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कोंटा में इस बार कौन मारेगा बाजी? कांग्रेस के कवासी लखमा फिर से मैदान में, ये भी लड़ रहे चुनाव

कोंटा (एसटी) विधानसभा सीट पर एक बार फिर कांग्रेस के कवासी लखमा किस्मत आजमा रहे हैं. चार बार चुनाव जीत चुके हैं और पांचवीं बार फिर कांग्रेस ने उन्हें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित इस सीट से उतारा है.

छत्तीसगढ़ के आदिवासी बहुल कोंटा (एसटी) विधानसभा सीट पर एक बार फिर कांग्रेस के कवासी लखमा किस्मत आजमा रहे हैं. इस सीट पर वह अब तक अजेय रहे हैं. आदिवासी समाज के उत्थान के लिए कई काम करने वाले लखमा क्षेत्र के लोकप्रिय नेता हैं. चार बार चुनाव जीत चुके हैं और पांचवीं बार फिर कांग्रेस ने उन्हें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के लिए आरक्षित इस सीट से उतारा है. इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने सोयम मुका को उतारा है. इस प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री रहे अजित जोगी की पार्टी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जे) ने देवेंद्र तेलम को टिकट दिया है. मायावती की पार्टी बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने मड़कामी मासा को, सर्व आदि दल ने चन्नाराम मरकाम को, आजाद जनता पार्टी ने जगदीश नाग (गुड्डू) को, तो भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) ने मनीष कुंजाम को टिकट दिया है. बीड़ा सोदी एक निर्दलीय उम्मीदवार भी इस विधानसभा सीट से भाग्य आजमा रहे हैं.

कोंटा (एसटी) सीट पर ये है वोट का गणित

वोटों के समीकरण की बात करें, तो कोंटा (एसटी) विधानसभा क्षेत्र में कुल 1,66,353 वोटर हैं. इनमें 78,283 पुरुष और 88,069 महिला वोटर हैं. एक थर्ड जेंडर का वोटर भी इस क्षेत्र में है. 5,570 ऐसे मतदाता हैं, जो पहली बार मतदान करेंगे. यानी ये युवा मतदाता हैं. इनकी उम्र 18 से 19 साल के बीच है. बुजुर्ग मतदाताओं की बात करें, तो 1,089 वोटर ऐसे हैं, जो 80 साल से अधिक उम्र के हैं. दिव्यांग वोटरों की संख्या 1,022 है. कोंटा (एसटी) सीट पर जेंडर रेशियो यानी वोटर का लिंगानुपात 1,125 है.

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बीजेपी के धनीराम बारसी को दो बार हराया

अनुसूचित जनजाति के लिए आरक्षित कोंटा विधानसभा सीट पर छत्तीसगढ़ राज्य के गठन के बाद कांग्रेस पार्टी कभी नहीं हारी. वर्ष 2003 से कवासी लखमा ने हर बार जीत दर्ज की है. वह जीत का चौका लगा चुके हैं. वह अब तक इस सीट पर अजेय रहे हैं. वर्ष 2018 के चुनाव में इस विधानसभा क्षेत्र में 1,64,765 वोटर थे, जिनमें से 91,113 ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया. यानी 55.30 फीसदी लोगों ने मतदान किया. इसमें से 35.05 फीसदी वोट पाकर कवासी लखमा पहले नंबर पर रहे, जबकि 27.68 फीसदी वोट हासिल कर बीजेपी के धनीराम बारसे दूसरे, 26.94 फीसदी वोट के साथ मनीष कुंजाम तीसरे स्थान पर रहे. 4.90 फीसदी लोगों ने नोटा दबाया. इस तरह कवासी लखमा को कुल 31,933 वोट मिले. उनके प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के धनीराम बारसे को 25,224 वोट मिले, सीपीआई के मनीष कुंजाम को 24,549 वोट मिले. 4,468 लोगों ने नोटा का बटन दबाया.

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कवासी लखमा ने 2003 में दर्ज की सबसे बड़ी जीत

वर्ष 2018 के विधानसभा चुनाव में कवासी लखमा ने यहां से जीत दर्ज की थी. उन्होंने धनीराम बारसे को 6,709 वोटों के अंतर से हराया था. वर्ष 2013 में भी कवासी लखमा ने धनीराम बारसे को 5,786 वोट से हरा दिया था. वर्ष 2008 में उनके प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के पदम नंदा थे. नंदा को लखमा पर महज 192 वोट के अंतर से जीत मिली थी. इससे पहले वर्ष 2003 में कवासी लखमा के बाद दूसरे नंबर पर सीपीआई के मनीष कुंजाम थे. कुंजाम को लखमा ने 17,398 वोटों से हराया था. यही कवासी लखमा की सबसे बड़ी जीत थी.

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