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पर्वतीय क्षेत्रों में फिर जोर पकड़ रहा माइके का अवैध कारोबार, रात के अंधेरे में कोडरमा भेजा जाता है माइका

गावां प्रखंड के पर्वतीय इलाकों में माइके का अवैध कारोबार पुन: धड़ल्ले से शुरू हो गया है. प्रशासनिक दबाव के कारण यह व्यवसाय साल भर से थम-सा गया था, पर इधर कुछ महीने से पुनः धड़ल्ले से यह धंधा चलने लगा है.

संजय कुमार सिन्हा, गावां : गावां प्रखंड के पर्वतीय इलाकों में माइके का अवैध कारोबार पुन: धड़ल्ले से शुरू हो गया है. प्रशासनिक दबाव के कारण यह व्यवसाय साल भर से थम-सा गया था, पर इधर कुछ महीने से पुनः धड़ल्ले से यह धंधा चलने लगा है. प्रखंड के चरकी, जमडार, हरलाघाटी, गोरियांचू, तराई, बादीडीह, बैंड्रो, चरका पहाड़, भतगड़वा, धरवे कुसमाय समेत कई जंगली इलाकों में अवैध उत्खनन का धंधा लगातार जारी है. खदानों के घने जंगलों में स्थित होने के कारण उन इलाकों में गस्त नहीं हो पाती है. नतीजतन माफिया बेरोकटोक उत्खनन करवाते हैं.

इलाके में फैला है माफिया का जाल 

ढिबरा माफियाओं का जाल पूरे क्षेत्र में फैला है. प्रशासनिक व विभागीय गतिविधियों पर उनकी नजर लगी रहती है. वन कर्मियों के खदान की ओर रुख करने से पूर्व उन्हें इसकी सूचना मिल जाती है. इसके बाद वे अपने औजार, वाहन आदि को छुपाकर गायब हो जाते हैं.

जान जोखिम में डाल कर उत्खनन करते हैं मजदूर

प्रखंड के पर्वतीय इलाकों में दर्जनों माइंस हैं. इन खदानों में जान जोखिम में डालकर मजदूर माइका का उत्खनन करते हैं. इन क्षेत्रों में पूर्व में चाल धंसने से दर्जनों लोगों की मौत हो चुकी है. हादसों के बाद परिजनों को पैसे का प्रलोभन व भय दिखाकर चुप करा दिया जाता है. इन घटनाओं में महिलाओं से लेकर नाबालिग भी शामिल रहते हैं. प्रखंड की खदानों में इस समय भी ताजा उत्खनन के निशान व एकत्र ढिबरा देखा जा सकता है. पदाधिकारी जब तक मुख्य पथ से चलकर खनन स्थल तक पहुंचते हैं, तब तक सब कुछ गायब हो जाता है.

नयी तकनीक का हो रहा इस्तेमाल

गिरिडीह प्रशासन की दबिश के बाद माफिया अब नयी तकनीक का सहारा लेने लगे हैं. पूर्व में जहां अवैध रूप से निकाले गये माइका व ढिबरा गोदामों में रखे जाते थे, वहींअब उसे जंगल में ही छुपा कर डंप कर दिया जा रहा है. तिसरी प्रखंड स्थित लोकाय नयनपुर इलाके के नारोटांड़ आदि स्थानों में निकाले गये ढिबरा को भी गावां प्रखंड के जंगली इलाके बरमसिया, पसनौर होते हुए ढाब रास्ते से डोमचांच कोडरमा की ओर ले जाया जाता है. सूत्रों की मानें तो क्षेत्र में उत्पादित माइका व ढिबरा को बादीडीह, चरकी व घंघरीकुरा आदि से सटे जंगलों में डंप करके रखा जाता है. जेसीबी के जरिये वाहनों में भरकर देर रात ढाब रास्ते से डोमचांच की ओर ले जाया जाता है. बताया जाता है कि माफियाओं ने पहाड़ों को काट कर जंगल में भी रास्ता बना लिया है.

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नष्ट होता जा रहा है प्राकृति का नैसर्गिक सौंदर्य

क्षेत्र में लगातार हो रहे उत्खनन से पहाड़ों व जंगलों का सौंदर्य नष्ट होता जा रहा है. इन क्षेत्रों में पहाड़ों में बने सुरंग, गड्ढे व कटे-धंसे भाग को मुख्य पथ से ही देखा जा सकता है. उत्खनन व रास्ता बनाने के दौरान काफी पेड़-पौधों भी काट डाले जाते हैं. हालांकि लंबे समय से ढिबरा उत्खनन को वैध करार देते हुए लीज पर उत्खनन कराने की मांग होती रही है, लेकिन इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं हो रही है. नतीजतन सरकारी राजस्व की भारी क्षति हो रही है. जंगलों का अस्तित्व भी सिमटता जा रहा है.

अवैध उत्खनन करने वालों पर होगी सख्त कार्रवाई : रेंजर

रेंजर अनिल कुमार ने कहा कि अवैध उत्खनन करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जायेगी. गत माह भी क्षेत्र में अभियान चलाया गया था. अवेध उत्खनन में संलिप्त लोग बख्शे नहीं जायेंगे.

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