Delhi Pollution : दिल्ली-एनसीआर में सोमवार सुबह प्रदूषण का स्तर सरकार द्वारा तय सुरक्षित स्तर से सात से आठ गुना अधिक रिकॉर्ड किया गया. लगातार कई दिनें से इन क्षेत्रों के ऊपर वातावरण में जहरीली धुंध छाई नजर आई. दिल्ली में रविवार को प्रदूषण फैलाने वाले ट्रकों की इंट्री पर बैन सहित सख्त प्रतिबंध लगाने का काम किया गया. हवाओं की प्रतिकूल दशाओं के साथ-साथ समूचे उत्तर भारत में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी से वृद्धि हुई जिस वजह से वायु गुणवत्ता दूसरी बार ‘अत्यंत गंभीर’ की श्रेणी में रिकॉर्ड की जा रही है. इस बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने शहर के बिगड़ते वायु प्रदूषण संकट पर चर्चा के लिए सोमवार को दोपहर 12:00 बजे एक हाई लेबल बैठक बुलाई है. इस बैठक में दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय और सभी संबंधित विभागों के अधिकारी शामिल होंगे.
सीएम केजरीवाल द्वारा यह बैठक ऐसे समय में हो रही है जब दिल्ली में वायु प्रदूषण से हालात खराब होते जा रहे हैं. दिल्ली की हवा सोमवार सुबह लगातार पांचवें दिन गंभीर रूप से प्रदूषित रही और वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) अभी भी ‘गंभीर’ श्रेणी में है. राष्ट्रीय राजधानी में AQI 488 दर्ज किया गया है. दिल्ली में सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में आरके पुरम (466), आईटीओ (402), पटपड़गंज (471), और न्यू मोती बाग (488) शामिल हैं. दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण के स्तर को देखते हुए, दिल्ली सरकार ने क्लास फाइव तक के सभी स्कूलों को बंद करने की अवधि 10 नवंबर तक बढ़ा दी है. वहीं केजरीवाल सरकार ने कहा है कि क्लास छह-12 तक के स्कूलों को बंद करने की आवश्यकता नहीं है, लेकिन उनके पास ऑनलाइन क्लास का ऑप्शन है.
सांस और आंखों की बीमारियों की बढ़ती संख्या ने बढ़ाई चिंता
दिल्ली में सोमवार को भी जहरीली धुंध की दम घोंटने वाली चादर छाई नजर आई. डॉक्टरों ने बच्चों और बुजुर्गों में सांस और आंखों की बीमारियों की बढ़ती संख्या के बारे में चिंता व्यक्त की है. सूक्ष्म पीएम2.5 कण, जो फेफड़ों में गहराई तक जानें में सक्षम हैं जिससे स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं पैदा हो सकती है. पिछले कुछ दिनों में दिल्ली-एनसीआर में कई स्थानों पर सरकार की सुरक्षित सीमा 60 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर से सात से आठ गुना तक बढ़ गए हैं. यह WHO की सुरक्षित सीमा 5 माइक्रोग्राम प्रति क्यूबिक मीटर से 80 से 100 गुना अधिक है. केंद्र ने दिल्ली और आसपास के शहरों में ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) को लागू कर दिया है, जहां हवा की गुणवत्ता ‘सेवर प्लस’ कैटेगरी में बनी हुई है.
किन वाहनों को नहीं दी जाती दिल्ली में इंट्री
ग्रेडेड रिस्पांस एक्शन प्लान (जीआरएपी) की बात करें तो यह वायु प्रदूषण विरोधी उपायों का एक सेट है जिसे केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) ने स्थापित किया है. GRAP के चार चरण होते हैं. इनमें चरण IV सबसे गंभीर होता है. वहीं स्टेज IV तब सक्रिय होता है जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) 450 से ऊपर या ‘सेवर प्लस’ श्रेणी में रहता है. गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए जरूरी कदम उठाए जाते हैं जिसमें जीआरएपी आवश्यक सामान ले जाने वाले, आवश्यक सेवाएं प्रदान करने वाले या एलएनजी, सीएनजी या बिजली से चलने वाले ट्रकों को छोड़कर अन्य ट्रकों को दिल्ली में इंट्री करने से रोकता है. केवल इलेक्ट्रिक, सीएनजी और बीएस-VI डीजल हल्के वाणिज्यिक वाहनों (एलसीवी) को दिल्ली के बाहर से यहां इंट्री दी जाती है.
यहीं नहीं दिल्ली में सभी निर्माण कार्य और इससे जुड़े अन्य कार्यों पर कुछ दिनों के लिए रोक लगा दी जाती है. जैसे सड़क, पुल और बिजली लाइनें जैसी सार्वजनिक परियोजनायों को स्थगित कर दिया जाता है. दिल्ली और केंद्र सरकारें सार्वजनिक, नगरपालिका और निजी कार्यालयों को अपने आधे कर्मचारियों के साथ घर से काम करने की अनुमति दे सकती हैं. दिल्ली की वायु गुणवत्ता की गिनती अन्य देश की राजधानी में सबसे खराब श्रेणी में होती है. शिकागो विश्वविद्यालय की एक रिपोर्ट में पाया गया है कि वायु प्रदूषण लोगों के जीवन को लगभग 12 साल तक कम कर देता है.