Bihar Reservation News: बिहार सरकार ने जातीय सर्वे की रिपोर्ट विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के दौरान सदन में पेश की. मंगलवार को सरकार की ओर से बड़ा निर्णय लिया गया. विधानमंडल के दोनों सदनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा कर दी कि बिहार में सरकारी नौकरियों में आरक्षण के दायरे को बढ़ाते हुए अब 75 प्रतिशत किया जाता है. जाति गणना की रिपोर्ट पेश करते हुए जाति आधारित गणना 2022-23 को आधार बनाते हुए ये फैसला लिया गया. आरक्षण दायरा को बढ़ाने वाले इस प्रस्ताव पर मंगलवार को ही कैबिनेट की मुहर भी लग गयी. अब गुरुवार को सदन में इसे पारित कराया जाएगा. वहीं दूसरी ओर आर्थिक रूप से पिछड़ों (EWS) को मिलने वाले 10 फिसदी आरक्षण को हटाने की मांग भी की जाने लगी. जिसे लेकर सियासी घमासान भी मचा है. वहीं सरकार ने अपना स्टैंड इसपर साफ कर दिया है.
बिहार में आरक्षण की सीमा को बढ़ाने का विधेयक शीतकालीन सत्र में पेश किया जाएगा. नीतीश सरकार की ओर से बड़ा फैसला लिया जा चुका है. सरकार ने प्रदेश में आरक्षण की सीमा को 60 प्रतिशत से बढ़ाते हुए अब 75 प्रतिशत कर दिया है. कैबिनेट में इसे हरी झंडी दी जा चुकी है. जातीय सर्वे की रिपोर्ट सामने आते ही नीतीश सरकार ने आरक्षण के दायरे में बदलाव का फैसला क्यों लिया, इसके बारे में खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने ही बताया है. वहीं अब एक सियासी बहस आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को मिलने वाले आरक्षण को लेकर छिड़ा है. सियासी दलों में इसे लेकर दो मत है. वामदलों ने मांग की है कि ईडब्ल्यूएस आरक्षण खत्म कर दिया जाए.
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इडब्लूएस आरक्षण को लेकर विधानमंडल परिसर में वामदल और कांग्रेस बटे दिखे. जहां वामदलों ने इडब्ल्यूएस आरक्षण को समाप्त करने की मांग की. वहीं कांग्रेस ने इसका विरोध किया. भाजपा नेताओं ने भी कहा कि इडब्ल्यूएस आरक्षण समाप्त नहीं किया जा सकता. वामदलों ने बिहार की तर्ज पर राष्ट्रीय स्तर पर जातीय जनगणना कराने की मांग केंद्र सरकार से की है. इस मांग को लेकर भाकपा-माले, माकपा और भाकपा नेताओं ने मंगलवार को प्रदर्शन किया. माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने जाति गणना के आंकड़ों के आधार पर वंचितों का आरक्षण बढ़ाने की मांग की है. साथही कहा कि देश भर में गणना से वंचितों को उनका हक मिलेगा. उन्होंने इडब्ल्यूएस को खत्म करने की मांग की. माकपा और भाकपा विधायकों ने भी इडब्लूएस खत्म करने की मांग करते हुए कहा कि आरक्षण का दायरा बढ़ाने के बाद ही वंचित समाज आगे बढ़ पायेगा. कांग्रेस विधायक अजीत शर्मा ने कहा कि जातीय गणना में कुछ लोग छूट गये है,उनको शामिल किया जाना चाहिए, लेकिन यह संभवन नहीं है कि किसी भी आरक्षण को देने के बाद हटाया जाये.
सियासी बहस जब ईडब्ल्यूएस आरक्षण को लेकर छिड़ी तो भाजपा नेता सह पूर्व उपमुख्यमंत्री तारकिशोर प्रसाद ने कहा कि जातीय गणना कराने के पक्ष में भाजपा शुरू से रही है. वंचित समाज का आरक्षण बढ़ाया जाये, ताकि सभी को उनका हक मिल सकें. जहां तक इडब्ल्यूएस खत्म करने की मांग है. यह संभव नहीं है. जिनको अभी आरक्षण मिला है. उनका आरक्षण रहेगा. जिनका आरक्षण बढ़ाने की जरूरत होगी. उनका आरक्षण बढ़ाया जायेगा. भाजपा इस मामले में सरकार के साथ है. भाजपा विधायक हरि भूषण ठाकुर बचौल ने कहा कि जातीय गणना के पक्ष में भाजपा शुरू से रही है. जिनको आरक्षण की जरूरत है. उनका दायरा बढाया जाये. हमें कोई आपत्ति नहीं है. बचौल ने कहा कि जिन्हें इडब्लूएस का लाभ मिला है. उनका आरक्षण नहीं हट सकता है.
बता दें कि बिहार सरकार ने प्रदेश की सरकारी नौकरियों में आरक्षण का दायरा बढ़ाया है. यानी अब 60 के बदले 75 प्रतिशत सीटें आरक्षित रहेगी. जाति आधारित गणना 2022-23 को इसका आधार बनाया गया. नये प्रस्ताव के तहत पिछड़ा वर्ग को 18%, अत्यंत पिछड़ा वर्ग को 25%, अनुसूचित जाति को 20% व अनुसूचित जनजाति को 2% आरक्षण का लाभ दिया जायेगा. वहीं . आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों को मिलने वाले आरक्षण पर सरकार ने स्पष्ट किया है कि इसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है. आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगों के लिए 10% आरक्षण के लाभ को यथावत रखा गया है. यानी अब 60 के बदले आरक्षण का जो दायरा 75 प्रतिशत किया गया है उसमें इडब्ल्यूएस का 10 प्रतिशत यथावत है. उसमें कोई बदलाव नहीं किया गया है.