और इंटर की परीक्षा में शामिल होनेवाले विद्यार्थियों के पंजीयन कर सत्यापन जिला शिक्षा पदाधिकारी करते हैं. जिला शिक्षा पदाधिकारी द्वारा उपस्थिति पंजी की भी जांच का प्रावधान है. डीइओ द्वारा अग्रसारित किये जाने के बाद भी विद्यार्थी का पंजीयन होता है.

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