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गोपालगंज में धनतेरस पर तांबे की बोतल, घड़े का खास डिमांड, जानें बेतिया में झाडू का कैसा रहेगा कारोबार

कारोबारियों को धनतेरस पर तांबे के बर्तनों से ढेरों उम्मीदें भी हैं. इसके पीछे लोगों का सेहत के प्रति फिक्रमंद होना है. यही वजह है कि तांबे के बर्तनों का डिमांड हाल के दिनों में बढ़ा भी है. तांबे की सुराही, घड़ा, बोतल प्लास्टिक के वाटर जग, फ्रिज बोतल की जगह ले सकेंगे.

गोपालगंज. धनतेरस पर बर्तन बाजार को रफ्तार देने की तैयारियां पूरी कर ली गयी हैं. स्टील, पीतल, तांबा के स्थिर भाव के बीच धनतेरस पर्व की वापसी से व्यापारी उत्साहित हैं. तांबे की बोतल, घड़े की कई वैराइटी बाजार में आ गयी हैं. कारोबारियों को धनतेरस पर तांबे के बर्तनों से ढेरों उम्मीदें भी हैं. इसके पीछे लोगों का सेहत के प्रति फिक्रमंद होना है. यही वजह है कि तांबे के बर्तनों का डिमांड हाल के दिनों में बढ़ा भी है. तांबे की सुराही, घड़ा, बोतल प्लास्टिक के वाटर जग, फ्रिज बोतल की जगह ले सकेंगे. तांबे का जग पहले से जनसामान्य की पसंद है. बदलाव का दौरा यूं ही चलता रहा, तो एकल यूज प्लास्टिक निर्मित उत्पाद धीरे-धीरे किचेन से बाहर हो जाएंगे.

पूजा की थाली, सिंहासन का रहेगा डिमांड

पुरानी चौक के लक्ष्मी क्रॉकरी विक्रेता देव कुमार बताते हैं कि तेरस के मौके पर पूजा की थाली ग्राहकों को पसंद आयेगी. रेज वाली स्टील वाली थाली में दीपक, अगरबत्ती प्रसाद रखने के स्टैंड इत्यादि उपलब्ध हैं. कंपनियां रोली एवं अगरबत्ती भी पहली बार उपलब्ध करा रहीं हैं. इसके अलावा पीतल का सिंहासन, घंटी आदि कई डिजाइनों में उपलब्ध हैं.

किचेन सेट दिलायेगा झंझट से मुक्ति

कंपनियों ने किचेन सेट की वैराइटी बढ़ा दी है. कंपनियां अब मसाला, तेल रखने के बर्तन आदि भी उपलब्ध करा रही हैं, जिनकी गृहणियों को दरकार होती है. कोशिश ऐसी कि फिर से बाजार का रुख नहीं करना पड़ा.

बर्तनों के बदलाव का दौर

इन दिनों बर्तनों में चल रहे बदलाव का दौर है. मसलन, स्टील, फिर नॉन स्टिक अब कास्ट आयरन के बर्तन. हालांकि, कास्ट आयरन का प्रचलन अभी रफ्तार नहीं पकड़ सका है. जरूरत के मुताबिक नॉन स्टिक एवं स्टील के बर्तन महिलाओं की पसंद जरूर बन रहे हैं. बाजार में सभी आय वर्ग के बजट में फिट होने वाले बर्तन उपलब्ध हैं.

बर्तनों के दाम पर एक नजर

  • किचेन सेट 6000 से 15000 रुपये

  • नॉन-स्टिक तांबा 500 से 1000 रुपये

  • कॉपर की फ्रिज बोतल 500 से 600 रुपये

  • कॉपर की सुराही – 3200 से 4000 रुपये

  • पूजा की थाली – 350 से 400 रुपये

  • बाउल सेट – 300 से 600 रुपये

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बेतिया में धनतेरस पर होगा लाखों के झाड़ू का कारोबार

माना जाता है कि धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से घर में मां लक्ष्मी का वास होता हैं. यह भी कहा जाता है कि वैसे लोग जो आर्थिक तंगी से परेशान है, उन्हें धनतेरस के दिन झाड़ू अवश्य खरीदनी चाहिए. धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने का धार्मिक महत्व भी होता है. पंडितों के मुताबिक झाड़ू को माता लक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है. उसमें माता लक्ष्मी का वास होता हैं. झाड़ू को नकारात्मक शक्तियों को दूर करने वाला और सकारात्मक का संचार करने वाला माना जाता हैं. झाड़ू को बुराइयों को नष्ट करने वाला या घर में सुख समृद्धि का कारक भी माना जाता हैं. मान्यताओं के अनुसार धनतेरस के दिन झाड़ू खरीदने से घर की आर्थिक तंगी दूर होती हैं. कर्ज से मुक्ति मिलती हैं.

प्रतिवर्ष झाड़ू के बाजार में होता है लाखों का कारोबार

मीना बाजार की झाड़ू दुकानदारों की माने तो इस वर्ष भी अन्य सामग्रियों की तरह झाड़ू की बिक्री भी अच्छी होने वाली हैं. इसे ध्यान में रखकर काफी संख्या में झाड़ू के स्टॉक बाजार में उपलब्ध हैं. दुकानदार के मुताबिक प्रतिवर्ष झाड़ू के बाजार में लाखों का कारोबार होता हैं. दुकानदार मो मुन्ना और मो हारुन ने बताया कि झाडू हाजीपुर और दिल्ली से आता है. इस वर्ष झाड़ू की कीमतों में कोई बढ़ोतरी नहीं हुई है. मीना बाजार में खजूर झाडू 20 रुपये, ठकराल 70 रुपये, ठकराल ओरिजनल 90 रुपये, नारियल झाडू 25 से 40 रुपये, बांस खरारा 40 से 50 रुपये तक की कीमतों में उपलब्ध हैं.

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