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आज रात बाबा मंदिर में तांत्रिक विधि से होगी मां काली की पूजा, शाम से लगेगा दीप जलाने वालों का तांता

शाम सात बजे से बाबा मंदिर के भीतरखंड कार्यालय में स्थित दुर्गा मंडप पर सरदार पंडा श्रीश्री गुलाबनंद ओझा देर रात तक मां की तांत्रिक विधि से स्वयं पूजा करेंगे. इस दौरान बाबा मंदिर परिसर के हवन कुंड व भीतरखंड में तांत्रिक विधि से कनैल के फूलों से हवन किया जायेगा.

Deoghar News: स्वच्छता और प्रकाश का पर्व दीपावली रविवार को धूमधाम से मनायी जायेगी. परंपरा के अनुसार लोग सबसे पहले बाबा मंदिर सहित परिसर में स्थित सभी मंदिरों व बरामदे पर दीप जलाकर शुरुआत करेंगे. इसके बाद लोग अपने-अपने घरों में जाकर दीप जलाकर ये पर्व मनायेंगे. दीपावली को लेकर लोगों ने अपने घरों को रंग-रोगन कर सजाया गया है. आकर्षक लाइटों को घरों में लगाया गया है. खुशियों और उमंग के इस पर्व को लेकर बच्चे से लेकर बड़ों में उत्साह देखा जा रहा है. अमावस्या तिथि पर बाबा मंदिर समेत सैकड़ों जगहों पर तांत्रिक विधि से महाकाली की पूजा अर्चना की जायेगी. बाबा मंदिर के इस्टेट पुरोहित श्रीनाथ पंडित ने बताया कि रविवार को 2:15 बजे के बाद से ही अमावस्या तिथि का प्रवेश हो जायेगा. महाकाली कालरात्रि के स्वरूप में होते हैं, इसलिए इनकी आराधना तांत्रिक विधि से की जाती है. रात में पूजा का खास महत्व होता है. शाम 7:00 बजे से बाबा मंदिर के भीतरखंड कार्यालय में स्थित दुर्गा मंडप पर सरदार पंडा श्रीश्री गुलाबनंद ओझा देर रात तक मां की तांत्रिक विधि से स्वयं पूजा करेंगे. इस दौरान बाबा मंदिर परिसर के हवन कुंड व भीतरखंड में तांत्रिक विधि से कनैल के फूलों से हवन किया जायेगा. बाबा मंदिर का पट बंद होते समय सभी 22 मंदिरों में धूप दीप दिखाकर विशेष पूजा की जाती है. सभी मंदिरों की चौखट पर केले के पत्ते पर दीप जलाये जाते हैं.

मंदिर प्रांगण में दीप जलाने वालों का लग जाता है तांता

बाबा मंदिर परिसर में शाम 5:30 बजे से ही स्थानीय लोगों की भीड़ लगनी शुरू हो जायेगी. सभी लोग मंदिर में आकर दीप जलायेंगे. इसके बाद अपने-अपने घरों में दीप जलायेंगे. सुरक्षा की दृष्टि से मंदिर प्रभारी ने सभी कर्मचारियों को पूरी तरह से सजग रहने का निर्देश दिया है. दीपोत्सव कार्यक्रम संपन्न होने तक सभी सफाईकर्मी को मंदिर में लगातार सफाई कार्य में लगे रहने का निर्देश दिया गया है.

पूर्वजों की याद में जलायी जायेगी सोनाठी

दीपावली को लेकर गणेश, मां लक्ष्मी और मां काली की पूजा की जाती है. वहीं दूसरी और पितरों की पृथ्वी लोक से विदाई के लिए उलका दान किया जाता है. बाबाधाम में यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. दीपावली की शाम पितृहीन लोग सोनाठी में आग लगाकर घरों से मसाले की तरह जलाकर निकलते हैं और घर से दूर चौक-चौराहे पर उलका दान करते हैं. पुरोहित कैलाश झा ने बताया कि पितृहीन लोग उलक दान करते हैं, जिस घर में सुख समृद्धि और पितरों का आशीर्वाद मिलता है. पितृ पक्ष में आये हुए पितरों को विदाई देने के लिए यह दान किया जाता है. उन्होंने कहा कि दीपावली के दिन घनघोर अंधेरा होता है, और पितरों को पितृ लोक के लिए रोशनी दिखाने के लिए सोनाठी जलायी जाती है. इसलिए उलका दान किया जाता है. साथ ही सोनाठी के प्रकाश से पूर्वजों को पूरे साल तक प्रकाश की अनुभूति होती है.

आज गणेश व मां लक्ष्मी की होगी विशेष पूजा

दीपावली पर रविवार को लोग अपने-अपने घरों में और शहर के सभी प्रतिष्ठानों में गणेश व माता लक्ष्मी की विशेष पूजा का आयोजन करेंगे. पूजा को लेकर सभी ने अपने-अपने घरों व दुकानों-प्रतिष्ठानों की सफाई कर रंग-रोगन का काम पूरा कर लिया है. बिजली की आकर्षक लाइटों व फूलों से प्रतिष्ठानों को सजाया गया है. साथ ही कुछ लोग अब भी सजाने में लगे हुए हैं. शुभ मुहूर्त के हिसाब से रविवार की शाम करीब पांच बजे से लेकर देर रात तक दुकानों व प्रतिष्ठानों में भगवान गणेश व माता लक्ष्मी की विधि-विधान के साथ पूजा की जायेगी.

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