दुमका : नक्सल साये और हर दिन होनेवाली पुलिसिया गतिविधियों से गुजरना, कुछ यूं बीत रहे थे. दुमका जिले के काठीकुंड प्रखंड के उग्रवाद प्रभावित बड़ा सरुआपानी क्षेत्र के ग्रामीणों के दिन. इन गतिविधियों के बीच क्षेत्र का विकास रुका हुआ था. रोजगार- व्यापार, आवागमन लगभग सब बाधित था. हालात यह थे कि नौनिहालों का बचपन हंसने, खेलने-कूदने की बजाय घर की चहारदीवारी तक सिमट कर रह गयी थी. बच्चे पढ़ाई के लिए स्कूल कोचिंग तो जाना चाहते थे. पर खराब माहौल को देखते हुए मां-बाप बच्चों को अपनी नजरों के सामने ही रखना चाहते थे. वर्तमान समय में क्षेत्रों की फिजां बदल चुकी है. पुलिसिया दबिश व कार्रवाई से आज यह क्षेत्र लगभग नक्सलमुक्त हो चुका है. लोग सामान्य जीवन-यापन कर रहे हैं. बच्चे स्कूल जा रहे हैं. रोजी रोजगार से जीविकोपार्जन कर अपने जीवन स्तर को बदलने के लिए प्रयासरत है. हालांकि क्षेत्र से नक्सल गतिविधियों को समाप्त करने के दौरान पुलिस की गतिविधियों से कई बार ग्रामीणों को गुजरना पड़ता था. लेकिन हालात बदल चुके हैं. पुलिस व एसएसबी द्वारा समय-समय पर आयोजित किये जानेवाले कार्यक्रमों से ग्रामीणों के साथ बनी दूरियां कम हुई है. लोग अब रोजगार से जुड़ रहे हैं. क्षेत्र में होनेवाले मौसमी उत्पादों जैसे आम, कटहल, मकई, धान समेत अन्य कच्ची सामग्री को बाहर के बाजार में ले जाकर सीधे बेच रहे हैं, जिससे उन्हें अधिक मुनाफा प्राप्त हो रहा है.
दुमका के सरुआपानी हाट परिसर में नाश्ता व किराना की दुकान चला कर यहां के ग्रामीण अपने परिवार का भली-भांति भरण-पोषण कर रहे हैं. सरुआपानी समेत आसपास के गांवाें में बच्चे खेलते हुए, हंसी ठिठोली करते हुए अपने बचपन को जीते नजर आ रहे हैं. स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे अपने भविष्य को गढ़ने के लिए साइकिल से नारगंज स्कूल, काठीकुंड प्लस टू स्कूल तक पहुंच रहे हैं. क्षेत्र में ग्रामीण सड़कों का जाल बीच चुका है. पीडब्ल्यूडी शिवतल्ला से तिलाइटाड़ तक सड़क निर्माण कार्य भी प्रगति पर है. निर्माण होने के बाद इस क्षेत्र के लोगों के एकमात्र सड़क की समस्या भी दूर हो जायेगी. इन गांव के लोगों को अब मुख्यालय या नजर जुड़ने के लिए पैदल नहीं जाना पड़ता. रोजाना इन ग्रामीण रास्तों से मुख्य बाजार तक ऑटो का परिचालन होता है. स्थानीय लोग ऑटो चला कर परिवार का भरण-पोषण भी कर रहे हैं. फोकस एरिया की आर्थिक गतिविधि बढ़ गयी है.