गोरखपुर : दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय ने विश्व की सबसे प्रतिष्ठित क्यूएस कि दक्षिण एशियाई रैंकिंग में 258 में रैंक हासिल किया है. जिससे विश्वविद्यालय के खाते में एक और बड़ी उपलब्धि जुड़ गई है. नैक मूल्यांकन में ए प्लस प्लस ग्रेड (3.78 सीजीपीए) के बाद यह वर्ष भीतर दूसरी सबसे बड़ी उपलब्धि है. इसी के साथ गोरखपुर विश्वविद्यालय ने क्यूएस इंडिया की रैंकिंग में टॉप 100 में जगह बनाया है. गोरखपुर विश्वविद्यालय को क्यूएस इंडिया की रैंकिंग में भी 96–100 की रैंकिंग में शामिल किया गया है. क्यूएस दक्षिण एशियाई रैंकिंग में गोरखपुर विश्वविद्यालय समिति प्रदेश से कुल तीन राज्य विश्वविद्यालय को जगह मिली है. इसमें मेरठ विश्वविद्यालय को 219 , लखनऊ विश्वविद्यालय को 238 तथा गोरखपुर विश्वविद्यालय को 298 रैंक मिली है इस बार कुल 2880 उच्च शिक्षण संस्थाओं को रैंकिंग दे गई है . इसमें पहली बार भारत के कुल 148 विश्वविद्यालय ने जगह बनाई है.
गोरखपुर विश्वविद्यालय की कुलपति प्रोफेसर पूनम टंडन ने बताया कि गोरखपुर विश्वविद्यालय की शिक्षकों और कर्मचारियों में काफी क्षमता है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का भी सपना है कि देश के विश्वविद्यालय ग्लोबल रैंकिंग में जाएं. इस दिशा में यह गोरखपुर विश्वविद्यालय के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है. उन्होंने बताया कि इस उपलब्धि से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गोरखपुर विश्वविद्यालय की छवि बनेगी. बताते चले इससे पहले वर्ष 2020 और 21 में भी गोरखपुर विश्वविद्यालय में भारत के लिए जारी क्यूएस रैंकिंग सूची में पहली बार टॉप 100 में स्थान बनाया था.उस समय गोरखपुर विश्वविद्यालय को भारत के विश्वविद्यालय में 96 वी रैंकिंग मिली थी.1 साल के भीतर ही विश्वविद्यालय ने दूसरी बड़ी उपलब्धि हासिल की है. जिससे विश्वविद्यालय में जश्न का माहौल है.
संस्था के शैक्षणिक प्रतिष्ठा, नियोक्ता प्रतिष्ठा, प्रकृति पेपर उद्दवरण, संकाय छात्र अनुपात,प्रति संकाय पेपर, अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधान नेटवर्क,पीएचडी के साथ संकाय कर्मचारी, अंतरराष्ट्रीय छात्र ,अंतरराष्ट्रीय संकाय, इन बाउंड एक्सचेंज और आउटीबाउंड एक्सचेंज के आधार पर रैंकिंग निकाली जाती है.
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दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय को क्यूएस के दक्षिण एशियाई देश की रैंकिंग में 258 स्थान बनाने के बाद अंतरराष्ट्रीय छात्रों का आकर्षण विश्वविद्यालय की ओर बढ़ेगा. विदेशी छात्र किसी भी संस्थान के अंतरराष्ट्रीय रैंकिंग देखने के बाद ही प्रवेश लेते हैं. इस रैंकिंग से उत्साहित गोरखपुर विश्वविद्यालय अब इंडियन काउंसिल फॉर कल्चरल रिलेशंस (आईसीसीआर)के इंपैनलमेंट में शामिल होने के लिए जल्द आवेदन करेगा.आईसीसीआर के जरिए ही विदेशी छात्र भारत में पढ़ने आते हैं. वहां से उनके विषय और रुचि के हिसाब से उच्च शिक्षा संस्थान आमंत्रित किए जाते हैं. गोरखपुर विश्वविद्यालय में पहले से ही अंतरराष्ट्रीय छात्रावास की व्यवस्था है. विदेशी छात्रों के आने पर उनके लिए छात्रवृत्ति की व्यवस्था आईसीसीआर द्वारा ही की जाती है. विश्व की लगभग सभी देश विदेश में पढ़ने वाले अपने छात्रों के लिए फंडिंग करते हैं.गोरखपुर विश्वविद्यालय विदेशी छात्रों को आकर्षित करने के लिए तैयारी कर रहा है.
रिपोर्ट : कुमार प्रदीप