दुमका : स्वास्थ्य विभाग ने जिले में बेहतर स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करने के लिए 194 डॉक्टरों की आवश्यकता महसूस की है. डॉक्टरों की कमी से जूझ रही झारखंड की उपराजधानी को जरूरत के आधे डॉक्टर भी नसीब नहीं हो पाये हैं. कहने को तो सरकार ने यहां 89 डॉक्टरों का पदस्थापन कर रखा था. पर इनमें से पांच ने हाल ही में इस्तीफा दे दिया. बाकि बचे 84 में सेवा देनेवाले डॉक्टर महज 50 ही हैं. जिले में पिछले कुछ सालों में पदस्थापित हुए डॉक्टरों में 16 ऐसे हैं, जो अनधिकृत रूप से नदारद हैं. उनपर कार्रवाई करने के लिए या विभाग को सूचित करने के लिए दर्जनों पत्र लिखे गये हैं, पर उनकी संख्या दुमका में पदस्थापित डॉक्टरों में अब भी बनी हुई है. ऐसे डॉक्टरों में तो कुछ ऐसे भी हैं, जो दुमका में बड़ी क्लिनिक चला रहे हैं. कुछ जो बाहर के थे, उन्हें दुमका जिला रास नहीं आया, तो बिना बताये चल दिये. विभाग को यह भी नहीं बताया कि दुबारा आयेंगे या नहीं आयेंगे. उनका जाना त्यागपत्र माना जाए या अवकाश. विभाग भी डॉक्टरों की कमी की वजह से कुछ निर्णय नहीं ले पा रहा. इधर, 18 डॉक्टर तो ऐसे हैं, जिन्होंने साल-दो साल सेवाएं दी और अब उच्च शिक्षा के लिए दूसरे शहर की ओर रुख कर गये. अब भी उनका भी नाम जिला से जुड़ा हुआ है, लेकिन सेवायें उनकी जिले को मिल नहीं रही है. जानकार बताते हैं कि कायदे से कुछ तो जब से स्टडी लीव पर यानी अध्ययन अवकाश पर हैं, तब से अब तक उनका पीजी का कोर्स भी पूरा हो चुका है. पांच डॉक्टरों ने हाल ही में (तीन-चार महीने) के अंदर त्यागपत्र दे दिया है. ऐसे डॉक्टरों में डेंटिस्ट डॉ कुलदीप सिंह ठाकुर के अलावा मेडिकल आफिसर राधाकृष्ण मिश्रा, सहदेव गिलानी, चेतन कुमार व डॉ नयन कुमार शामिल हैं.
दुमका के पीजेएमसीएच में हाल के वर्षों में कुछ ऐसे भी डॉक्टर का पदस्थापन हुआ, जिनकी सेवा भावना से इस अस्पताल में ऐसे कई एक ऑपरेशन हुए, जिनकी परिकल्पना भी दुमकावासी नहीं कर सकते थे. ऐसे डॉक्टरों ने सीमित संसाधन में ऐसा भरोसा बनाने का सफल प्रयास किया कि लोग बड़ी सर्जरी भी यहां कराने लगे. लेकिन इन सबके बावजूद डॉक्टरों की कमी की वजह से स्वास्थ्य सुविधायें बदहाल सी हैं. फूलो झानो मेडिकल कालेज अस्पताल (सदर अस्पताल) से रोजाना कई मरीज धनबाद या दूसरे शहरों के मेडिकल काॅलेज या प्राइवेट हॉस्पिटल में रेफर हो रहे हैं, इससे इनकार भी नहीं किया जा सकता. डॉक्टरों की कमी से अस्पताल के कई विंग ढंग से काम नहीं कर पा रहे. उधर मेडिकल कालेज में पढ़ाई ढंग से नहीं हो पा रही. मेडिसीन सहित कई ब्रांच में डॉक्टर की संख्या बेहद कम है. इससे बहुत परेशानी हो रही है. कुछ डॉक्टर मिले हैं, पर वह नाकाफी हैं. सदर अस्पताल के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के लिए भी चिकित्सकों की आवश्यकता है.
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