16.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

कैंसर की चुनौती

हालांकि पश्चिमी देशों और कुछ समकक्ष विकासशील देशों की तुलना में बीते दो दशकों में हमारे देश में कैंसर के मरीजों की वृद्धि दर में कम बढ़ोतरी हुई है, पर अधिक आबादी होने और जांच में बेहतरी की वजह से रोगियों की संख्या बहुत अधिक है.

हमारे देश में अभी हर साल कैंसर के 14 लाख नये मामले सामने आते हैं. आकलनों की मानें, तो 2040 तक यह संख्या 20 लाख हो जायेगी. हालांकि पश्चिमी देशों और कुछ समकक्ष विकासशील देशों की तुलना में बीते दो दशकों में हमारे देश में कैंसर के मरीजों की वृद्धि दर में बढ़ोतरी कम हुई है, पर अधिक आबादी होने और जांच में बेहतरी की वजह से रोगियों की संख्या बहुत अधिक है. पूर्वोत्तर के राज्यों में वृद्धि दर सर्वाधिक है, जबकि अधिकतर महानगरों में यह दर लगभग दो दशक से कमोबेश स्थिर है. भारतीय कैंसर कांग्रेस के अध्यक्ष डॉ संजय शर्मा का कहना है कि दर स्थिर रहने के बावजूद कैंसर मरीजों की संख्या में बढ़ोतरी से मौजूदा स्वास्थ्य सुविधाओं पर दबाव बढ़ रहा है.

महामारी का रूप लेते कैंसर से निपटने में दो प्रमुख बाधाएं हैं. हमारे देश में आबादी के अनुपात में चिकित्सकों की कमी है. फिलहाल हमारे देश में हर साल लगभग 15 सौ विभिन्न प्रकार के कैंसर विशेषज्ञ निकलते हैं. इससे महानगरों में तो चिकित्सकों की उपलब्धता बढ़ी है, पर रोगियों की बढ़ती संख्या को देखते हुए डॉक्टरों को अपेक्षाकृत छोटे शहरों में भी सेवा के लिए तैयार रहना चाहिए. कैंसर के उपचार की व्यवस्था महानगरों और कुछ बड़े अस्पतालों तक सीमित है. सरकारी अस्पतालों तथा मेडिकल कॉलेजों में कैंसर की जांच और उपचार उपलब्ध कराने पर जोर दिया जाना चाहिए. यदि ऐसी सुविधाओं का विस्तार छोटे शहरों और कस्बों तक कर दिया जाए, तो बड़ी संख्या में लोगों को पीड़ा और मृत्यु से बचाया जा सकता है.

कैंसर उपचार के क्षेत्र में सरकारी प्रयासों के साथ-साथ निजी क्षेत्र की भागीदारी बढ़ने से स्थिति बेहतर तो हुई है, लेकिन अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है. उल्लेखनीय है कि कैंसर या इस तरह की घातक बीमारियों की पहचान अगर शुरुआत में ही हो जाए, तो बचाव आसान हो जाता है. केंद्र और राज्य सरकारों की चिकित्सा बीमा योजनाओं से आबादी के एक बड़े हिस्से को राहत मिली है. बहुत से लोग अपनी क्षमता के अनुरूप स्वास्थ्य बीमा कराते हैं, लेकिन कैंसर का उपचार लंबे समय तक चलता है और अधिक खर्चीला भी होता है. इस आयाम पर भी ध्यान दिया जाना चाहिए. कैंसर जैसी बीमारी होना पहाड़ टूट पड़ने जैसा होता है. ऐसे में पीड़ितों और उनके परिजनों को भावनात्मक सहयोग की भी आवश्यकता पड़ती है. कुछ महानगरों में उनके मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल के लिए व्यवस्था है, जिसका विस्तार किया जाना चाहिए.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें