Diwali 2023 Puja Muhurat: रोशनी और खुशियों की दीपावली रविवार को धूमधाम से मनायी जायेगी. ज्योतिषाचार्य पंडित राकेश झा के मुताबिक कार्तिक कृष्ण प्रदोष और रात्रि व्यापिनी अमावस्या में दीपोत्सव सेलिब्रेट किया जायेगा. आज सनातन धर्मावलंबी अपने घर, ऑफिस, कारखानों में मां महालक्ष्मी की विधिवत पूजा-अर्चना कर धन, वैभव, ऐश्वर्य की कामना करेंगे.
अमावस्या तिथि दोपहर 2:12 बजे से होगी शुरू
आज अमावस्या तिथि दोपहर 2:12 बजे से शुरू होगी. इस दिन शुभ-लाभ के लिए गणेश-लक्ष्मी के साथ कोश वृद्धि के लिए कुबेर व सरस्वती, पंचदेव, नवग्रह सहित गणेश-अंबिका की पूजा तथा रात्रि काल में काली की आराधना की जायेगी. महालक्ष्मी की पूजा में चंदन, पुष्प, इत्र, धुप-दीप, मिष्ठान्न, पान-सुपारी, कमल पुष्प आदि से पूजन किया जायेगा. इस वर्ष पांच राजयोग में दीप पर्व मनाया जायेगा.
आचार्य राकेश झा ने बताया कि कार्तिक कृष्ण प्रदोष व्यापिनी अमावस्या में दीपोत्सव मनाया जायेगा. आज शुक्र, बुध, चंद्रमा व गुरु ग्रह की शुभ स्थितियों से गजकेसरी, हर्ष, उभयचरी, काहल व दुर्धरा नामक पांच राजयोग बन रहा है.
स्वाति नक्षत्र में पूजा
पंडित झा ने बताया कि दीपावली के दिन पांच राजयोग के अलावा स्वाति नक्षत्र भी विद्यमान रहेगा. नक्षत्रों की श्रेणी में स्वाति 15वां नक्षत्र है. इसका स्वामी राहु यानी अंधकार है. जिस तरह स्वाति नक्षत्र में ओस की बूंद सीप पर गिरकर मोती बनती है. उसी प्रकार इस नक्षत्र में लक्ष्मी-गणेश की पूजा से श्रद्धालुओं की मनोकामनाएं जल्द पूरी होंगी.
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चर-लाभ-अमृत मुहूर्त: सुबह 7:28 बजे से 11:33 बजे तक
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आयुष्मान योग: शाम 5:38 बजे तक शुभ योग मुहूर्त: 12:55 बजे से 2:17 बजे तक
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कुम्भ लग्न: दोपहर 12 :45 बजे से 2 :16 बजे तक
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प्रदोष मुहूर्त: शाम 5:23 बजे से 07:19 बजे तक
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सौभाग्य योग: शाम 5:39 बजे से रातभर
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अमृत काल मुहूर्त: रात्रि 6:39 बजे से 08:17 बजे तक
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चर योग मुहूर्त: रात्रि 8:17 से 9:56 बजे तक
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सिंह लग्न: रात्रि 11:51 बजे से 2:04 बजे तक
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मां लक्ष्मी, गणेश जी, माता सरस्वती और कुबेर देव की मूर्ति, अक्षत्, लाल फूल, कमल के और गुलाब के फूल, माला, सिंदूर, कुमकुम, रोली, चंदन पान का पत्ता और सुपारी, केसर, फल, कमलगट्टा, पीली कौड़ियां, धान का लावा, बताशा, मिठाई, खीर, मोदक, लड्डू, पंच मेवा शहद, इत्र, गंगाजल, दूध, दही, तेल, शुद्ध घी, कलावा, पंच पल्लव, सप्तधान्य कलश, पीतल का दीपक, मिट्टी का दिया, रुई की बत्ती, नारियल, लक्ष्मी और गणेश के सोने या चांदी के सिक्के, धनिया, आसन के लिए लाल या पीले रंग का कपड़ा, लकड़ी की चौकी, आम के पत्ते लौंग, इलायची, दूर्वा आदि.
दिवाली पर मुख्य रूप से मां लक्ष्मी और गणेश जी की पूजा की जाती है. ऐसे में पूजा के लिए सबसे पहले पूजा स्थान को साफ करें और एक चौकी पर लाल या पीले रंग का कपड़ा बिछाएं. फिर इस चौकी पर बीच में मुट्ठी भर अनाज रखें. इसके बाद कलश को अनाज के बीच में रखें. कलश में पानी भरकर एक सुपारी, गेंदे का फूल, एक सिक्का और कुछ चावल के दाने डालें. कलश पर 5 आम के पत्ते गोलाकार आकार में रखें. बीच में देवी लक्ष्मी की मूर्ति और कलश के दाहिनी ओर भगवान गणेश की मूर्ति रखें. अब एक छोटी-सी थाली में चावल के दानों का एक छोटा सा पहाड़ बनाएं, हल्दी से कमल का फूल बनाएं. अब देवी लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक करें और दीपक जलाएं, इसके बाद आरती करें.
ॐ जय लक्ष्मी माता मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत
मैया जी को निशदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
उमा रमा ब्रह्माणी तुम ही जगमाता
मैया तुम ही जगमाता
सूर्य चन्द्रमा ध्यावत
नारद ऋषि गाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
दुर्गा रूप निरंजनी सुख सम्पत्ति दाता
मैया सुख सम्पत्ति दाता
जो कोई तुमको ध्यावत
ऋद्धि-सिद्धि धन पाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम पाताल निवासिनि तुम ही शुभदाता
मैया तुम ही शुभदाता
कर्मप्रभावप्रकाशिनी
भवनिधि की त्राता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
जिस घर में तुम रहती सब सद्गुण आता
मैया सब सद्गुण आता
सब सम्भव हो जाता
मन नहीं घबराता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
तुम बिन यज्ञ न होते वस्त्र न कोई पाता
मैया वस्त्र न कोई पाता
खान पान का वैभव
सब तुमसे आता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
शुभ गुण मन्दिर सुन्दर क्षीरोदधि जाता
मैया सुन्दर क्षीरोदधि जाता
रत्न चतुर्दश तुम बिन कोई नहीं पाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
महालक्ष्मीजी की आरती जो कोई नर गाता
मैया जो कोई नर गाता
उर आनन्द समाता पाप उतर जाता
ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता
तुमको निशदिन सेवत
हरि विष्णु विधाता
।।ॐ जय लक्ष्मी माता।।
।। मैया जय लक्ष्मी माता।।
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एक दंत दयावंत, चार भुजा धारी। माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
पान चढ़े फल चढ़े, और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे संत करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत निर्धन को माया॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
सूर’ श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी। कामना को पूर्ण करो जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥