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प्रभात खबर संवाद में बोले अमर बाउरी- भ्रष्टाचार व गलत नीतियों के कारण कानूनी शिकंजे में घिरी है राज्य सरकार

अमर बाउरी प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में पहुंचे. उन्होंने नेता प्रतिपक्ष की भूमिका, चुनौती और वर्तमान राजनीतिक हालात पर खुलकर अपनी बातें रखी.

विधानसभा में चार वर्षों तक नेता प्रतिपक्ष का पद खाली रहा. अमर कुमार बाउरी नेता प्रतिपक्ष के रूप में जवाबदेही निभायेंगे. आने वाले शीतकालीन सत्र श्री बाउरी अलग भूमिका में दिखेंगे. सदन के अंदर नेता प्रतिपक्ष की बड़ी भूमिका होती है. सदन में विपक्ष की बात भी उठे, सकारात्मक हस्तक्षेप भी हो और सदन में व्यवस्था बनी भी रहे. श्री बाउरी सदन में बेहतर और शालीन तरीके से अपनी बातें रखने के लिए जाने जाते हैं. श्री बाउरी प्रभात खबर संवाद कार्यक्रम में पहुंचे. उन्होंने नेता प्रतिपक्ष की भूमिका, चुनौती और वर्तमान राजनीतिक हालात पर खुलकर अपनी बातें रखी.

Q. पहले तो भाजपा विधायक दल का नेता चुने जाने पर बधाई. प्रतिपक्ष के नेता की भूमिका को किस रूप में देख रहे हैं?

देखिए, जब हम पांचवीं विधानसभा को देखते हैं, तो पाते हैं कि चार साल तक नेता प्रतिपक्ष का पद रिक्त रहा. सदन में संवैधानिक व्यवस्था बनायी गयी है. इसके तहत सदन के नेता पर अंकुश लगाने के लिए नेता प्रतिपक्ष का पद सृजित किया गया है. अरस्तु ने एक बात कही थी कि सत्ता एक मदमस्त हाथी होता है. अगर मक्खी की तरह विपक्ष उसे बार-बार डंक मार कर नहीं जगाये, तो वह मस्तमौला हाथी अपने धुन में चलता रहेगा. ऐसे में विपक्ष का काम कहीं न कहीं सरकार को सचेत करना है. उसके गलत कामों के बारे में बताना है और उस पर अंकुश व नियंत्रण बनाये रखना है. पिछले चार साल तक इस सरकार ने अवैधानिक रूप से नेता प्रतिपक्ष को हटा कर रखा, उसका परिणाम आज सरकार भुगत रही है. भ्रष्टाचार व गलत नीतियों के कारण आज सरकार अपने को कानूनी शिंकजे में कसा हुआ पा रही है. अब सिर्फ एक साल का कार्यकाल बचा है. मुझे जो दायित्व मिला है, उससे चार साल के गैप को भरते हुए इस सरकार को जनता के प्रति जवाबदेह बनाना है.

Q. विपक्ष को सदन के अंदर खास कर अपने विधायक को एकजुट रखने में कितनी चुनौती देखते हैं ?

मुझे कोई चुनौती नहीं है. सभी विधायकों ने मिल कर यह दायित्व सौंपा है. मुझे लगता है कि भारतीय जनता पार्टी एक परिवार है, जो विशेष उद्देश्य के साथ देश में कार्य कर रही है. भाजपा ऐसी पार्टी है, जिसमें त्याग व अनुशासन सबसे ज्यादा है. जब किसी को कोई दायित्व मिलता है, तो लोग एक परिवार की तरह मिल कर उसे पूरा करने जुट जाते हैं.

Q. पार्टी के अंदर आपका कद बढ़ा है. पार्टी की एक धारा का कहना है कि बाहर से आये लोगों को जवाबदेही दी जा रही है?

देखिए, एक समय था जब देश के अंदर मुखिया से लेकर प्रधानमंत्री व राष्ट्रपति तक कांग्रेस के हुआ करते थे. 1951-52 में जनसंघ प्रारंभ हुआ. उसके बाद 1980 में भारतीय जनता पार्टी बनी. लोग आते गये और हम लोकसभा में दो से 303 सीट तक पहुंचे. आज भाजपा विश्व की सबसे बड़ी पार्टी बन कर खड़ी है. अगर हम यहीं पर स्थिर हो जाते तो विकास नहीं हो पाता. हम भाजपा के होकर कार्य कर रहे हैं. ऐसे में पार्टी ने भाजपा के कार्यकर्ता को ही दायित्व सौंपा है. ऐसे में इस प्रश्न का कोई ज्यादा औचित्य नहीं बनता है.

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Q. राज्य सरकार के कामकाज को किस रूप में देखते हैं ?

राज्य सरकार पूरी तरह से विफल साबित हुई है. विशेष कर जनजातीय समाज को इसने ठगने और निराश करने का काम किया है. हम कह सकते हैं कि इस सरकार में विकास के काम नहीं के बराबर हुए. विशेषकर उस समय जब पिछले पांच साल में रघुवर सरकार ने अच्छा प्लेटफॉर्म बना कर दिया था. झारखंड विकास की गति में आगे बढ़ रहा था, उसे बरकरार ही कर लेते, तो आज झारखंड विकास के पैमाने पर नया मुकाम हासिल करता, लेकिन इस सरकार ने तुष्टीकरण व भ्रष्टाचार में अपने आप को इतना संलिप्त कर लिया कि आज परिस्थिति दयनीय व बदहाल हो गयी है.

Q. राज्य सरकार का कहना है कि केंद्र की भाजपा सरकार इडी व अन्य केंद्रीय एजेंसियों का गलत इस्तेमाल कर रही है, राज्य की सरकार को काम नहीं करने दे रही है?

सभी केंद्रीय एजेंसियां ऑटोनोमस बॉडी हैं, वह पूरी तरह से स्वतंत्र रूप से काम करती हैं. इसमें ऐसी वैधानिक व्यवस्था बनायी गयी है कि कोई अपने पद का दुरुपयोग नहीं कर पायें. इन पर अंकुश लगाने के लिए वैधानिक रूप से व्यवस्था बनी हुई है. अब इनको परेशानी है कि इडी व अन्य एजेसियां क्यों कार्रवाई कर रही हैं. अगर किसी को लगता है कि उनके साथ गलत हो रहा है, तो न्यायपालिका आपके सामने हैं. आप वहां पर अपनी बात को रख सकते हैं. उन्हें बताना चाहिए कि अगर उनके साथ गलत हो रहा है, तो न्यायालय से क्यों नहीं न्याय मिल रहा है. मैं स्पष्ट कर देता हूं कि जो गड़बडियां हुई हैं, उसी पर कार्रवाई हो रही है. केंद्रीय एजेंसियां अपने वैधानिक दायित्व का निर्वहन कर रही हैं. एक बात और है कि पहले इन चीजों में राजनीतिक हस्तक्षेप होता था. देश के अंदर बड़े-बड़े भ्रष्टाचार होते थे. यह अर्थव्यवस्था को खोखला करता था. आम आदमी के हक-अधिकार को खा लिया जाता था. लेकिन नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में सरकार बनने के बाद भ्रष्टाचार खत्म हुआ है. आम नागरिकों के जीवन को बेहतर बनाने का कार्य हुआ है. आज गलत काम करनेवाले कानून के शिकंजे में फंसे हैं और उनको जवाब देना पड़ रहा है. राज्य सरकार को समझना चाहिए कि उन्हें जनता ने कस्टोडियन के रूप में सत्ता दी है. ऐसे में आपकी मनमर्जी नहीं चलेगी.

Q. हेमंत सोरेन सरकार ने स्थानीय नीति, सरना धर्म कोड, पिछड़ों सहित अन्य वर्गों के लिए आरक्षण की सीमा बढ़ा कर नीतिगत मामले को केंद्र के पाले डाल दिया, भाजपा घिरी हुई दिखती है?

झारखंड की जनता समझ रही है कि नियोजन राज्य सूची का मामला है. संघीय व्यवस्था में नियोजन विशुद्ध रूप से राज्य सरकार का मामला है. राज्य अगर चाहे, तो उसे अपने तरीके से लागू कर सकती है. अगर वह स्थानीय लोगों को नौकरी देना चाहती है, तो कानून बना कर लागू कर सकती है. ऐसे में राज्य सरकार सिर्फ केंद्र सरकार के पास मामला को फेंक कर अपने दायित्वों से मुक्त नहीं हो सकती है. झामुमो ने चुनाव से पहले दावा किया था कि सरकार में आयेंगे, तो 1932 का खतियान लागू करेंगे. पांच लाख लोगों को नौकरी देंगे. पांच व सात हजार बेरोजगारी भत्ता देंगे. यह भी कहते थे कि नहीं दे पाये, तो राजनीति से इस्तीफा दे देंगे. आज जब जनता इनके वायदे पर जवाब मांग रही है, तो उससे बचने के लिए राजनीतिक चाल चल रहे हैं. अब इनकी चोरी पकड़ी गयी है. जनता सब कुछ जान रही है. वर्ष 2024 में जनता इसका पूरा हिसाब करेगी.

Q. रघुवर दास के कार्यालय के पांच मंत्रियों पर आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का मामला दर्ज कर लिया है. इसमें आप भी शामिल हैं, क्या कहेंगे ?

मैं निर्दोष हूं. बाकी सरकार जांच कर रही है, जांच करे.

Q. कुर्मी लगातार आदिवासी का दर्जा देने की मांग कर रहे हैं. आपके क्या विचार हैं?

पिछले दिनों से कई सामाजिक संगठनों ने संवैधानिक व्यवस्था तहत अपने हक व अधिकार की मांग कर रहे हैं. यहां भी आंदोलन चल रहा है. जब हमारे राष्ट्रीय अध्यक्ष आये, तो इसमें से कई संगठन के लोगों ने इनसे मिल कर अपनी बातें रखी थी. प्रदेश अध्यक्ष ने भी कहा है कि इन मुद्दों पर शीर्ष नेतृत्व से बात कर शीघ्र नीतिगत निर्णय लेकर जानकारी देंगे.

Q. आनेवाले चुनाव में बतौर दलित नेता आप पार्टी का चेहरा हो सकते हैं क्या?

एक राजनीतिक कार्यकर्ता को फ्रेम में बांधना, अतिशयोक्ति होगी. मैं भाजपा का कार्यकर्ता हैं. हां, एक बात जरूर है कि भारत की जो सामाजिक संरचना है, उसमें जनजातियों को पूरा न्याय नहीं मिल पाया. हम झारखंड की बात करें, तो यहां 32 प्रजातियां हैं, लेकिन 23 साल में इन्हें कभी भी विमर्श का केंद्रबिंदू नहीं बनाया गया. अब समय बदला है. अब ये राजनीतिक दलों के केंद्र में हैं.

Q. लोकसभा में मोदी फैक्टर काम करता है, विधानसभा में समीकरण बदल जाता है, इस चुनौती से कैसे निपटेंगे?

देखिए, विकास देश का मूल केंद्र बिंदू हो गया है. आजादी मिलने के बाद ही है हम जनप्रतिनिधि चुनते आये हैं, लेकिन कभी विकास मुद्दा नहीं बना. जब नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सरकार बनी तो विकास को केंद्र बिंदू रखा गया. आज यह राजनीति का केंद्र बिंदू बना है. इसलिए चुनाव में मोदी फैक्टर काम करता है. आज मोदी भारत ही नहीं ग्लोबल फैक्टर बन गये हैं. अब सभी निर्णयों में भारत की भूमिका रहती है. लेकिन स्थानीय चुनाव हमेशा स्थानीय मुद्दे पर लड़े जाते हैं. भाजपा इसे अच्छी तरह से समझ रही है. हमें विश्वास है कि 2024 में केंद्र में मोदी सरकार हैट्रिक बनायेगी और राज्य में वापस भाजपा की सरकार बनेगी.

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