Earthquake Explainer News: नेपाल में भूकंप (Nepal Bhukamp) ने एकबार फिर से तबाही मचायी है. शुक्रवार की देर रात को आए भूकंप को बिहार समेत उत्तर भारत ने भी महसूस किया. अचानक आधी रात को धरती डोलने लगी. लोग अपने-अपने घरों से बाहर निकल आए. करीब 10 सेकेंड तक धरती कांपती रही. रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 6.4 थी. भूकंप का केंद्र नेपाल के काठमांडू से करीब 335 किलोमीटर दूर था. जमीन के 10 किलोमीटर नीचे इसका केंद्र था. नेपाल में इस भूकंप ने तबाही मचा दी है और अबतक 125 से अधिक लोगों की मौत की जानकारी सामने आ रही है. जबकि इससे अधिक जख्मी बताए जा रहे हैं. नेपाल में आए इस भूकंप ने बिहार की धरती को भी हिलाया है. वहीं बिहार की बात करें तो यहां भी भूकंप का खतरा बना रहता है. नेपाल से सटे होने की वजह से इसका कितना असर यहां पड़ सकता है. जानिए..
शुक्रवार की रात को आए भूकंप ने नेपाल में तबाही मचायी है. अलग-अलग जगहों पर लोगों की मौत हुई है. नेपाल में एक महीने के अंदर भूकंप की ये तीसरी घटना है. भूकंप के झटके बिहार में भी महसूस किए गए. नेपाल की सीमा बिहार से भी लगती है. करीब आधा र्दन से अधिक जिलों में भूकंप का खतरा हमेसा बना रहता है. इन जिलों को जोन-5 में रखा गया है. कोसी-सीमांचल के इलाके में भूकंप का खतरा अधिक रहता है.
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बिहार राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के हिसाब से बिहार के अधिकतर जिले जोन 5 और जोन 4 में आते हैं. मधुबनी, सुपौल, अररिया, सहरसा, सीतामढ़ी, दरभंगा, मधेपुरा और किशनगंज को जोन 5 में रखा गया है. जोन 5 सबसे संवेदनशील होता है. जहां आठ से नौ तीव्रता वाले भूकंप के आने की आशंका रहती है. जबकि जोन 4 वाले इलाके में भूकंप की तीव्रता 7 या उससे अधिक होने की आशंका रहती है. जोन 4 की बात करें तो भागलपुर, जमुई, बांका, खगड़िया, पूर्णिया, कटिहार, मुंगेर,लखीसराय,पूर्वी और पश्चिमी चंपारण, गोपालगंज, सिवान, सारण, मुजफ्फरपुर, वैशाली, पटना, समस्तीपुर, नालंदा, बेगूसराय इसमें आते हैं. पूर्णिया के बनमनखी प्रखंड का लगभग एक तिहाई हिस्सा भूकंप के नजरिये से सिस्मिक जोन 5 और बाकि हिस्सा जोन 4 में आता है. यहां कई बार भूकंप के झटके महसूस किए जा चुके हैं. लोगों को भूकंप रोधी मकान बनाने की सलाह दी जाती है.
बिहार में भूकंप की घटना का जिक्र करें तो कई बार तबाही का मंजर प्रदेश ने देखा. 1764, 1833,1934 और 1988 के भूकंप की कहानी आज भी लोगों की रूह कंपाती है. कभी इसकी तीव्रता 6 तो कभी 7 से अधिक मापी गयी. वर्ष 1934 का भूकंप बेहद खौफनाक था. रिक्टर स्केल पर इसकी तीव्रता 8.4 थी. इस भूकंप की वजह से केवल दरभंगा में 1800 से अधिक लोगों की मौत हो गयी थी. मुजफ्फरपुर में 1500 से अधिक तो मुंगेर में 1200 से अधिक लोगों की जान गयी थी. पूरे प्रदेश में 7000 से अधिक मौत हुई थी. उत्तर बिहार का राजनगर खंडहर बन गया था.
नेपाल में एक महीने के अंदर भूकंप की ये तीसरी घटना है. अक्सर भूकंप का केंद्र नेपाल ही क्यों बनता है इसके पीछे भी कई वजह है. दरअसल, नेपाल हिमलायन रेंज में आता है. भूगोल के अध्ययन में यह जानकारी मिलती है कि हिमालय दो प्लेटों के घर्षण से बना है. अगर वेगनर थ्योरी की बात करें तो पहले केवल एक ही भूभाग था जिसे पैंजिया कहा गया. उसके चारो ओर पानी ही पानी थे, उसे पैंथालासा कहा गया. जमीन के नीचे कई प्लेटें हैं जो आपस में टकरायीं और भू-भाग कई हिस्सों में बंटे. पानी ने उन गैप को कवर किया और महासागर व महाद्वीप बने. नेपाल दो प्लेटों के बीच के भूभाग पर बसा है. जब दोनों प्लेटें घर्षण करती है और असंतुलन पैदा होता है तो भूकंप के झटके महसूस होते हैं. कई बार हिमखंड के खिसकने से भी भूकंप आता है.
तिलकामांझी भागलपुर विश्विद्यालय में भूगोल के प्रोफेसर रहे डॉ मनोज झा बताते हैं कि भौगोलिक वजह तो भूकंप के लिए एक कारण बनती ही है. पर हमने प्रकृति को भी अब समझना छोड़ दिया है और इसका खामियाजा भी भुगत रहे हैं. जिस रफ्तार से कुछ संवेदनशील इलाकों में नियमों को ताक पर रखकर कंस्ट्रक्शन वर्क चल रहा है उसने तबाही को आमंत्रण दिया है. पर्यटन के मद्देनजर जिन जगहों का उद्धार हुआ वहां अब तेज रफ्तार से लोग घर-मकान बना रहे हैं. आप गौर करें तो ऐसे जगहों पर भी प्रकृति अलग-अलग तबाही मचा रही है.