Cello IPO: घरेलू सामान और स्टेशनरी प्रोडक्ट बनाकर पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाने वाली कंपनी सेलो वर्ल्ड का आईपीओ आजा बाजार में खुल गया है. भारतीय बाजार में 1900 करोड़ रुपये के इश्यू के लिए प्राइस बैंक 617 से 648 रुपये तय किया गया था. Cello World के शेयर बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज (BSE) और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) पर लिस्ट होंगे. इस इश्यू को ग्रे मार्केट में काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिल रही है. इसके शेयर करीब 120 रुपये प्रीमियम पर ट्रेड कर रहे हैं. अगर कंपनी के शेयर बाजार में 648 रुपये के अपर प्राइस बैंड पर अलॉट होते हैं तो ये 768 रुपये पर बाजार में लिस्ट होगा. यानी, निवेशक को हर शेयर को पहले दिन ही, करीब 20 प्रतिशत का मुनाफा होने की संभावना है. इस IPO में एक और अच्छी बात है कि सेलो अपने शेयर को कंपनी के कर्मचारियों को 61 रुपये डिस्काउंट पर दे रही है. बताया जा रहा है कि शेयर का अलॉटमेंट 6 नवंबर को फाइनल हो सकता है. जबकि, कंपनी 9 नवंबर को एक्सचेंज में लिस्ट होने वाली है.
कम से कम 14904 रुपये करना होगा निवेश
सेलो के इस आईपीओ में रिटेल निवेशक को कम से कम एक लॉट और अधिकतम 31 लॉट पर पैसा लगाने की इजाजत है. इस आईपीओ में एक लॉट में 23 शेयर हैं. यानी 13 लॉट में 299 शेयर होंगे. निवेशक को कम से कम कंपनी में 14904 रुपये का निवेश करना होगा. कंपनी में फिलहाल इनवेस्टर्स की हिस्सेदारी 100 पर्सेंट है, जो कि आईपीओ के बाद 91.8 पर्सेंट रह जाएगी. कंपनी के शेयरों की फेस वैल्यू पांच रुपये है. सेलो वर्ड वर्तमान में तीन कैटेगरी राइटिंग इंस्ट्रूमेंट्स एंड स्टेशनरी, मोल्डेड फर्नीचर और कंज्यूमर हाउसवेयर एंड रिटेलेड प्रॉडक्ट्स में डील करती है.
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सेकेंड हैंड आईपीओ का बाजार है ग्रे मार्केट
ग्रे मार्केट को आसान शब्दों में IPO का सेकेंड हैंड बाजार कहा जा सकता है. इसका अर्थ है कि आईपीओ जारी होने के बाद आप सीधे शेयर बाजार से खरीदारी करने के बजाये किसी निवेशक जिसने पहले से कंपनी में निवेश कर रखा है उससे आईपीओ की खरीदारी करते हैं. इस ग्रे मार्केट में सबसे बड़ी परेशानी ये आती है कि इसमें काम करने वाले सेलर, ब्रोकर और ट्रेडर कहीं भी रजिस्टर्ड नहीं होते हैं. इस बाजार में कोई नियम कानून नहीं है. केवल भरोसे और व्यक्तिगत बातचीत पर कारोबार होता है. वहीं, पैसे फंसने पर रिकवरी भी आपको खुद अपने माध्यम से ही करनी पड़ती है.
ग्रे शेयर बाजार में क्या मिलता है
ग्रे मार्केट एक गैर-नियमित सेक्योरिटी बाजार है, जहां नए शेयर ऑफरिंग (IPO) के पहले या शेयर लिस्टिंग से पहले शेयरों का ट्रेडिंग होता है. यह बाजार अधिकतर IPO के ग्रे मार्केट (आगमनिका) के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें नए शेयर ऑफरिंग की अनुमानित लिस्टिंग प्राइस पर शेयर ट्रेड होते हैं. इस मार्केट में शेयर ट्रेडिंग अनिश्चितता के अंदर होती है, क्योंकि शेयरों की लिस्टिंग की अंतिम कीमत अभी तक निर्धारित नहीं होती. इसके साथ ही, ग्रे मार्केट में लोग नए IPO के शेयर अभिलेखों को पहले से ही खरीद लेते हैं. जहां शेयर ट्रेडिंग निवेशकों के लिए जोखिमयुक्त होती है, क्योंकि शेयरों की फाइनल लिस्टिंग प्राइस और वित्तीय वर्ष में शेयरों के मूल्य में बदलाव हो सकता है. जब किसी अपेक्षित IPO का डिमांड उच्च होता है, तो ग्रे मार्केट में शेयरों की कीमत उच्च होती है. यह अधिक मूल्यांकन का कारण हो सकता है. ग्रे मार्केट नियमित नहीं होता है और अनियमितता का भय हो सकता है.
कैसे कारोबार करता है ग्रे मार्केट
ग्रे मार्केट का कारोबार भरोसे पर चलता है. इसे ऐसे समझ सकते हैं. एक कंपनी है ‘क’ इसका व्यापार काफी अच्छा चल रहा है. कंपनी ने हाल के दिनों में अच्छा मुनाफा कमाया है. कंपनी अपना व्यापार बढ़ाने के लिए बाजार में आईपीओ लेकर आयी. निवेशक की नजर कंपनी पर पड़ी. उसने सोचा की इस कंपनी का आईपीओ खरीद लेना चाहिए. मगर, पता चला कि ऑफरिंग के लिए आवेदन करने की आखिरी तिथि निकल गयी है. ऐसे में निवेशक अब ग्रे मार्केट का रुख करेगा. वहां पहले से आवेदन कर चूका एक निवेशक अपने हिस्से की बोली लगवा रहा है. दूसरा निवेशक चाहे तो पूरा का पूरा एप्लिकेशन बोली लगाकर खरीद सकते हैं.
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