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झारखंड में 40 फीसदी मरीज ओरल कैंसर की चपेट में, मृत्यु दर 30 फीसदी के करीब

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर वर्ष 2023 का थीम है ''क्लोज द केयर गैप''. इसका मतलब है कि कैंसर मरीजों की देखभाल में समानता नहीं बरती जाती है.

रांची : झारखंड में प्रति एक लाख की आबादी में 70 लोग कैंसर से पीड़ित हैं. इसमें 40 फीसदी मरीज तंबाकू या उसके उत्पाद का उपयोग करने की वजह से ओरल कैंसर की चपेट में आते हैं. एनएफएचएस-पांच के आंकड़े के अनुसार झारखंड में 47.4 फीसदी पुरुष और 8.4 फीसदी महिलाएं तंबाकू का सेवन किसी न किसी रूप में करते हैं. यहीं वजह है कि राज्य में ओरल कैंसर से पीड़ितों की संख्या में तेजी से वृद्धि हो रही है. हालांकि जागरूकता और समय पर स्क्रीनिंग से कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी को आसानी से हराया जा सकता है. राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर पढ़िए विशेष रिपोर्ट.

इस वर्ष 2023 का थीम ‘क्लोज द केयर गैप’

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस पर वर्ष 2023 का थीम है ”क्लोज द केयर गैप”. इसका मतलब है कि कैंसर मरीजों की देखभाल में समानता नहीं बरती जाती है. कैंसर मरीजों की देखभाल में अक्सर भेदभाव किया जाता है. आर्थिक और लैंगिंक भेदभाव. इससे मरीजों का सही समय पर देखभाल और इलाज नहीं हो पाता है.

Also Read: झारखंड में हो बेहतर कैंसर संस्थान, सांसद संजय सेठ ने हेमंत सरकार से की केंद्र को प्रस्ताव भेजने की मांग
डब्लूएचओ और आइसीएमआर ने आगाह किया

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अपनी रिपोर्ट में बताया है कि पिछले साल लगभग 10 मिलियन लोगों की मृत्यु कैंसर के कारण हुई है. वहीं, इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (आसीएमआर) ने कैंसर के बढ़ते मामले को देखते हुए सावधानी बरतने और जागरूकता कार्यक्रम आयोजित करने की सलाह दी है. आइसीएमआर ने स्पष्ट किया है कि देश में वर्ष 2022 में 14.61 लाख मामले सामने आये थे. इसकी रफ्तार 12-13 फीसदी के हिसाब से बढ़ रही है, जिससे वर्ष 2025 तक 15.71 लाख होने का अनुमान है.

राष्ट्रीय कैंसर जागरूकता दिवस आज

एनएफएचएस-पांच के आंकड़े के अनुसार झारखंड में 47.4 फीसदी पुरुष और 8.4 फीसदी महिलाएं तंबाकू का सेवन किसी न किसी रूप में करते हैं.

झारखंड में 13 % की दर से बढ़ रहे कैंसर मरीज

झारखंड में कैंसर मरीजों की वृद्धि 13 फीसदी की दर से हो रही है. सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि कैंसर रोगी अंतिम स्टेज में इलाज के लिए अस्पताल पहुंचते हैं. नतीजा यह होता है कि राज्य में मृत्यु दर 30 फीसदी के करीब है. महिलाओं में सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर तेजी से बढ़ रहा है, लेकिन उस हिसाब से स्क्रीनिंग नहीं की जा रही. इससे बीमारी की पहचान समय पर नहीं होने के कारण सर्जरी की नौबत आ जा रही है. हालांकि विशेषज्ञों ने बताया कि ओरल कैंसर और ब्रेस्ट कैंसर की पहचान खुद की जा सकती है.

एनएफएचएस-पांच के अनुसार राज्य में कुल आबादी की 0.5 फीसदी महिलाएं सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग करा चुकी हैं. इसमें 0.4 फीसदी ग्रामीण और 0.5 फीसदी शहरी महिलाएं शामिल हैं. वहीं, 0.1 फीसदी महिलाओं की ब्रेस्ट स्क्रीनिंग हुई है, जिसमें शहरी और ग्रामीण महिलाओं का आंकड़ा समान है. हालांकि यह आंकड़ा काफी कम है, क्योंकि महिलाओं की बड़ी आबादी सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर की स्क्रीनिंग से वंचित है. डब्लूएचओ के अनुसार भारत में हर आठवीं महिला को सर्वाइकल कैंसर होने की संभावना है.

ये जांच बचा सकती है कैंसर से जान

1. एफएनएसी जांच : शरीर में ट्यूमर होने पर एफएनएसी (फाइन नीडल एस्पिरेशन साइटोलॉजी) जांच की जाती है. इस जांच से पता किया जाता है कि ट्यूमर कैंसर का रूप तो नहीं ले चुका है. जांच का खर्च 1,500 से 2,000 रुपये है.

2. मेमोग्राफी : महिलाएं में ब्रेस्ट कैंसर की स्वयं जांच के साथ-साथ मैमोग्राफी की जांच करा सकते है. इससे स्तन कैंसर का जल्द पता लगाने में मदद मिलती है. इसका खर्च निजी जांच घर में 800 से 3,000 रुपये में होता है.

3. सर्वाइकल कैंसर : सर्वाइकल कैंसर की स्क्रीनिंग के लिए पैप स्मीयर जांच की जाती है. यह जांच 30 साल के बाद प्रत्येक महिला को हर दो साल में करानी चाहिए. जांच की दर करीब 2,000 रुपये है.

एक्सपर्ट की बात

कैंसर के बचाव के लिए जागरूकता जरूरी है. ओरल कैंसर की संभावना झारखंड में ज्यादा है, क्योंकि यहां तंबाकू उत्पाद का उपयोग ज्यादा होता है. मुंह में गांठ, घाव या अल्सर की समस्या लगातार होने पर जांच करानी चाहिए. मुंह में सफेद दाग कैंसर का शुरुआती लक्षण हो सकता है.

-डॉ गुंजेश कुमार, मेडिकल अंकोलॉजिस्ट

महिलाओं में सर्वाइकल और ब्रेस्ट कैंसर की आशंका ज्यादा बढ़ गयी है. इसकी पहचान के लिए जांच उपलब्ध है. यदि मासिक धर्म में परेशानी हो और सफेद श्राव की समस्या हो, तो स्त्री रोग विशेषज्ञ से शीघ्र मिलना चाहिए.

-डॉ शशिबाला सिंह, विभागाध्यक्ष स्त्री एवं प्रसूति

सदर अस्पताल में नि:शुल्क इलाज की सुविधा है उपलब्ध

कैंसर रोग के निदान, समय रहते पहचान और उपचार के मामले में अब निचले क्रम पर भी उपचार की सुविधा बढ़ी है. सदर अस्पताल में अब लोगों को कैंसर को लेकर जागरूक करने के साथ ही मुफ्त उपचार की सुविधा भी मिल रही है. अस्पताल के पांचवें तल्ले पर 18 बेड के डेडिकेटेड कैंसर वार्ड और डे केयर में कीमोथेरेपी, इम्यूनोथेरेपी के साथ ही कैंसर सर्जरी की भी सुविधा उपलब्ध है. वहीं, महिलाओं के अंदर कैंसर की ब्रेस्ट और ओवरी कैंसर स्क्रीनिंग के साथ ही अत्याधुनिक पैप स्मीयर टेस्ट की भी सुविधाएं शामिल हैं.

मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना में सर्वाधिक लाभ :

मुख्यमंत्री गंभीर बीमारी उपचार योजना के तहत सबसे ज्यादा लाभ कैंसर मरीजों को दिया जा रहा है. मार्च से सितंबर तक 83 कैंसर मरीजों को आर्थिक सहायता मंजूर की गयी है.

ये डॉक्टर हैं सदर अस्पताल में उपलब्ध

सर्जिकल कैंसर : डॉ प्रकाश भगत

मेडिकल कैंसर मैनेजमेंट : डॉ गुंजेश कुमार सिंह

ब्लड कैंसर-हेमेटो- ऑन्कोलॉजिस्ट : डॉ अभिषेक रंजन

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