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Karwa Mata Ki Aarti: करवा चौथ पर पूजा के बाद जरूर करें ये आरती, ओम जय करवा मैया माता जय करवा मैया…

हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाएं करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखती हैं. यह व्रत सूर्योदय के साथ प्रारंभ होता है और चंद्रोदय के साथ समाप्त होता है. इस दिन श्रीगणेश, शिव, माता पार्वती, स्वामी कार्तिकेय और चंद्रदेव की पूजा अर्चना की जाती है.

Karwa Mata Ki Aarti And Mantra: करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बहुत खास होता है, इस दिन सुहागिनें निर्जला व्रत रखती हैं और पति की लंबी उम्र की कामना के साथ पूजा करती हैं. यह व्रत हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. सुहागिने पूरे दिन व्रत रखने के बाद शाम को चांद देखकर व्रत का पारण करती हैं. करवा चौथ के दिन करवा माता की आरती गाने एवं मंत्रोच्चार करने से पति पर आया हर संकट दूर हो जाता है. पति की आयु बढ़ती है और पति पर से अकाल मृत्यु का योग भी नष्ट हो जाता है, इसके साथ ही माता करवा प्रसन्न होती हैं और वैवाहिक जीवन को खुशहाली से भर देती हैं. धार्मिक मान्यता है कि इस दिन करवा माता की पूजा के बाद मंत्र और आरती पढ़े बिना व्रत अधूरा रह जाता है, इसलिए इस दिन पूजा के दौरान विधिवत मंत्र और आरती जरूर करें.

Karwa Mata Aarti And Mantra: करवा चौथ आरती

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।। ओम जय करवा मैया।

सब जग की हो माता, तुम हो रुद्राणी।

यश तुम्हारा गावत, जग के सब प्राणी।।

कार्तिक कृष्ण चतुर्थी, जो नारी व्रत करती।

दीर्घायु पति होवे , दुख सारे हरती।।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।

होए सुहागिन नारी, सुख संपत्ति पावे।

गणपति जी बड़े दयालु, विघ्न सभी नाशे।।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।

करवा मैया की आरती, व्रत कर जो गावे।

व्रत हो जाता पूरन, सब विधि सुख पावे।।

ओम जय करवा मैया, माता जय करवा मैया।

जो व्रत करे तुम्हारा, पार करो नइया।।

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करवा चौथ के मंत्र

  • श्रीगणेश का मंत्र – ॐ गणेशाय नमः

  • शिव का मंत्र – ॐ नमः शिवाय

  • पार्वतीजी का मंत्र – ॐ शिवायै नमः

  • स्वामी कार्तिकेय का मंत्र – ॐ षण्मुखाय नमः

  • चंद्रमा का पूजन मंत्र – ॐ सोमाय नमः

  • ‘मम सुख सौभाग्य पुत्र-पौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुर्थी व्रतमहं करिष्ये।’

  • ‘नमस्त्यै शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभा। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे।’

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