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देवघर में गहराने लगा जल संकट, जरूरत से बेहद कम हो रही आपूर्ति

नगर निगम बनने के बाद देवघर निगम क्षेत्र में कई नयी कॉलोनियां बन गयी है. आबादी बढ़ने से पानी की खपत बढ़ गयी है. इससे पानी की समस्या अधिक हुई है. नगरपालिका के समय 2006 के प्लानिंग पर ही काम चलाना पड़ रहा है.

देवघर नगर पालिका को विस्तार कर नगर निगम बनने के 13 साल बाद भी शहरी क्षेत्र के लोगों को शुद्ध पेयजल के लिए पुनासी पर आश्रित रहना पड़ रहा है. देवघर प्रखंड और मोहनपुर प्रखंड के 44 गांवों को जोड़ कर देवघर नगर निगम बनाया गया है. वर्तमान समय में देवघर नगर निगम में लगभग 60 हजार होल्डिंग हैं. इसकी आबादी दो लाख से अधिक है. इससे पानी की जरूरत बढ़ी है. शहरी क्षेत्र में जलस्तर काफी नीचे जा रहा है. पहले गर्मी के मौसम में नदी-तालाब, चापाकल से पानी मिलना बंद हो जाता था. मगर, अब नवंबर माह के पहले सप्ताह में ही जल संकट गहराने लगा है. वर्तमान समय में देवघर शहरी क्षेत्र में 38.89 एमएलडी पानी की खपत है, जबकि 25 एमएलडी पानी उपलब्ध हो पा रहा है. सप्लाई वाटर, मिनी टैंक, एमवाइडीटी, चापाकल व टैंकर की मदद ली जा रही है. जुडको की 10 टीमों ने सर्वेक्षण कर रिपोर्ट दी है. अपने सर्वेक्षण में 2050 तक 79.89 एमएलडी पानी की खपत बतायी है. शहरी क्षेत्र को दो जोन में बांट कर सिस्टमेटिक तरीके से पानी देने की कोशिश की जा रही है. शहर को जोन वन व जोन टू में बांट कर पानी दिया जा रहा है. जोन वन में नंदन पहाड़ से पानी दिया जा रहा है, जबकि जोन टू में नवाडीह से पानी दिया जा रहा है. नंदन पहाड़ डढवा नदी से जाेन वन व नवाडीह से जोन टू में जाता है पानी ,डढवा नदी से जोन वन में पानी दिया जा रहा है, जबकि नवाडीह से जोन टू में पानी दिया जा रहा है. दोनों जगहों पर बारी-बारी से पंप हाउस से टंकी में पानी चढ़ाया जाता है. इसके बाद विभिन्न गली-मुहल्ले में पानी भेजा जाता है.


बढ़ती आबादी है मुख्य कारण

पुरानी व्यवस्था बचा रही है निगम की इज्जत : नगरपालिका के समय 2006 के प्लानिंग पर ही काम चलाना पड़ रहा है. आइवीआरसी ने नगर पालिका के समय लगभग 48 करोड़ की योजना से पाइप बिछायी थी. कंपनी ने 2011 को हैंड ओवर किया था, जिससे कुछ राहत मिल रही है.

नयी कॉलोनी बढ़ने से आबादी बढ़ी : नगर निगम बनने के बाद देवघर निगम क्षेत्र में कई नयी कॉलोनियां बन गयी है. आबादी बढ़ने से पानी की खपत बढ़ गयी है. इससे पानी की समस्या अधिक हुई है. 2050 तक को ध्यान में रखकर पाइप लाइन विस्तारीकरण का काम किया जा रहा है. अभी 38.89 एमएलडी पानी की खपत है, जबकि 2050 में 79.89 एमएलडी खपत होगी. शहरी क्षेत्र में सिस्टमेटिक तरीके से पानी देने के लिए सर्वेक्षण की गयी है. इसमें जुडको की 10 टीमों ने सर्वेक्षण कर रिपोर्ट दी है. उसी के तहत 14 जोन में बांटकर काम को पूरा किया जा रहा है. देवघर में शुद्ध पेयजल समस्या दूर करने के लिए 287.52 करोड़ से योजना शुरू की गयी है. शहरी क्षेत्रों में पाइपलाइन का काम 38 प्रतिशत से अधिक पूर्ण हो चुका है. काम को तेजी से पूरा करने के लिए जुडको की टीम लगी हुई है. जलापूर्ति योजना के तहत सर्वप्रथम पुनासी से जल को अंधरीगादर में रोक कर साफ किया जायेगा. इसके बाद डिगरिया पहाड़ पर टंकी में पानी को चढ़ाया जायेगा, जहां से पाइप के माध्यम से शहरी क्षेत्र में सप्लाई की जायेगी.

क्या कहना हैं निगम का

देवघर पानी विभाग के जेइ सुमन कुमार ने कहा कि निगम की ओर से हर गली-मुहल्ले में पानी देने के लिए हरसंभव प्रयास किया जा रहा है. वर्तमान समय में नदी का जलस्तर नीचे चला गया है. सोमवार को पुनासी डैम खोलने का आग्रह किया गया है. इसके बाद शहरवासियों को पानी मिल पाया है. शहर में नवाडीह और बसुआडीह संप से शुद्ध पेयजल भेजा जा रहा है. यहां जलस्तर नीचे जाने से कुछ दिक्कत हो रही है.

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