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राशन वितरण घोटाला : ईडी ने गिरफ्तार मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक के कर्मचारी से की पूछताछ

ईडी ने करीब आठ राशन डीलरों से भी पूछताछ की है. वे सभी उत्तर 24 परगना और नदिया के निवासी बताये गये हैं.असल में ईडी की जांच के दायरे में 10 से ज्यादा कंपनियां हैं, जो शेल कंपनियां मानी जा रही हैं.

पश्चिम बंगाल में राशन वितरण घोटाले में गिरफ्तार वन मंत्री व पूर्व खाद्य मंत्री ज्योतिप्रिय मल्लिक (Former Food Minister Jyotipriya Mallik) फिलहाल प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की हिरासत में हैं. ईडी केवल मंत्री और उनके परिजनों की ही नहीं, बल्कि मल्लिक के यहां काम करने वाले कर्मचारियों और करीबियों की संपत्तियों से जुड़े तथ्यों का पता लगा रहा है. ईडी की जांच के दायरे में मंत्री के यहां काम करने वाले कर्मचारी रामस्वरूप शर्मा भी है. उससे एक बार फिर ईडी के अधिकारियों ने पूछताछ की है. वह शनिवार को सॉल्टलेक के सीजीओ कॉम्प्लेक्स स्थित ईडी कार्यालय पहुंचा, जहां उससे मामले से जुड़े कई तथ्यों के बारे में जिरह की गयी. सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय जांच एजेंसी को पता चला है कि मंत्री मल्लिक के यहां काम करने वाले कर्मचारी रामस्वरूप शर्मा को केष्टोपुर में फ्लैट खरीदने के लिए करीब 20 लाख रुपये मिले थे. यह राशि मंत्री द्वारा दी गयी थी.

रामस्वरूप कॉलेज स्ट्रीट में फुटपाथ पर चलाता था सैलून

बिहार से कोलकाता आने वाला रामस्वरूप पहले यहां कॉलेज स्ट्रीट इलाके में फुटपाथ पर एक सैलून चलाता था. अम्हर्स्ट स्ट्रीट में मल्लिक का पैतृक आवास है. वहीं से उसका परिचय मल्लिक से हुआ. उसने उनके घर में कर्मचारी के तौर पर काम करना शुरू किया. इडी की जांच के दायरे में जो निजी कंपनियां हैं, उनमें से एक कंपनी का निदेशक रामस्वरूप के होने की बात भी पता चली है. पूछताछ में उसने दावा किया है कि उसे किसी कंपनी के बारे में पता नहीं है. इडी अधिकारियों द्वारा पूछताछ के बाद केंद्रीय जांच एजेंसी के कार्यालय के बाहर पत्रकारों से मुखातिब होने के बाद शर्मा ने कहा कि कुछ लोगों ने उनके ‘साहब’ (मंत्री) का नाम लेकर सफेद पन्नों पर हस्ताक्षर कराया था.

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ईडी ने करीब आठ राशन डीलरों से भी की पूछताछ

उसे किसी भी कंपनी के बारे में पता नहीं है. हालांकि, उसके दिये बयान की ईडी जांच कर रहा है. इसी दिन ईडी ने करीब आठ राशन डीलरों से भी पूछताछ की है. वे सभी उत्तर 24 परगना और नदिया के निवासी बताये गये हैं.असल में ईडी की जांच के दायरे में 10 से ज्यादा कंपनियां हैं, जो शेल कंपनियां मानी जा रही हैं. मंत्री के पूर्व पीए अभिजीत दास के हावड़ा के पते पर तीन कंपनियां पंजीकृत हैं. बताया जा रहा है कि दास की मां ममता और पत्नी सुकन्या मनी लॉन्ड्रिंग के लिए इस्तेमाल की गयी तीन कंपनियों में से दो की निदेशक थीं. तीन कंपनियों में से दो, श्री हनुमान रियलकॉन और ग्रेसियस इनोवेटिव प्राइवेट लिमिटेड बतायी गयी हैं. खुद मंत्री की बेटी प्रियदर्शिनी और पत्नी मणिदीपा की एक कंपनी के निदेशक थे. हालांकि, मंत्री के परिजनों ने ऐसी किसी भी कंपनी से जुड़े होने से इंकार किया है.

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